सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   World ›   Hezbollah Leader Muhammad Ali Hammadi killed in Lebanon before Israel Ceasefire Gaza Hamas US FBI Most Wanted

कौन था हिज्बुल्ला नेता अली हम्मदी?: PAK में मारे जाने का था दावा, 15 साल बाद लेबनान से फिर आई हत्या की खबर

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 22 Jan 2025 06:51 PM IST
सार

हम्मदी की हत्या के घटनाक्रम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच यह जानना अहम है कि हिज्बुल्ला का यह अधिकारी था कौन? अमेरिका की लिस्ट में हम्मदी को मोस्ट वॉन्टेड क्यों घोषित किया गया था? इसके अलावा उसका पाकिस्तान से क्या कनेक्शन था, जिसके चलते हम्मदी की चर्चा हो रही है? आइये जानते हैं...

विज्ञापन
Hezbollah Leader Muhammad Ali Hammadi killed in Lebanon before Israel Ceasefire Gaza Hamas US FBI Most Wanted
मोहम्मद अली हम्मदी। - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

हिज्बुल्ला के एक बड़े नेता शेख मोहम्मद अली हम्मदी की मंगलवार को अज्ञात हमलावरों ने उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी। इस चरमपंथी संगठन से जुड़े अल-अखबर न्यूज ने इस घटना की पुष्टि की है। बताया गया है कि हम्मदी पर हमला पूर्वी लेबनान के बेका घाटी क्षेत्र में उनके घर के बाहर ही हुआ। अज्ञात बंदूकधारियों ने पश्चिमी बेका जिले के मचघरा में उनके घर के पास छह बार गोली मारी।  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमादी को पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां गंभीर चोटों के चलते इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई। 
Trending Videos


अभी यह साफ नहीं है कि हम्मदी की हत्या किसने की है। हालांकि, लेबनान के अन-नाहर मीडिया ग्रुप ने बताया कि यह हत्या राजनीतिक नहीं थी और इसके पारिवारिक रंजिश होने का अंदाजा है। चौंकाने वाली बात यह है कि अली हम्मदी की तलाश अमेरिका से लेकर इस्राइल तक को थी। अमेरिका की घरेलू खुफिया जांच एजेंसी- एफबीआई ने तो हम्मदी को अपनी मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट तक में रखा था। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनकी हत्या के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ भी हो सकता है। लेबनान की सुरक्षा एजेंसियां इस घटना की जांच कर रही हैं। 
विज्ञापन
विज्ञापन


हम्मदी की हत्या के घटनाक्रम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच यह जानना अहम है कि हिज्बुल्ला का यह अधिकारी था कौन? अमेरिका की लिस्ट में हम्मदी को मोस्ट वॉन्टेड क्यों घोषित किया गया था? इसके अलावा उसका पाकिस्तान से क्या कनेक्शन था, जिसके चलते हम्मदी की चर्चा हो रही है? आइये जानते हैं...

 

कौन था मोहम्मद अली हम्मदी?
लेबनान के संगठन हिज्बुल्ला के अधिकारी के तौर पर पहचाने जाने वाली मोहम्मद अली हम्मदी का जन्म 13 जून 1964 को देश के एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था। इस परिवार पर 1980 के दशक में कई विदेशियों के अपहरण का आरोप लगा था। एफबीआई के मुताबिक, हम्मदी ने 14 जून 1985 को एथेंस से रोम जा रही टीडब्ल्यूए फ्लाइट 847 को हाईजैक किया था। बताया जाता है कि इस हाईजैकिंग में हिज्बुल्ला के अन्य चरमपंथी उसके साथ थे। अमेरिका का यह विमान 17 दिन तक मेडिटेरनियन क्षेत्र में एक के  बाद एक एयरपोर्ट पर ले जाया गया। इस दौरान दर्जनों यात्री हिज्बुल्ला के बंधक बने रहे। बताया जाता है कि 1980 के दशक में यह हिज्बुल्ला की तरफ से अपहरण के सबसे बड़े मामलों में से था। 

