Nepal Updates: संसद भंग करने और संविधान में संशोधन की मांग कर रहे 'जेन-जी ग्रुप', प्रदर्शन में अब तक 34 की मौत
नेपाल में हालात अब भी तनावपूर्ण हैं। फिलहाल किसी भी तरह की हिंसा की खबर नहीं है। हालांकि, बीते दिनों जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर लोगों में दहशत है। सेना ने मोर्चा संभाला हुआ है। अगले आदेश तक कर्फ्यू जारी है। इससे पहले कथित भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था।

विस्तार
नेपाल में सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध प्रदर्शन के बीच फैली हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी रोकने के लिए सेना सड़कों पर है। प्रदर्शनों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध के आदेश के साथ कर्फ्यू लगा दिया है। इस बीच आंदोलनकारी अंतरिम सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। इस बीच नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम का प्रस्ताव किया है। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह बालेन ने भी इसका समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पहले बिना देर किए संसद भंग करनी चाहिए और फिर अंतरिम सरकार का गठन किया जाना चाहिए। कई जेन जी एनजीओ ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए हैं।

इस बीच नेपाली सेना, नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल और जेन-जी युवाओं के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत जारी है। Gen Z के नेताओं ने नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वसम्मति से अपना उम्मीदवार चुना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आज की चर्चा में इस निर्णय का औपचारिक रूप से समर्थन किए जाने की संभावना है। कार्की की टीम और सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल सहित सेना नेतृत्व के बीच बातचीत जारी है। बातचीत का सिलसिला शीतल निवास स्थित राष्ट्रपति कार्यालय तक जा सकता है।
पहले जानते हैं नेपाल में अब तक क्या-क्या हुआ?
- नेपाल में जेन-जी समूह के नेतृत्व में दो दिन चले सरकार विरोधी हिंसक आंदोलन में 34 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1300 से ज्यादा लोग घायल हो गए। पुलिस और अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
- संसद भवन की इमारत के सामने विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 19 लोगों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश युवक शामिल थे। काठमांडू के कोटेश्वर इलाके में मंगलवार को भीड़ के हमले में तीन पुलिसकर्मी मारे गए। इसके अलावा कालीमाटी थाने में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में तीन प्रदर्शनकारी मारे गए। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, इन प्रदर्शनों के दौरान कुल 633 लोग घायल हुए हैं।
- नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी व विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा भी प्रदर्शनकारियों के हमले में घायल हो गए।
- नेपाल की सेना ने बुधवार को विरोध प्रदर्शनों की आड़ में संभावित हिंसा को रोकने के लिए देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश और कर्फ्यू लागू कर दिए।
- यह कदम बड़े पैमाने पर सरकारी विरोधी प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के एक दिन बाद उठाया गया है।
- भारत के विदेश मंत्रालय ने सहायता के लिए आपातकालीन नंबर भी साझा किए हैं। काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से +977-980 860 2881 (व्हाट्सएप कॉल भी) और +977-981 032 6134 (व्हाट्सएप कॉल भी) पर संपर्क किया जा सकता है।
- नेपाल की एक जेल में गुरुवार को सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़पों में कम से कम तीन कैदियों की मौत हो गई, जबकि इस हिमालयी राष्ट्र में हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद से देश भर की दो दर्जन से ज्यादा जेलों से 15,000 से ज्यादा कैदी फरार हो गए हैं। ऐसे में अब तक मरने वाले कैदियों की संख्या आठ हो गई है।
- सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने अब तक नेपाल की जेल से भागे 60 कैदियों को गिरफ्तार किया है। इन सभी को भारत-नेपाल सीमा पर विभिन्न चौकियों पर रखा गया है। सभी कैदियों को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया है।
