{"_id":"68cf448e6bb085cc190a371b","slug":"nepal-constitution-critical-juncture-and-meeting-demands-of-protesters-challenge-for-interim-government-2025-09-21","type":"story","status":"publish","title_hn":"Nepal: एक दशक बाद नाजुक मोड़ पर देश का संविधान, आंदोलनकारियों की मांगें पूरी करना अंतरिम सरकार के लिए चुनौती","category":{"title":"World","title_hn":"दुनिया","slug":"world"}}
Nepal: एक दशक बाद नाजुक मोड़ पर देश का संविधान, आंदोलनकारियों की मांगें पूरी करना अंतरिम सरकार के लिए चुनौती
अमर उजाला ब्यूरो, काठमांडो
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sun, 21 Sep 2025 05:49 AM IST
सार
नेपाल की अंतरिम सरकार के सामने आंदोलनकारियों ने जो मांगे रखी हैं, उन्हें पूरा करना सरकार के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है और इसके लिए उसे संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। ऐसे में एक दशक पहले लागू हुआ संविधान एक नाजुक मोड़ पर आ गया है।
विज्ञापन
नेपाल में प्रदर्शन (फाइल)
- फोटो : PTI
विज्ञापन
विस्तार
नेपाल में पिछले सप्ताह केवल सरकार ही नहीं, देश का संविधान भी बदला। तत्कालीन केपी शर्मा ओली सरकार के विरुद्ध जेन-जी के आंदोलन के दबाव में अंतरिम सरकार के गठन के लिए सांविधानिक प्रावधानों से अलग मार्ग अपनाना पड़ा। अंतरिम सरकार के सामने आंदोलनकारियों ने जो मांगे रखी हैं, उन्हें पूरा करना सरकार के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है और इसके लिए उसे संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। ऐसे में एक दशक पहले लागू हुआ संविधान एक नाजुक मोड़ पर आ गया है।
Trending Videos
हालांकि, ऐसा नहीं है कि अंतरिम सरकार के सामने संविधान में संशोधन का सवाल एकदम उठा हो। गत वर्ष जुलाई में जब नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी थी तो उनके बीच प्रमुख समझौतों में संविधान संशोधन भी शामिल था। लेकिन एक साल से अधिक समय तक सत्ता में रहने के बाद भी वे कुछ नहीं कर पाए। वर्तमान संविधान 16 सितंबर, 2015 को अपनाया गया था।
विज्ञापन
विज्ञापन
ये भी पढ़ें: H-1B: यूएस में भारतीय दूतावास ने जारी किया इमरजेंसी सहायता नंबर; वीजा शुल्क को लेकर समस्याओं का होगा निदान
अराजकता से बचाने के लिए उठाया कदम
ओली शासन के विरुद्ध युवाओं के विद्रोह से पैदा हालात में राष्ट्रपति पौडेल को देश को अराजकता से बचाने को संविधानेत्तर रास्ते के तहत पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को पीएम बनाना पड़ा है। पहला कार्की सांसद नहीं हैं और दूसरा वह पूर्व न्यायाधीश हैं।
संविधान संशोधन नहीं थी मांग
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध से शुरू हुआ जेन-जी का विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार, कुशासन और सत्ता में बैठे लोगों में जवाबदेही की कमी पर केंद्रित था। बाद में ओली सरकार को हटाना उनकी प्रमुख मांग बन गई। लेकिन संविधान में संशोधन उनकी कभी मांग नहीं रही।
ये भी पढ़ें: US: एरिक सीबर्ट के इस्तीफे की खबरों को ट्रंप ने किया खारिज, बोले- खुद बर्खास्त किया; जानें क्या है पूरा विवाद
राष्ट्रपति ने किया अपने अधिकारों का प्रयोग
राष्ट्रपति पौडेल ने संविधान के अनुच्छेद 61 (4) के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए कार्की को अंतरिम पीएम बनाया। इस तरह यह प्रक्रिया संविधान के दायरे में थी। इसके मुताबिक, राष्ट्रपति का मुख्य कर्तव्य संविधान का पालन-रक्षा करना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कार्की सरकार दायरे में रहकर काम की तो संविधान बचाया जा सकता है। सरकार को भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, समय पर चुनाव व प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राज्य संपत्ति के विनाश की जांच करना है।