विमान का नियंत्रण लेने के बाद हाईजैकर्स ने इस्राइल की कैद से फलस्तीनी कैदियों को रिहा करने की मांग की। दावा किया जाता है कि अली हम्मदी पर इसी विमान में एक अमेरिकी नागरिक रॉबर्ट डीन स्टेटहेम पर हमला करने और उसे पीट-पीटकर जान से मारने के आरोप लगा था। बताया जाता है कि हम्मदी ने स्टेटहेम को यात्रियों के बीच से निकालकर इसलिए मारा था, क्योंकि उसका अमेरिकी सेना में सेवा देने का रिकॉर्ड था। अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने इस मामले में हम्मदी समेत तीन अन्य लेबनान के नागरिकों पर 50 लाख डॉलर तक का इनाम रखा था और उन्हें अपनी मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल कर लिया। 

जर्मनी ने ठुकराई थीं अमेरिका की प्रत्यर्पण की मांगें
चौंकाने वाली बात यह है कि हम्मदी को इस हाईजैकिंग के करीब दो साल बाद 1987 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया गया था। तब जर्मन अदालत ने उसे कुल 19 साल की सजा दी थी। उसे विस्फोटक रखने के अलावा अमेरिकी विमान की हाईजैकिंग और अमेरिका के सैनिक की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस दौरान अमेरिका ने कई बार जर्मन सरकार से हिज्बुल्ला के इस नेता को सौंपने की मांग भी की। लेकिन जर्मनी की अदालतों और सरकार ने तब अमेरिका की मांग को ठुकरा दिया था। 

इतना ही नहीं जर्मनी में 19 साल तक जेल में रहने के बाद हम्मदी को पेरोल बोर्ड ने 2005 में आजाद भी कर दिया। तब अमेरिका ने हिज्बुल्ला के इस नेता को 1985 की घटना के लिए सजा देने की बात कही थी। अमेरिकी अधिकारियों का कहना था कि उन्होंने 20 साल तक हम्मदी की कस्टडी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें प्रत्यर्पण में कोई सफलता नहीं मिली और उसे सजा जर्मनी में ही हुई।  

पाकिस्तान में मारे जाने की आई थीं खबरें
जर्मन जेल से बाहर आने के बावजूद अमेरिका ने हम्मदी को पकड़ने की कोशिशें जारी रखीं। बताया जाता है कि अमेरिका को जब हम्मदी के वापस लौटने की खुफिया सूचना मिली, तब उसके प्रत्यर्पण के लिए लेबनान की सरकार से बात भी की गई। हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिल पाई। बताया जाता है कि लेबनान लौटने के बाद हम्मदी फिर  हिज्बुल्ला में शामिल हो गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च 2010 में वह अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं से लड़ने के लिए पाकिस्तान पहुंचा था। 

2010 में एक जर्मन वेबसाइट मॉन्स्टर एंड क्रिटिक्स ने पाकिस्तानी खुफिया सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि मोहम्मद अली हम्मदी को पाकिस्तान के कबायली उत्तरी वजीरिस्तान में एक मानवरहित ड्रोन से हमला कर मार गिराया। बताया गया था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने हम्मदी को मारने के लिए ड्रोन से मिसाइल गिराई गई थी। इस हमले में 16 के मारे जाने की खबर थी। इनमें से 11 विदेशी आतंकी थे। तब दावा किया गया था कि हम्मदी और अन्य लोग यहां अफगानिस्तान में घुसने की तैयारी कर रहे थे। 

हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि कभी नहीं हो पाई। अमेरिका ने भी इन घटनाओं की पुष्टि नहीं की थी और एफबीआई की मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की सूची में भी मोहम्मद अली हम्मदी का नाम बरकरार रहा। 

युद्धविराम समझौता खत्म होने से पहले हुई हत्या
हम्मदी की हत्या के बाद लेबनान सरकार ने घटना की जांच शुरू कर दी है। इस हत्या की टाइमिंग को लेकर भी चर्चाएं जारी हैं। दरअसल, हिज्बुल्ला और इस्राइल के बीच लेबनान में युद्धविराम की समयसीमा खत्म होने वाली है। इस्राइल-हिजबुल्ला के बीच 27 नवंबर को 60 दिन के लिए युद्धविराम कायम रखने का समझौता हुआ था। यह अवधि 25 जनवरी 2025 को खत्म हो रही है। हालांकि, दोनों ही पक्ष इस संघर्षविराम को और आगे बढ़ाने के लिए बात कर रहे हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed