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Nepal: नेपाल में राजशाही समर्थक दुर्गा परसाई गिरफ्तार, हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आरोप
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Published by: बशु जैन
Updated Fri, 11 Apr 2025 01:30 PM IST
सार
पिछले महीने नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। नेपाल पुलिस ने विरोध प्रदर्शन में शामिल दुर्गा परसाई को उसके बॉडीगार्ड के साथ भारत की सीमा से लगे झापा जिले से पकड़ा।
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नेपाल में हिंसा (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
नेपाल पुलिस ने 28 मार्च को काठमांडू में हुए राजशाही समर्थकों के हिंसक प्रदर्शन के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि काठमांडू के तिनकुने में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल दुर्गा परसाई को उसके बॉडीगार्ड के साथ भारत की सीमा से लगे झापा जिले से पकड़ा गया। परसाई पर राजकीय और संगठित अपराध में शामिल होने का आरोप है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक परसाई को असम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और नेपाल पुलिस को सौंप दिया। जो उसे झापा ले आई। हालांकि नेपाल और भारत के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि प्रभावी नहीं है। इसलिए असम में परसाई की गिरफ्तारी का खुलासा नहीं किया गया है।
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इससे पहले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के महासचिव धवल शमशेर राणा और उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा सहित पांच दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने इनके खिलाफ राज्य अपराध और संगठित अपराध के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और काठमांडू जिला न्यायालय के आदेश पर उन्हें न्यायिक रिमांड पर ले लिया है। वहीं आरपीपी इन नेताओं और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग कर रही है।
हिंसा में दो लोगों की गई जान
पिछले महीने नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। यह हिंसा नेपाल में फिर से राजशाही की मांग को लेकर हुई।
ये भी पढ़ें: 'मुंबई हमले के आतंकियों को निशान-ए-हैदर दिलाना चाहता था राणा', अमेरिकी न्याय विभाग का दावा
आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है। नेपाल में साल 2006 से पहले राजशाही शासन था। विरोध के बाद राजा ज्ञानेंद्र को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद सभी अधिकार संसद को सौंप दिए गए और नेपाल में साल 2008 में 240 साल पुराना राजशाही शासन खत्म हो गया। अब राजशाही को वापस लाने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक परसाई को असम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और नेपाल पुलिस को सौंप दिया। जो उसे झापा ले आई। हालांकि नेपाल और भारत के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि प्रभावी नहीं है। इसलिए असम में परसाई की गिरफ्तारी का खुलासा नहीं किया गया है।
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इससे पहले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के महासचिव धवल शमशेर राणा और उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा सहित पांच दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने इनके खिलाफ राज्य अपराध और संगठित अपराध के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और काठमांडू जिला न्यायालय के आदेश पर उन्हें न्यायिक रिमांड पर ले लिया है। वहीं आरपीपी इन नेताओं और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग कर रही है।
हिंसा में दो लोगों की गई जान
पिछले महीने नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। यह हिंसा नेपाल में फिर से राजशाही की मांग को लेकर हुई।
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