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Saudi Arabia: यूक्रेन शांति वार्ता की मेजबानी करने से सऊदी का विश्व में बढ़ेगा प्रभाव, विशेषज्ञों का बड़ा बयान
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, जेदाह
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 07 Aug 2023 02:37 AM IST
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सार
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह चीन ने ईरान और सऊदी अरब का समझौता कराने के बाद एक बड़ी कूटनीतिक कामयाबी हासिल की है ठीक उसी तरह की सफलता सऊदी अरब भी चाहता है।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : pixabay
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विस्तार
सऊदी अरब में यूक्रेन संकट के हल के लिए शांति सम्मेलन हो रहा है। इन सम्मेलन में भारत भी हिस्सा ले रहा है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इस सम्मेलन के लिए सऊदी अरब पहुंचे हैं, सम्मेलन में लगभग 40 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और बडे़ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। वहीं वॉयस ऑफ अमेरिका (वीओए) की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है सऊदी अरब यूक्रेन शांति वार्ता के जरिए विश्व मामलों में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

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पोर्ट सिटी जेद्दाह में आयोजित सम्मेलन में यूक्रेन के दस सूत्रीय शांति प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। लेकिन इसमें रूस हिस्सा नहीं ले रहा है। रूस ने कहा है कि वो इस पर नजर रखेगा। अमेरिका, चीन, भारत और वैश्विक दक्षिण के अन्य देश स्थिति पर चर्चा करने के लिए सऊदी अरब में एकत्र हुए हैं।
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आखिरकार सऊदी क्यों करा रहा सम्मेलन
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह चीन ने ईरान और सऊदी अरब का समझौता कराने के बाद एक बड़ी कूटनीतिक कामयाबी हासिल की है ठीक उसी तरह की सफलता सऊदी अरब भी चाहता है। अगर सऊदी अरब में होने वाले सम्मेलन में यूक्रेन और रूस के बीच कोई समझ बनती है तो वो सऊदी अरब की बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत होगी।
इस बीच, शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन, ग्लोबल साउथ के साथ द्विपक्षीय चर्चा हुई, जिसने यूक्रेन संकट के दौरान तटस्थ या सहयोगी के रूप में रूस का समर्थन किया है। यूक्रेन और उसके पश्चिमी समर्थकों के वरिष्ठ अधिकारी भी साथ आए, जिसमें अमेरिका और यूरोपीय संघ भी शामिल हैं। चीन पहली बार इस फोरम में हिस्सा ले रहा है।
अन्य देशों के अनुरोधों के बावजूद बीजिंग ने मॉस्को के साथ कड़े राजनयिक और आर्थिक संबंध बनाए रखे हैं। वीओए के मुताबिक, हालांकि वह मौजूद नहीं है, लेकिन रूस वार्ता पर नजर रख रहा है। पर्यवेक्षकों और पश्चिमी अधिकारियों का कहना है कि वार्ता में चीन की उपस्थिति सुनिश्चित करने में सऊदी कूटनीति महत्वपूर्ण रही।
बेरूत में रिसर्च सेंटर फॉर कोऑपरेशन एंड पीस बिल्डिंग के प्रमुख, विश्लेषक दानिया कोलीलाट खतीब ने वीओए को बताया कि मध्य पूर्व इस बात से घबरा गया है कि अमेरिका इस क्षेत्र से हट रहा है, जिससे सऊदी अरब को अन्यत्र अपने संबंधों का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहन मिला। वीओए की रिपोर्ट के अनुसार, चीन इसका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और उसने प्रतिद्वंद्वी ईरान के साथ संबंध सुधारने में मदद की है। हालाँकि खतीब ने कहा कि अमेरिका सऊदी अरब के साथ जुड़ना चाहता है और उसके राजनयिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना चाहता है।