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Nepal Crisis: नेपाल में आरोप से घिरे वित्त मंत्री के इस्तीफे से सत्ताधारी गठबंधन की छवि पर दाग, जानें पूरा मामला

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, काठमांडू Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Thu, 07 Jul 2022 10:57 PM IST
सार

ताजा मामले में शर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक संसदीय समिति बनाने का प्रस्ताव बुधवार को संसद में रखा गया। इस प्रस्ताव को संसद ने मंजूरी दे दी। तुरंत इस समिति का गठन कर दिया गया।

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Nepal Crisis The resignation of the Finance Minister surrounded by allegations has tainted the image of the ruling coalition know the whole matter
Nepal Finance Minister Resign - फोटो : Social Media
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विस्तार
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टैक्स दर तय करने में गड़बड़ी के आरोपों से घिरे नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा के इस्तीफे को सत्ताधारी गठबंधन के लिए एक तगड़ा झटका माना जा रहा है। ये घटना उस समय हुई है, जब नेपाल की तमाम राजनीतिक पार्टियां अगले आम चुनाव के समीकरण बैठाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। शर्मा का संबंध कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) से है, लेकिन उनके इस्तीफे को प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के लिए भी झटका माना जा रहा है। 

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शर्मा पर आरोप है कि इस वर्ष मई में अगले वित्त साल का बजट पेश करने से पहले टैक्स दरों में बदलाव के लिए उन्होंने दो अनधिकृत व्यक्तियों की मदद ली। इस तरह उन्होंने वित्तीय अनुशासन को भंग किया। कई विशेषज्ञों ने इसे ‘वित्तीय अपराध’ बताया है। शर्मा ने अपने इस्तीफे का एलान संसद में किया। उन्होंने खुद पर लगे आरोपों का खंडन किया, लेकिन कहा कि वे इस्तीफा दे रहे हैं, ताकि जांच प्रक्रिया निर्बाध ढंग से आगे बढ़ सके। 
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पर्यवेक्षकों के मुताबिक, शर्मा इसके अलावा भी कई विवादों में फंसे हुए थे। ताजा मामले में शर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक संसदीय समिति बनाने का प्रस्ताव बुधवार को संसद में रखा गया। इस प्रस्ताव को संसद ने मंजूरी दे दी। तुरंत इस समिति का गठन कर दिया गया। इसमें मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के चार सांसदों को भी शामिल किया गया है, जबकि इसमें नेपाली कांग्रेस और माओइस्ट सेंटर के दो-दो, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट), जनता समाजवादी पार्टी और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के एक-एक सदस्य को रखा गया है। 

यूएमएल ने इस प्रकरण को बड़ा मुद्दा बना दिया है। इसके जरिए वह पूरे सत्ताधारी गठबंधन को घेर रही है। बुधवार को जब शर्मा ने संसद को संबोधित किया, तो यूएमएल के सदस्य सदन से उठ कर चले गए। यूएमएल यह बात सामने आने के बाद से ही वित्त मंत्री का इस्तीफा मांग रही थी कि उन्होंने टैक्स दरों में बदलाव में दो अनधिकृत व्यक्तियों की मदद ली। 

इस बीच शर्मा के इस्तीफा देने से ठीक पहले वित्त सचिव मधु मारासिनी लंबी छुट्टी पर चले गए। बताया जाता है कि 28 मई (जिस दिन बजट पेश हुआ था) से ठीक पहले वाली रात में वित्त मंत्रालय में मौजूद थे। उनके साथ राजस्व सचिव और दो संयुक्त सचिव भी वहां थे। मारासिनी ने अब तक इस बारे में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
 
ये मामला सामने आने के बाद नेपाली कांग्रेस में प्रधानमंत्री देउबा विरोधी खेमे के नेता भी लगातार शर्मा से इस्तीफे की मांग कर रहे थे। नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने इस बारे में सार्वजनिक बयान भी दिया था। सिविल सोसायटी के कई संगठनों ने भी इसे मुद्दा बना रखा था। उनकी तरफ से कहा गया था कि वित्त मंत्रालय के सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग की पूरी जांच कर यह मालूम किया जाना चाहिए 27-28 मई की रात वित्त मंत्रालय में कौन-कौन मौजूद था।

संघीय और प्रांतीय चुनाव 18 नवंबर को!
इस बीच नेपाल के मुख्य चुनाव आयुक्त दिनेश कुमार थपलिया ने सरकार को 18 नवंबर को संघीय और प्रांतीय चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों के अनुसार, थपलिया के नेतृत्व में चुनाव आयोग के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की और 18 नवंबर को प्रांतीय और संघीय संसद के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव रखा। देउबा ने कहा कि वह इस संबंध में जल्द से जल्द निर्णय लेने के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान इस मामले पर चर्चा करेंगे।

चुनाव आयोग के प्रवक्ता शालिग्राम शर्मा पौडेल ने कहा कि सरकार चुनाव आयोग की सिफारिश के अनुसार तारीख तय करती है। संघीय और प्रांतीय संसदों के सदस्यों का कार्यकाल 8 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रहा है। हालांकि, 2017 में पिछले संघीय और प्रांतीय और स्थानीय चुनाव दो अलग-अलग तारीखों 26 नवंबर और 7 दिसंबर को हुए थे। चुनाव आयोग इस बार एक ही चरण में दो चुनावों का लक्ष्य बना रहा है।

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