- देश में अंतरिम सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। सेना मुख्यालय में जेन-जी और अफसरों के बीच दूसरे दौर की बातचीत चल रही है। बीते दिन भी करीब नौ घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत का दौर चला था। इस बीच सेना प्रमुख ने राष्ट्रपति को मौजूदा हालात के बारे में अवगत कराया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की भी सेना मुख्यालय पहुंच गई हैं।
- इस बीच खबर है कि जेन-जी के एक समूह ने कार्की के नाम का विरोध किया है। उन्होंने अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए कुलमान घिसिंग के नाम का प्रस्ताव किया है। इसे लेकर सेना मुख्यालय के बाहर जेन-जी समूहों के बीच झड़प भी हुई।
निषेधाज्ञा और कर्फ्यू कल सुबह 6 बजे तक बढ़ा
काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जिलों में निषेधाज्ञा और कर्फ्यू कल सुबह 6 बजे तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, आवश्यक सेवा वाले वाहन और संस्थान चल सकते हैं। नेपाली सेना कि लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए हम अनुरोध करते हैं कि भाद्रपद 26 को सुबह 6 बजे से 9 बजे तक और शाम 5 बजे से 7 बजे तक दैनिक आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध रहें, लेकिन हम आपसे छोटे-छोटे समूहों में काम करने का आग्रह करते हैं।
अब क्या कह रहे जेल-जी
- जेन-जी नेता दिवाकर दंगल ने कहा, 'हम नेतृत्व संभालने के काबिल नहीं हैं और नेतृत्व संभालने के लिए हमें परिपक्व होने में समय लगेगा। हमें तोड़ने की कोशिशें हो रही हैं। पार्टी के कुछ सदस्यों को यह गलतफहमी है कि वे घुसपैठ करके फूट डाल सकते हैं। यह खून-खराबा आपकी (पुराने नेताओं की) वजह से है। अगर लोग खून-खराबा शुरू करेंगे, तो वे बच नहीं पाएंगे। हम खून-खराबा नहीं चाहते। हम संसद भंग करना चाहते हैं, संविधान रद्द नहीं करना चाहते।'
- अनिल बनिया ने कहा, 'हमने यह आंदोलन बुजुर्ग नेताओं से तंग आकर किया था। हमने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, लेकिन राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आगजनी की और फिर बुनियादी ढांचे में तोड़फोड़ की। ऑनलाइन सर्वेक्षणों के जरिए जेन-जी नेताओं ने सुशीला कार्की को वोट दिया। हम संविधान बदलने की कोशिश नहीं कर रहे, बल्कि उसमें जरूरी बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं। छह महीने के भीतर, हम चुनाव लड़ेंगे।'
- जेन-जी नेता जुनल गदल ने कहा कि हमें देश के संरक्षक के रूप में सुशीला कार्की (नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश) को सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में चुनना चाहिए। वहीं, दिवाकर दंगल का कहना है कि हम यह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ कर रहे हैं, क्योंकि यह वाकई है।
बालेन ने क्या कहा...
काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने ट्वीट किया, 'प्रिय जेन-जी और सभी नेपालियों से मेरा अनुरोध है कि देश इस समय एक अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहा है। आप अब एक सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। कृपया इस समय घबराएं नहीं, धैर्य रखें। अब देश को एक अंतरिम सरकार मिलने वाली है, जो देश में नए चुनाव कराएगी। इस अंतरिम सरकार का काम चुनाव कराना और देश को एक नया जनादेश देना है।'
उन्होंने लिखा, 'मैं पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को इस अंतरिम या चुनावी सरकार का नेतृत्व सौंपने के आपके प्रस्ताव का पूर्ण समर्थन करता हूं। मैं आपकी समझ, बुद्धिमत्ता और एकता का तहे दिल से सम्मान करता हूं। इससे पता चलता है कि आप कितने परिपक्व हैं। मैं अपने उन दोस्तों से, जो इस समय नेतृत्व संभालने की जल्दी में हैं, यही कहना चाहता हूं कि देश को आपके जुनून, आपकी सोच और आपकी ईमानदारी की स्थायी रूप से जरूरत है, अस्थायी रूप से नहीं। इसके लिए चुनाव होंगे। कृपया जल्दबाजी न करें।'
उन्होंने आगे लिखा, 'माननीय राष्ट्रपति जी, जेन-जी की ओर से लाई गई ऐतिहासिक क्रांति की रक्षा के लिए एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना चाहिए और संसद को अविलंब भंग किया जाना चाहिए।'
शीला कार्की
नेपाल में युवाओं के प्रदर्शन के समर्थन में एक बड़ी आवाज नेपाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की की रही। उन्होंने युवाओं के प्रदर्शन का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि सरकार की तरफ से प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग के आदेश के बाद खुद सड़कों पर उतर कर आंदोलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने सरकार की कार्रवाई को 'हत्या' करार दिया।बताया गया है कि युवाओं ने प्रदर्शन रोकने के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम तौर पर नेपाल की सत्ता सौंपने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया। दरअसल, कार्की ने कहा था कि अगर 1000 युवा उनके पक्ष में हस्ताक्षर करेंगे तो ही वे सरकार की जिम्मेदारी संभालेंगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पक्ष में 2500 से ज्यादा वोट पड़े।
भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से की पढ़ाई
कार्की का जन्म सात जून 1952 को विराटनगर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके अलावा उन्होंने कानून की पढ़ाई नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सटी से की। इसके बाद वकालत और कानूनी सुधारों के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत की। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की, जिनमें चुनावी विवाद भी शामिल थे।

बालेंद्र (बालेन) शाह
सिविल इंजीनियर-रैप आर्टिस्ट से नेता तकबालेन शाह काठमांडू के 15वें मेयर हैं। बालेन पेशे से सिविल इंजीनियर और रैपर भी रहे हैं। बालेन शाह ने साल 2022 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में काठमांडू मेयर चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया था। बालेन शाह लोगों के बीच, खासकर युवा पीढ़ी में खासे लोकप्रिय हैं। बालेन शाह अपने समर्थकों से जुड़ने के लिए पारंपरिक मीडिया के बजाय सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय रहते हैं, जिससे युवा पीढ़ी उनसे जुड़ी।
भारत से की है इंजीनियरिंग की पढ़ाई
बालेंद्र (बालेन) का छात्र जीवन में भारत से भी रिश्ता रहा है। उन्होंने इजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर्नाटक से की है। संगीतकार, रैपर, कवि, इंजीनियर से नेता बने शाह का नाम देश के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चला। बालेंद्र का जन्म 27 अप्रैल, 1990 को काठमांडू के नरदेवी में एक मैथिल मूल के मधेशी परिवार में हुआ। उनके पिता राम नारायण शाह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। उनके पिता आयुर्वेदिक अस्पताल में तैनाती के बाद मधेश प्रांत के महोत्तरी जिले से काठमांडू आए थे। बालेन शाह ने 12वीं की पढ़ाई वीएस निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल से की। उन्होंने हिमालयन व्हाइटहाउस इंटरनेशनल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की और बाद में कर्नाटक में विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी (वीटीयू) से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की।
टाइम मैगजीन ने उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया
साल 2023 में टाइम मैगजीन ने शाह को टॉप 100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया था, जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी उनकी तारीफ की। बालेन शाह की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें नेपाल की राजनीति में नई उम्मीद माना जा रहा है। जेनजी के प्रदर्शन को लेकर उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि 'भले ही वे आयु सीमा (28 वर्ष से कम) के कारण प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन उनकी पूरी सहानुभूति और समर्थन प्रदर्शनकारियों के साथ है।' उन्होंने राजनीतिक दलों और नेताओं से आंदोलन का दुरुपयोग न करने की अपील भी की।
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ओली से रही बालेन शाह की अदावत
बालेन शाह को केपी शर्मा ओली का विरोधी माना जाता है। दोनों के बीच अदावत की वजह थी कि बीते साल काठमांडू मेट्रोपोलिटन सिटी ने नियमों का पालन नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इस कार्रवाई की जद में कई नेता भी आए। ऐसे में काठमांडू मेट्रोपोलिटन सिटी का विरोध शुरू हो गया। बालेन शाह ने इसके लिए पीएम केपी शर्मा ओली पर निशाना साधा। इसके बाद मेट्रोपोलिटन सिटी के हजारों कर्मचारियों को कई महीनों तक सैलरी नहीं मिली थी। बालेन शाह ने इन कर्मचारियों को समर्थन दिया था और सरकार को चेतावनी दे डाली थी। इस मामले को लेकर खूब विवाद हुआ और बालेन शाह लोगों की नजरों में आ गए। नेपाली जनता भ्रष्टाचार के चलते राजनीतिक दलों से नाराज चल रही है, लेकिन बालेन शाह किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं हैं और ये बात भी उनके पक्ष में जाती है।

नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने वर्तमान स्थिति पर एक विज्ञप्ति जारी की है। इसमें कहा गया है, 'आदरणीय नेपाली भाइयों और बहनों, मैं देश की वर्तमान कठिन परिस्थिति से संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान निकालने, लोकतंत्र की रक्षा करने और देश में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हूं। मैं सभी पक्षों से अपील करता हूं कि वे आश्वस्त रहें कि आंदोलनकारी नागरिकों की मांगों को पूरा करने के लिए समस्या का यथाशीघ्र समाधान निकाला जा रहा है और देश में शांति-व्यवस्था बनाए रखने में संयम के साथ सहयोग करें।'
नेपाल संकट: कोलकाता में तैनात नेपाली अधिकारी परिवारों से जुड़े
नेपाल में तीन दिन पहले भड़की हिंसा के बाद लगातार बेचैनी में रहे कोलकाता स्थित नेपाल के वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने गुरुवार को राहत की सांस ली। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध हटने के बाद संचार सेवाएं बहाल हो गईं, जिससे अधिकारी अपने परिवारों से दोबारा संपर्क कर सके। नेशनल लाइब्रेरी एवेन्यू, अलीपुर स्थित दूतावास में तैनात सात अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि आने वाले कुछ दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने जब अपने परिवार से बात की और जाना कि वे सुरक्षित हैं, तो हमें बड़ी राहत मिली। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा सिर्फ भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ था।' उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वे भारी तनाव में थे क्योंकि किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा था। 'अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और हम कॉल या मैसेज कर पा रहे हैं।' दूसरे अधिकारी, जो पांच साल से कोलकाता में तैनात हैं, ने कहा, 'पिछले 24 घंटों में हालात काफी सुधरे हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही अस्थायी सरकार बनेगी और फिर एक मजबूत सरकार का गठन होगा।'
जेन-जी के प्रतिनिधि दिवाकर डंगाल, अमित बनिया और जुनाल डंगाल ने कहा कि पुरानी राजनीतिक पार्टियां इस आंदोलन का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश न करें। एक कार्यकर्ता ने कहा, 'यह आंदोलन पूरी तरह नागरिकों का है, इसमें राजनीति न करें।' दिवाकर डंगाल ने कहा, 'हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता और एकता को बचाने की चुनौती है। सभी नेपाली लोगों को मिलकर देश के हित में खड़ा होना होगा।' ग्रुप का कहना है कि वे संविधान को खत्म नहीं करना चाहते, लेकिन इसमें बड़े बदलाव चाहते हैं ताकि जनता की चिंताओं को शामिल किया जा सके।
कुछ कार्यकर्ताओं ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को नया प्रधानमंत्री बनाने का सुझाव दिया, जबकि कुछ ने नेपाल बिजली प्राधिकरण के पूर्व सीईओ कुलमान घिसिंग का नाम आगे बढ़ाया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे खुद सत्ता में नहीं आएंगे, बल्कि सिर्फ निगरानी की भूमिका निभाएंगे। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। देशभर के अस्पतालों में 1,338 लोग इलाज करा रहे हैं, जबकि 949 लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।
भारत-नेपाल सीमा की रक्षा में तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर विभिन्न स्थानों से लगभग 60 लोगों को पकड़ा है। अधिकारियों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर नेपाली हैं जिनके बारे में शक है कि ये आंदोलन के दौरान जेल से भागे हुए कैदी हो सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि एसएसबी के जवानों ने पिछले दो दिनों में उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमावर्ती चौकियों से इन्हें पकड़ा है। उन्हें संबंधित राज्य पुलिस बलों को सौंप दिया गया है और पूछताछ की जा रही है। इनमें से दो या तीन ने भारतीय होने का दावा किया है और इस तथ्य की पुष्टि की जा रही है। नेपाल में मंगलवार को हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से दो दर्जन से ज्यादा जेलों से 15,000 से ज्यादा कैदी फरार हो गए हैं।
