कौन था हिज्बुल्ला नेता अली हम्मदी?: PAK में मारे जाने का था दावा, 15 साल बाद लेबनान से फिर आई हत्या की खबर
हम्मदी की हत्या के घटनाक्रम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच यह जानना अहम है कि हिज्बुल्ला का यह अधिकारी था कौन? अमेरिका की लिस्ट में हम्मदी को मोस्ट वॉन्टेड क्यों घोषित किया गया था? इसके अलावा उसका पाकिस्तान से क्या कनेक्शन था, जिसके चलते हम्मदी की चर्चा हो रही है? आइये जानते हैं...
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अभी यह साफ नहीं है कि हम्मदी की हत्या किसने की है। हालांकि, लेबनान के अन-नाहर मीडिया ग्रुप ने बताया कि यह हत्या राजनीतिक नहीं थी और इसके पारिवारिक रंजिश होने का अंदाजा है। चौंकाने वाली बात यह है कि अली हम्मदी की तलाश अमेरिका से लेकर इस्राइल तक को थी। अमेरिका की घरेलू खुफिया जांच एजेंसी- एफबीआई ने तो हम्मदी को अपनी मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट तक में रखा था। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनकी हत्या के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ भी हो सकता है। लेबनान की सुरक्षा एजेंसियां इस घटना की जांच कर रही हैं।
हम्मदी की हत्या के घटनाक्रम को लेकर उठ रहे सवालों के बीच यह जानना अहम है कि हिज्बुल्ला का यह अधिकारी था कौन? अमेरिका की लिस्ट में हम्मदी को मोस्ट वॉन्टेड क्यों घोषित किया गया था? इसके अलावा उसका पाकिस्तान से क्या कनेक्शन था, जिसके चलते हम्मदी की चर्चा हो रही है? आइये जानते हैं...
लेबनान के संगठन हिज्बुल्ला के अधिकारी के तौर पर पहचाने जाने वाली मोहम्मद अली हम्मदी का जन्म 13 जून 1964 को देश के एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था। इस परिवार पर 1980 के दशक में कई विदेशियों के अपहरण का आरोप लगा था। एफबीआई के मुताबिक, हम्मदी ने 14 जून 1985 को एथेंस से रोम जा रही टीडब्ल्यूए फ्लाइट 847 को हाईजैक किया था। बताया जाता है कि इस हाईजैकिंग में हिज्बुल्ला के अन्य चरमपंथी उसके साथ थे। अमेरिका का यह विमान 17 दिन तक मेडिटेरनियन क्षेत्र में एक के बाद एक एयरपोर्ट पर ले जाया गया। इस दौरान दर्जनों यात्री हिज्बुल्ला के बंधक बने रहे। बताया जाता है कि 1980 के दशक में यह हिज्बुल्ला की तरफ से अपहरण के सबसे बड़े मामलों में से था।
चौंकाने वाली बात यह है कि हम्मदी को इस हाईजैकिंग के करीब दो साल बाद 1987 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया गया था। तब जर्मन अदालत ने उसे कुल 19 साल की सजा दी थी। उसे विस्फोटक रखने के अलावा अमेरिकी विमान की हाईजैकिंग और अमेरिका के सैनिक की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस दौरान अमेरिका ने कई बार जर्मन सरकार से हिज्बुल्ला के इस नेता को सौंपने की मांग भी की। लेकिन जर्मनी की अदालतों और सरकार ने तब अमेरिका की मांग को ठुकरा दिया था।
जर्मन जेल से बाहर आने के बावजूद अमेरिका ने हम्मदी को पकड़ने की कोशिशें जारी रखीं। बताया जाता है कि अमेरिका को जब हम्मदी के वापस लौटने की खुफिया सूचना मिली, तब उसके प्रत्यर्पण के लिए लेबनान की सरकार से बात भी की गई। हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिल पाई। बताया जाता है कि लेबनान लौटने के बाद हम्मदी फिर हिज्बुल्ला में शामिल हो गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च 2010 में वह अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं से लड़ने के लिए पाकिस्तान पहुंचा था।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि कभी नहीं हो पाई। अमेरिका ने भी इन घटनाओं की पुष्टि नहीं की थी और एफबीआई की मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की सूची में भी मोहम्मद अली हम्मदी का नाम बरकरार रहा।
युद्धविराम समझौता खत्म होने से पहले हुई हत्या
हम्मदी की हत्या के बाद लेबनान सरकार ने घटना की जांच शुरू कर दी है। इस हत्या की टाइमिंग को लेकर भी चर्चाएं जारी हैं। दरअसल, हिज्बुल्ला और इस्राइल के बीच लेबनान में युद्धविराम की समयसीमा खत्म होने वाली है। इस्राइल-हिजबुल्ला के बीच 27 नवंबर को 60 दिन के लिए युद्धविराम कायम रखने का समझौता हुआ था। यह अवधि 25 जनवरी 2025 को खत्म हो रही है। हालांकि, दोनों ही पक्ष इस संघर्षविराम को और आगे बढ़ाने के लिए बात कर रहे हैं।