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Afghanistan: अफगानिस्तान में सैन्य ठिकाने बनाने की योजना का विरोध, PAK-चीन समेत इन देशों ने जारी किया बयान

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद Published by: हिमांशु चंदेल Updated Sat, 27 Sep 2025 11:03 PM IST
सार

पाकिस्तान, चीन, ईरान और रूस ने अफगानिस्तान में सैन्य ठिकानों की योजना का विरोध किया है। चारों देशों ने नाटो को अफगान स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। आतंकवाद, शरणार्थियों की वापसी और महिलाओं के अधिकारों पर जोर दिया गया। उन्होंने समावेशी शासन और कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन किया।

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Opposition plan to build military bases in Afghanistan Pakistan China iran russia issued joint statement
जिनपिंग और शहबाज - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
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अफगानिस्तान में या उसके आसपास किसी भी सैन्य ठिकाने स्थापित करने की योजना को लेकर पाकिस्तान, चीन, ईरान और रूस ने कड़ा विरोध जताया है। इन देशों ने संयुक्त रूप से अफगानिस्तान की सार्वभौमिकता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता का सम्मान करने का आह्वान किया है।
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यह फैसला चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस के विदेश मंत्रियों की चौथी चतुर्पक्षीय बैठक में लिया गया। बैठक न्यूयॉर्क में 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा के अवसर पर हुई। संयुक्त बयान में चारों देशों ने नाटो सदस्य देशों को अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति के लिए मुख्य जिम्मेदार ठहराया और आर्थिक सुधार व विकास के अवसर देने पर जोर दिया।
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आतंकवाद से सुरक्षा की चिंता
चारों देशों ने क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों जैसे आईएसआईएल, अल-कायदा, टीटीपी, बीएलए और मजीद ब्रिगेड के खतरे पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अफगान अधिकारियों से इन समूहों को समाप्त करने, हथियार और वित्तपोषण की पहुंच रोकने, प्रशिक्षण शिविर बंद करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया।

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शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी और समावेशी शासन
चारों देशों ने अफगान शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी, समावेशी शासन और महिलाओं व लड़कियों के शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक अवसरों की सुरक्षा पर जोर दिया। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में स्थिरता केवल समावेशी शासन और विकास से ही संभव है।

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राजनीतिक समाधान और कूटनीति का समर्थन
चारों देशों ने अफगान मुद्दे के राजनीतिक समाधान के लिए सभी कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन किया। उन्होंने मास्को फॉर्मेट, अफगान पड़ोसी देशों की बैठक और शंघाई सहयोग संगठन की भूमिका को सकारात्मक बताया। इन देशों का संयुक्त बयान न केवल अफगानिस्तान में सैन्य ठिकानों के खिलाफ है, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और विकास के लिए एक सशक्त संदेश भी है। उन्होंने सभी पक्षों से शांति और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।

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