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Nepal: सरकार नीतियां बनाने में सुने युवाओं की बात, घायल जेन-जी बोले- सपनों के लिए गोलियां खाईं हैं हमने

अमर उजाला ब्यूरो, काठमांडो Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sun, 14 Sep 2025 06:31 AM IST
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सार

नेपाल में उग्र विरोध-प्रदर्शन के दौरान घायल जेन-जी युवाओं का कहना है कि उन्होंने देश में बदलाव के लिए, अपने सपनों के लिए गोलियां खाई हैं। अब, नए नेपाल के निर्माण में उनकी बात सुनी जानी चाहिए। संगठन ने कहा, हम अंतरिम सरकार और सभी राजनीतिक दलों के साथ एक खुली, निरंतर और भागीदारीपूर्ण बातचीत चाहते हैं।

Gen-Z youths injured in Nepal protest high hopes from interim PM Sushila Karki
काठमांडो में महाराजगंज मेडिकल कैंपस में आंदोलन के पीड़ितों की तस्वीर लेकर पहुंच रहे परिवारीजन - फोटो : अमर उजाला / एजेंसी
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विस्तार
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नेपाल में उग्र विरोध-प्रदर्शन के दौरान घायल जेन-जी प्रदर्शनकारियों को अंतरिम प्रधानमंत्री का पद संभालने वाली सुशीला कार्की से काफी उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि उन्होंने देश में बदलाव के लिए, अपने सपनों के लिए गोलियां खाई हैं। अब, नए नेपाल के निर्माण में उनकी बात सुनी जानी चाहिए। संगठन ने कहा, हम अंतरिम सरकार और सभी राजनीतिक दलों के साथ एक खुली, निरंतर और भागीदारीपूर्ण बातचीत चाहते हैं। इसमें युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों की सार्थक उपस्थिति सुनिश्चित हो और उनकी आवाज न केवल सुनी जाए, बल्कि उसका सम्मान भी किया जाए। देश के लोकतांत्रिक भविष्य को तय करने वाली नीतियों को तैयार करने में परामर्श भी किया जाए।

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सिविल अस्पताल में इलाज करा रहे संतोष रावल (23) कहते हैं, हमने देश के लिए गोलियां खाई हैं, क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था, हम उससे चिंतित थे। सुशीला कार्की को आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने वाला नेपाल बनाने के लिए काम करना चाहिए। संतोष को संसद के सामने प्रदर्शन के दौरान जांघ में गोली लगी थी।
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रावल के बगल के बिस्तर पर जनकपुर का युवा छात्र है, जो काठमांडो के छात्रावास में रहता है। उसने आपबीती सुनाते हुए बताया कि सोशल मीडिया पर आह्वान के बाद कैसे आंदोलन से जुड़े और घायल होने के बाद उन्हें किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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वैसे, आंदोलन में शामिल सभी लोग जेन-जी के ही नहीं थे। चितवन के रमेश परियार (56) को आंदोलन में हिंसा के वीडियो ने अगले दिन प्रदर्शन में शािमल होने पर बाध्य कर दिया। परियार के मुताबिक, आंदोलनकारियों की क्रूरता के साथ हत्या ने मुझे विचलित कर दिया। 

पुलिस ने प्रोटोकॉल तोड़कर चलाईं गोलियां
संतोष रावल कहते हैं, पुलिस को गोलियां चलाने से पहले एक प्रोटोकॉल का पालन करना होता है। जब तक मुझे गोली नहीं लगी, तब तक उन्होंने केवल लाठियों और आंसू गैस का ही इस्तेमाल किया था। जब मुझे गोली लगी, तब तक पानी की बौछार शुरू नहीं की गई थी। इसका मतलब तो यही है कि पुलिस ने आंसू गैस के तुरंत बाद गोलीबारी शुरू कर दी।

घुसपैठियों ने हिंसा के लिए उकसाया
कलिनरी आर्ट्स कॉलेज के छात्र क्रिस गुरुंग (16) का कहना है कि प्रदर्शन पहले शांतिपूर्ण चल रहा था लेकिन पुलिस की सख्ती के बाद अचानक उग्र हो गया। उसने कहा, मेरे जैसे कई लोग दूसरों को सरकारी संपत्ति नष्ट करने से रोक रहे थे। लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ घुसपैठियों ने भीड़ को आक्रामक होने के लिए उकसाया।

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राष्ट्रपति ने की चुनाव सफल बनाने की अपील
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसदीय चुनाव को सफल बनाने के लिए सभी पक्षों से सहयोग की अपील की है। राष्ट्रपति ने शनिवार को कहा कि संविधान, संसदीय व्यवस्था और संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य सुरक्षित हैं। आगामी चुनाव जनता के लिए और अधिक प्रगतिशील लोकतंत्र की ओर बढ़ने का अवसर होगा। इसका सदुपयोग करते हुए जनता का विश्वास जीतना और संयमित रहते हुए चुनाव कराना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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