गृह मंत्रालय के तहत आने वाला एसएसबी भारत के पूर्वी हिस्से में 1,751 किलोमीटर लंबे बिना बाड़ वाले भारत-नेपाल सीमा की रक्षा करता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में इसकी लगभग 50 बटालियनें, यानी लगभग 60,000 कर्मी तैनात हैं। यह सभी राज्य नेपाल के साथ सीमा साझा करते हैं। नेपाल में चल रहे घटनाक्रम के मद्देनजर सीमा पर भारतीय बलों ने चौकसी बढ़ा दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, एसएसबी अपने नेपाली समकक्ष एपीएफ के संपर्क में है। सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वतंत्र फ्लैग मार्च के अलावा एपीएफ के साथ संयुक्त गश्त भी की जा रही है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि भारतीय पक्ष नेपाल में हाल के घटनाक्रमों से उत्पन्न किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। नेपाल को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया गया है और दोनों देशों के नागरिकों को, वैध पहचान पत्र के साथ, सीमा पार करने की अनुमति दी जा रही है।
नेपाल की राजधानी में सोमवार व मंगलवार को भारी हिंसा के बाद सेना की ओर से लगाया गया कर्फ्यू गुरुवार को भी जारी रहा। शहर की सूनी सड़कों पर सैनिक लगातार गश्त करते रहे और लोगों को घरों के अंदर रहने की हिदायत दी। इस दौरान सेना ने कर्फ्यू से छूट वाले वाहनों और पैदल चलने वालों की जांच की। नेपाली सेना ने एक बयान जारी कर कहा, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडो सहित कई शहरों में लगा कर्फ्यू शुक्रवार सुबह तक जारी रहेगा।
सेना ने गुरुवार को काठमांडू घाटी के तीन जिलों में निषेधाज्ञा बढ़ा दी और कुछ समय के लिए लोगों की आवाजाही की अनुमति दी है। सेना ने बताया काठमांडू घाटी के तीन जिलों काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर में सुबह 6 बजे से कर्फ्यू में ढील दी गई है। हालांकि आम जनता को आवश्यक कार्यों के लिए कुछ घंटों की आवाजाही की अनुमति देने के बाद, प्रतिबंधात्मक आदेश सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक लागू रहेंगे। शाम 5 बजे से 7 बजे तक ढील के बाद, शुक्रवार शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू रहेगा। इस बीच, कर्फ्यू में ढील मिलते ही लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए बाजारों, दुकानों और किराने की दुकानों की ओर दौड़ पड़े। हालांकि सड़कों पर इक्का-दुक्का वाहन ही दिखे।
पूरे देश में तकरीबन स्थिति शांतिपूर्ण रही। हालांकि काठमांडू के दक्षिण-पूर्व में एक जेल से कैदियों के भागने की कोशिश को सेना ने नाकाम कर दिया। इस दौरान सेना ने गोली चलाई जिसमें तीन कैदियों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घायल हैं। इन मौतों के साथ नेपाल में सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में मरने वाले कैदियों की संख्या आठ पहुंच गई है। इस बीच जेन जी के एक नेता अनिल बनिया ने कहा, हमने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, लेकिन राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आगजनी की और फिर बुनियादी ढांचे में तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारी नेता शासन में संस्थागत भ्रष्टाचार और पक्षपात को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेह और पारदर्शी हो।
त्रिभुवन हवाईअड्डे से संचालन शुरू
काठमांडू स्थित त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (टीआईए) ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों के कारण 24 घंटे बंद रहने के बाद बुधवार शाम से अपनी सेवाएं फिर से शुरू कर दीं।
नेपाल में जारी अशांति के बीच आंध्र प्रदेश सरकार ने वहां फंसे नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। गुरुवार को सरकार ने बताया कि काठमांडू हवाईअड्डे पर 150 से अधिक तेलुगु लोगों को बोर्डिंग पास जारी किए गए हैं। वहीं, सिमिकोट में फंसे 12 लोग नेपालगंज के रास्ते सुरक्षित भारत लौट आए हैं।
सरकार ने पोखरा में फंसे 10 यात्रियों को चार्टर विमान से काठमांडू पहुंचाया। इसके बाद दिल्ली से भेजा गया विशेष विमान काठमांडू पहुंचा, जो फंसे यात्रियों को विशाखापट्टनम और विजयवाड़ा लाएगा। इससे पहले 22 लोग बस से बिहार के मोतिहारी पहुंचे थे। विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास के सहयोग से यह अभियान चलाया जा रहा है। मंत्री लोकेश ने हवाईअड्डों पर लौटने वालों के गर्मजोशी से स्वागत और सुरक्षित घर पहुंचाने के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए।