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France: 'फलस्तीन को मान्यता, मध्य पूर्व की शांति के लिए ऐतिहासिक कदम', राष्ट्रपति मैक्रों ने जताई ये उम्मीद
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, पेरिस
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sat, 20 Sep 2025 01:19 AM IST
सार
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता देंगे। उनका कहना है कि यही द्वि-राष्ट्र समाधान शांति का रास्ता है। इस कदम से इस्राइल और अमेरिका नाराज हैं, जबकि कुछ यूरोपीय देश फ्रांस का साथ दे सकते हैं। फ्रांस में इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
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इमैनुएल मैक्रों
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देना मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा। वे सोमवार (स्थानीय समयानुसार) को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में आधिकारिक रूप से फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा करेंगे, जिसकी अध्यक्षता वे सऊदी अरब के साथ करेंगे।
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बृहस्पतिवार को प्रसारित एक साक्षात्कार में मैक्रों ने कहा, 'हमें फलस्तीनी लोगों के एक राष्ट्र होने के वैध अधिकार को मान्यता देनी होगी। यदि आप उन्हें राजनीतिक समाधान नहीं देंगे, तो वे केवल हिंसा और कट्टरपंथ की ओर धकेले जाएंगे।' उन्होंने गाजा में इस्राइल के जमीनी हमले को 'भारी गलती' और 'कबूल न करने योग्य' बताया।
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द्वि-राष्ट्र समाधान ही शांति-स्थिरता का रास्ता: मैक्रों
इसक कदम से इस्राइल और अमेरिका नाराज हैं। उनका कहना है कि इससे उग्रवादी मजबूत होंगे और हमास को इनाम मिलेगा। मगर मैक्रों का तर्क है कि द्वि-राष्ट्र समाधान ही शांति और स्थिरता का रास्ता है। पहले से ही 145 से ज्यादा देश फलस्तीन को मान्यता दे चुके हैं, और ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, बेल्जियम व अन्य यूरोपीय देश भी फ्रांस के साथ जुड़ सकते हैं।
अरब लीग ने कहा- हमास को छोड़नी होगी सत्ता
फ्रांस का मानना है कि फलस्तीन राष्ट्र बनने का मतलब हमास का विघटन भी होना चाहिए। अरब लीग ने भी कहा है कि हमास को सत्ता छोड़नी होगी और हथियार फलस्तीनी प्राधिकरण को सौंपने होंगे। फ्रांस के भीतर इस फैसले को लेकर तेज प्रतिक्रियाएं हैं। यहूदी समुदाय की प्रमुख संस्था CRIF ने इसे 'नैतिक विफलता और राजनीतिक खतरा' बताया। वहीं, वामपंथी दलों ने इसका स्वागत किया और कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि नगर भवनों पर फलस्तीन का झंडा फहराया जाए। लेकिन गृह मंत्री ने इसका विरोध करते हुए कहा कि देश को पहले से ही काफी विभाजन झेलना पड़ रहा है।
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अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दे रहे मैक्रों
इमैनुएल मैक्रों का घरेलू राजनीतिक भविष्य कमजोर नजर आ रहा है, इसलिए वे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। फ्रांस में बढ़ती महंगाई और अस्थिरता के बीच उनकी लोकप्रियता गिर रही है, लेकिन वे अपनी विरासत को मजबूत करने के लिए विदेश नीति को प्रमुख हथियार बना रहे हैं।