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अमेरिका की चूक: सीरिया में छापेमारी के दौरान ISIS आतंकी की जगह अपने ही जासूस की जान ली, जानें कैसे हुई गड़बड़ी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, दमिश्क (सीरिया)
Published by: निर्मल कांत
Updated Fri, 05 Dec 2025 04:04 PM IST
सार
Syria: अमेरिका ने सीरिया में आईएस कमांडर को पकड़ने के लिए छापेमारी की, लेकिन कथित तौर पर गलती से उस खुफिया एजेंट को ही मार दिया जो वर्षों से आईएस के खिलाफ गुप्त जानकारी जुटा रहा था। मृतक के परिवार के मुताबिक वह सीरिया की अंतरिम सरकार के लिए भी काम कर रहे थे, लेकिन गलत खुफिया सूचना के कारण उन्हें निशाना बनाया गया।
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अमेरिकी सेना (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : फ्रीपिक
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विस्तार
अमेरिकी सेना ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के कमांडर को पकड़ने के लिए छापेमारी की। लेकिन गलती से इस छापेमारी में उस व्यक्ति की जान चली गई, जो लंबे समय से आईएस के खिलाफ गोपनीय तरीके से जानकारी जुटा रहा था। यह घटना अक्तूबर में हुई। छापेमारी स्थानीय सीरियाई अधिकारियों के साथ मिलकर की जा रही थी। इस घटना से संकेत मिलता है कि आईएस के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका और सीरिया की नई अंतरिम सरकार के बीच अभी भी तालमेल जटिल है।
मृतक के परिजनों के मुताबिक, खालिद अल-मसूद कई वर्षों से आईएस में घुसपैट कर उसकी गतिविधियों की जानकारी अल-शरा के नेतृत्व वाले विद्रोहियों और बाद में अंतरिम सरकार को दे रहे थे। अल-मसूद दक्षिणी सीरिया के रेगिस्तानी इलाके में आईएस की गतिविधियों की निगरानी कर रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएस के खिलाफ लड़ाई में उनकी मौत बड़ा झटका है। यह घटना अमेरिका और दमिश्क के बीच तालमेल की कमी का नतीजा है।
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19 अक्तूबर की रात दामिर कस्बे में छापेमारी हुई। स्थानीय लोगों ने बताया कि अमेरिकी सैनिकों और सीरियन फ्री आर्मी के जवानों ने अल-मसूद के घर को घेर लिया। अल-मसूद की मां ने कहा कि उनका बेटा बार-बार बता रहा था कि वह सीरिया के गृह मंत्रालय के सामान्य सुरक्षा विभाग के साथ काम करता है। लेकिन सैनिकों ने दरवाजा तोड़कर उसे गोली मार दी और घायल अवस्था में ले गए। बाद में उसकी लाश परिवार को सौंप दी गई।
परिवार का मानना है कि गलत खुफिया जानकारी के आधार पर छापेमारी की गई। शायद सीरियन फ्री आर्मी के कुछ सदस्यों ने गलत सूचना दी। सीरियाई सुरक्षा अधिकारियों ने भी पुष्टि की कि अल-मसूद अंतरिम सरकार के सुरक्षा विभाग में काम कर रहे थे और आईएस के खिलाफ अभियानों में शामिल थे। अमेरिका ने इस घटना पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, जिससे संकेत मिलता है कि दोनों पक्ष इस मामले को बढ़ाना नहीं चाहते।
ये भी पढ़ें: US: 2025 में सबसे अधिक गलत बोले गए शब्दों की सूची जारी, मामदानी और लूवर म्यूजियम के नाम भी शामिल
आईएस कभी इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखता था। लेकिन अब अमेरिकी नेतृत्व वाला गठबंधन उसके बचे हुए ठिकानों को खत्म करने में लगा है। अमेरिका का अनुमान है कि अभी भी करीब ढाई हजार आईएस लड़ाके मौजूद हैं। अमेरिकी सेना सीरिया में कुर्द-नेतृत्व वाले बलों और सीरियन फ्री आर्मी के साथ मिलकर काम कर रही है और अब नई सीरियाई सरकार की सुरक्षा एजेंसियां भी इसमें शामिल हो रही हैं।
2020 से अब तक अमेरिका के नेतृत्व वाले अभियानों में 52 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें नागरिकों की मौत हुई या वे घायल हुए। अल-मसूद को भी नागरिक के रूप में दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार गलत खुफिया जानकारी या स्थानीय गुटों की आपसी दुश्मनी के कारण ऐसी गलतियां हो जाती हैं। यही वजह है कि दमिश्क के साथ बेहतर तालमेल की जरूरत बताई जा रही है, ताकि जमीन पर कौन कौन है, इसका सही पता चल सके।
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मृतक के परिजनों के मुताबिक, खालिद अल-मसूद कई वर्षों से आईएस में घुसपैट कर उसकी गतिविधियों की जानकारी अल-शरा के नेतृत्व वाले विद्रोहियों और बाद में अंतरिम सरकार को दे रहे थे। अल-मसूद दक्षिणी सीरिया के रेगिस्तानी इलाके में आईएस की गतिविधियों की निगरानी कर रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएस के खिलाफ लड़ाई में उनकी मौत बड़ा झटका है। यह घटना अमेरिका और दमिश्क के बीच तालमेल की कमी का नतीजा है।
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19 अक्तूबर की रात दामिर कस्बे में छापेमारी हुई। स्थानीय लोगों ने बताया कि अमेरिकी सैनिकों और सीरियन फ्री आर्मी के जवानों ने अल-मसूद के घर को घेर लिया। अल-मसूद की मां ने कहा कि उनका बेटा बार-बार बता रहा था कि वह सीरिया के गृह मंत्रालय के सामान्य सुरक्षा विभाग के साथ काम करता है। लेकिन सैनिकों ने दरवाजा तोड़कर उसे गोली मार दी और घायल अवस्था में ले गए। बाद में उसकी लाश परिवार को सौंप दी गई।
परिवार का मानना है कि गलत खुफिया जानकारी के आधार पर छापेमारी की गई। शायद सीरियन फ्री आर्मी के कुछ सदस्यों ने गलत सूचना दी। सीरियाई सुरक्षा अधिकारियों ने भी पुष्टि की कि अल-मसूद अंतरिम सरकार के सुरक्षा विभाग में काम कर रहे थे और आईएस के खिलाफ अभियानों में शामिल थे। अमेरिका ने इस घटना पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, जिससे संकेत मिलता है कि दोनों पक्ष इस मामले को बढ़ाना नहीं चाहते।
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2020 से अब तक अमेरिका के नेतृत्व वाले अभियानों में 52 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें नागरिकों की मौत हुई या वे घायल हुए। अल-मसूद को भी नागरिक के रूप में दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार गलत खुफिया जानकारी या स्थानीय गुटों की आपसी दुश्मनी के कारण ऐसी गलतियां हो जाती हैं। यही वजह है कि दमिश्क के साथ बेहतर तालमेल की जरूरत बताई जा रही है, ताकि जमीन पर कौन कौन है, इसका सही पता चल सके।
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