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Maha Kumbh: 'महाकुंभ परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम', हार्वर्ड के प्रोफेसर्स भी अध्यात्मिक आयोजन के हुए मुरीद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Published by: नितिन गौतम
Updated Wed, 26 Feb 2025 02:29 PM IST
सार
प्रोफेसर्स ने कार्यक्रम के दौरान साल 2013 के महाकुंभ के अपने अनुभव साझा किए और इस साल के आयोजन के विभिन्न आयामों जैसे आध्यात्मिकता, प्रौद्योगिकी, प्रशासन और परंपरा-तकनीक और अर्थव्यवस्था के संगम पर चर्चा की।
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महाकुंभ पर चर्चा में जुटे हार्वर्ड प्रोफेसर
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ आयोजन के मुरीद हो गए हैं। उनका कहना है कि महाकुंभ न सिर्फ आध्यात्मिकता बल्कि वाणिज्य के आध्यात्मिकता से मिलन और परंपरा और तकनीक के संगम का उदाहरण भी है। बुधवार को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही इस महा आयोजन का समापन भी हो जाएगा।
न्यूयॉर्क में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने किया कार्यक्रम का आयोजन
अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। 'इनसाइट फ्रॉम वर्ल्ड लार्जेस्ट स्प्रिचुअल गैदरिंग- महाकुंभ' नाम से आयोजित इस चर्चा में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर पाउलो लेमन, हार्वर्ड के डिविनिटी स्कूल की प्रोफेसर डायना ईसीके, प्रोफेसर तरुण खन्ना और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की प्रोफेसर तियोना जुजुल शामिल हुईं। प्रोफेसर्स ने साल 2013 के महाकुंभ के अपने अनुभव साझा किए और इस साल के आयोजन के विभिन्न आयामों जैसे आध्यात्मिकता, प्रौद्योगिकी, प्रशासन और परंपरा-तकनीक और अर्थव्यवस्था के संगम पर चर्चा की।
महाकुंभ आयोजन की तारीफ में क्या बोले हार्वर्ड प्रोफेसर्स
प्रोफेसर तरुण खन्ना ने कहा कि 'वह निजी तौर पर इस बात से हैरान होते हैं कि महाकुंभ परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम है और इसी तरह से कोई समाज विकसित होता है। महाकुंभ में धर्म और तकनीक मिलते हैं।' उन्होंने महाकुंभ में सफाई व्यवस्था की जमकर तारीफ की। प्रोफेसर डायना ईसीके ने बेहद कम समय में महाकुंभ मेला क्षेत्र को बनाए जाने और उसमें सभी आधुनिक सुविधाएं देने की तारीफ की। साल 2013 में कुंभ में आईं प्रोफेसर जुजुल ने कहा कि महाकुंभ में व्यापार और अर्थव्यवस्था का आध्यात्मिकता से जुड़ाव दिखता है। साथ ही महाकुंभ के आयोजन में रसद आपूर्ति की चुनौती से जिस तरह से निपटा जाता है, वह भी काबिले तारीफ है। प्रोफेसर जुजुल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि साल 2037 में होने वाले महाकुंभ में वे फिर से भारत जा सकेंगी। गौरतलब है कि 13 जनवरी 2025 से शुरू हुए महाकुंभ आयोजन में अब तक 66 करोड़ लोग पवित्र संगम में डुबकी लगा चुके हैं।
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