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पुतिन को दोहरा झटका: एमएच-17 विमान और यूक्रेन युद्ध पर यूरोपीय अदालत ने सुनाया फैसला, रूस को ठहराया जिम्मेदार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हेग
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 09 Jul 2025 06:10 PM IST
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सार
यूरोप की मानवाधिकार अदालत ने दो अहम फैसलों में रूस को यूक्रेन में मानवाधिकार उल्लंघन और 2014 में एमएच17 विमान गिराने का दोषी ठहराया। यह पहला मौका है जब किसी अंतरराष्ट्रीय अदालत ने रूस को इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है। फैसले का असर कानूनी से ज्यादा प्रतीकात्मक है, लेकिन पीड़ित परिवारों के लिए यह न्याय की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

व्लादिमीर पुतिन, रूसी राष्ट्रपति
- फोटो : ANI
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विस्तार
रूस पर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं। यूरोप की शीर्ष मानवाधिकार अदालत ने दो ऐतिहासिक फैसले सुनाते हुए कहा है कि रूस ने यूक्रेन में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है और साल 2014 में मलेशियन फ्लाइट एमएच-17 विमान को गिराने के लिए भी वही जिम्मेदार है। यह पहली बार है जब किसी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने रूस को इन घटनाओं के लिए औपचारिक रूप से दोषी ठहराया है।
ईसीएचआर ने कहा कि रूस ने यूक्रेन में 2022 के पूर्ण पैमाने के आक्रमण के दौरान अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्वी यूक्रेन के जिन क्षेत्रों में मानवाधिकार हनन के मामले सामने आए हैं, वे क्षेत्र रूस के नियंत्रण में थे। रूस ने वहां के अलगाववादी समूहों को हथियार, राजनीतिक और आर्थिक मदद दी थी। कोर्ट का यह फैसला प्रतीकात्मक है, क्योंकि रूस को 2022 में काउंसिल ऑफ यूरोप से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन कोर्ट उन मामलों पर अब भी सुनवाई कर सकता है जो उस निष्कासन से पहले दर्ज किए गए थे।
एमएच-17 विमान हादसे में पहली बार रूस को दोषी ठहराया गया
कोर्ट ने यह भी कहा कि मलएशियन एयरलाइंस की फ्लाइट एमएच-17 को रूस समर्थित विद्रोहियों द्वारा रूस में बने बीयूके मिसाइल से मार गिराया गया था। यह विमान 17 जुलाई 2014 को नीदरलैंड्स की राजधानी एम्स्टर्डम से मलएशिया के कुआलालंपुर जा रहा था और पूर्वी यूक्रेश न के आकामें गिरा दिया गया। हादसे में सभी 298 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 196 डच नागरिक शामिल थे। एमएच-17 के पीड़ितों के परिजनों ने इसे न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
ये भी पढ़ें- पीएम मोदी ने की नामीबिया के राष्ट्रपति से मुलाकात; चार अहम समझौतों पर किए गए हस्ताक्षर
11 साल की लड़ाई को मिला सहारा
एमएच-17 पीड़ित थॉमस शांसमैन, जिन्होंने अपने 18 वर्षीय बेटे को खोया था। उन्होंने कहा कि यह एक वास्तविक कदम है यह समझने में कि जिम्मेदार कौन है। उन्होंने यूरोपीय अदालत में एक व्यक्तिगत याचिका भी दायर की है और अभी भी न्याय की उम्मीद में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी गलती होगी अगर हम अब रुक जाएं। एमएच-17 रूस के लिए कोई भूला हुआ मामला नहीं बनने वाला।
रूस पर चल रही है कार्रवाई
ईसीएचआर ने 2023 में भी रूस के खिलाफ सुनवाई को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने माना था कि रूस के पास पूर्वी यूक्रेन के कुछ क्षेत्रों पर प्रभाव था। यह फैसला नीदरलैंड और यूक्रेन की संयुक्त याचिका पर आया था। वहीं, लगभग 10,000 व्यक्तिगत याचिकाएं अब भी रूस के खिलाफ लंबित हैं। इसके अलावा, नीदरलैंड में चल रहे आपराधिक मुकदमे में पहले ही दो रूसी और एक यूक्रेनी विद्रोही को गैर-मौजूदगी में दोषी ठहराया जा चुका है।
ये भी पढ़ें- ISS पर इस प्रयोग को लेकर उत्साहित हैं शुभांशु, बोले- इससे भारतीय वैज्ञानिकों के लिए खुलेगी नई राह
नई अंतरराष्ट्रीय अदालत की तैयारी
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हाल ही में रूस के शीर्ष अधिकारियों को युद्ध अपराधों के लिए सजा दिलाने के उद्देश्य से एक नई अंतरराष्ट्रीय अदालत की स्थापना की योजना को मंजूरी दी है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की अदालत भी रूस को सैन्य कार्रवाई रोकने का आदेश पहले ही दे चुकी है, जिसे रूस ने अनदेखा कर दिया।

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एमएच-17 विमान हादसे में पहली बार रूस को दोषी ठहराया गया
कोर्ट ने यह भी कहा कि मलएशियन एयरलाइंस की फ्लाइट एमएच-17 को रूस समर्थित विद्रोहियों द्वारा रूस में बने बीयूके मिसाइल से मार गिराया गया था। यह विमान 17 जुलाई 2014 को नीदरलैंड्स की राजधानी एम्स्टर्डम से मलएशिया के कुआलालंपुर जा रहा था और पूर्वी यूक्रेश न के आकामें गिरा दिया गया। हादसे में सभी 298 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 196 डच नागरिक शामिल थे। एमएच-17 के पीड़ितों के परिजनों ने इसे न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
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एमएच-17 पीड़ित थॉमस शांसमैन, जिन्होंने अपने 18 वर्षीय बेटे को खोया था। उन्होंने कहा कि यह एक वास्तविक कदम है यह समझने में कि जिम्मेदार कौन है। उन्होंने यूरोपीय अदालत में एक व्यक्तिगत याचिका भी दायर की है और अभी भी न्याय की उम्मीद में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी गलती होगी अगर हम अब रुक जाएं। एमएच-17 रूस के लिए कोई भूला हुआ मामला नहीं बनने वाला।
रूस पर चल रही है कार्रवाई
ईसीएचआर ने 2023 में भी रूस के खिलाफ सुनवाई को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने माना था कि रूस के पास पूर्वी यूक्रेन के कुछ क्षेत्रों पर प्रभाव था। यह फैसला नीदरलैंड और यूक्रेन की संयुक्त याचिका पर आया था। वहीं, लगभग 10,000 व्यक्तिगत याचिकाएं अब भी रूस के खिलाफ लंबित हैं। इसके अलावा, नीदरलैंड में चल रहे आपराधिक मुकदमे में पहले ही दो रूसी और एक यूक्रेनी विद्रोही को गैर-मौजूदगी में दोषी ठहराया जा चुका है।
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नई अंतरराष्ट्रीय अदालत की तैयारी
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हाल ही में रूस के शीर्ष अधिकारियों को युद्ध अपराधों के लिए सजा दिलाने के उद्देश्य से एक नई अंतरराष्ट्रीय अदालत की स्थापना की योजना को मंजूरी दी है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की अदालत भी रूस को सैन्य कार्रवाई रोकने का आदेश पहले ही दे चुकी है, जिसे रूस ने अनदेखा कर दिया।
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