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Pakistan: पूर्व नौकरशाह लियाकत अली चट्ठा बोले- शर्मिंदा हूं; धांधली कर 13 नेताओं की जबरन जीत वाले बयान से पलटे
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Thu, 22 Feb 2024 10:14 PM IST
सार
पाकिस्तान के वरिष्ठ नौकरशाह लियाकत अली चट्ठा ने अपने आरोपों को वापस ले लिया है। उन्होंने कहा कि वे अपने दावों पर बेहद शर्मिंदा हैं। आम चुनाव 2024 में धांधली के आरोप लगाते हुए चट्ठा ने कहा था कि रावलपिंडी शहर के 13 उम्मीदवारों को चुनावों में जबरदस्ती विजेता घोषित किया गया था।
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पाकिस्तान में रावलपिंडी के पूर्व कमिश्नर लियाकत अली चट्ठा (फाइल)
- फोटो : ANI
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विस्तार
पाकिस्तान के आम चुनाव 2024 में बड़े पैमाने पर धांधली और चुनाव परिणाम में हेरफेर का दावा करने वाले पूर्व नौकरशाह अपने आरोपों से मुकर गए हैं। रावलपिंडी के पूर्व कमिश्नर लियाकत अली चट्ठा ने कहा कि वह अपने दावों पर बेहद शर्मिंदा हैं। गुरुवार को चट्ठा के बयान पर जियो न्यूज की रिपोर्ट आई। इसके मुताबिक चट्ठा ने कहा, 'मैं अपने काम की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। किसी भी कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार...। अधिकारियों के सामने आत्म समर्पण करता हूं।'
पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) को लिखे पत्र में गुरुवार को चट्ठा ने कहा, चुनावी धांधली और 13 नेताओं को जबरन विजेता घोषित करने का बयान जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के साथ मिलकर रची गई कहानी का हिस्सा है। पूर्व नौकरशाह लियाकत अली चट्ठा के मुताबिक पीटीआई ने ऐसा करने के बदले उन्हें फायदेमंद ओहदा दिलाने का वादा किया था। 32 साल तक सिविल सेवक रहे चट्ठा ने कहा कि 8 फरवरी के आम चुनाव में मतदान के बाद, उन्होंने 11 फरवरी को गुप्त रूप से लाहौर की यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्होंने अपने इस्तीफे में पूरी कहानी बयां करने की बात सोची, लेकिन पीटीआई इससे सहमत नहीं थी।
उन्होंने कहा कि पीटीआई नेता को उनका आइडिया पसंद नहीं आया, क्योंकि लिखित इस्तीफे से कोई सनसनी पैदा नहीं होगी। विस्तृत चर्चा के बाद पीटीआई के सीनियर नेताओं से परामर्श और अनुमोदन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की सहमति बनी। प्रेस कॉन्फ्रेंस मकसद पीटीआई की तरफ से गढ़ी जा रही झूठी कहानियों को बढ़ावा देकर सनसनी पैदा करना था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा का नाम आम जनता में अविश्वास पैदा करने के लिए लिया गया। लियाकत अली चट्ठा ने साफ किया कि पूरी चुनाव प्रक्रिया में मुख्य न्यायाधीश की कोई भूमिका नहीं थी। इसी तरह, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा का नाम भी पाकिस्तान की पूरी चुनाव प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा करने के मकसद से लिया गया।
बकौल चट्ठा, पीटीआई की तरफ से उन्हें प्रस्ताव दिया कि अगर वे चुनावों में धांधली और देश के संस्थानों (सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग) को बदनाम करने में पीटीआई के अभियान का समर्थन करें तो भविष्य में उन्हें आकर्षक पद मिलेगा। पीटीआई नेता ने उन्हें बताया कि पूरी योजना पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के परामर्श और अनुमोदन के बाद तैयार की गई। चट्ठा के मुताबिक वे रिटायर होने वाले हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें लाभ पहुंचाने वाला ऑफर दिया गया। उन्होंने कहा कि 32 वर्षों तक सेवा देने के बाद, किसी भी सिविल सेवक के लिए सभी भत्तों, विशेषाधिकारों और प्राधिकारों को छोड़ना स्वाभाविक रूप से कठिन है।
चट्ठा ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी तरह झूठे, मनगढ़ंत, राज्य विरोधी और दुर्भावनापूर्ण बयान देने के लिए वे बेहद शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। उनकी इस हरकत के कारण पूरी नौकरशाही बिरादरी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। बता दें कि शनिवार को चट्ठा ने चुनाव परिणाम में हेरफेर की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया में हुए तमाम गलत काम की जिम्मेदारी लेते हुए वे पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने धांधली में मुख्य चुनाव आयुक्त और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश को भी संलिप्त बताया था।
चट्ठा के इस बयान के बाद पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- एक्स पर जारी एक पोस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पर चुनावों को विवादास्पद बनाने की साजिश रचने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा, पीटीआई को शर्म आनी चाहिए। हर दुष्प्रचार के पीछे पीटीआई ही है। उन्होंने चुनावों को विवादास्पद बनाने की कोशिश की! पाकिस्तान की छवि खराब की।
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पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) को लिखे पत्र में गुरुवार को चट्ठा ने कहा, चुनावी धांधली और 13 नेताओं को जबरन विजेता घोषित करने का बयान जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के साथ मिलकर रची गई कहानी का हिस्सा है। पूर्व नौकरशाह लियाकत अली चट्ठा के मुताबिक पीटीआई ने ऐसा करने के बदले उन्हें फायदेमंद ओहदा दिलाने का वादा किया था। 32 साल तक सिविल सेवक रहे चट्ठा ने कहा कि 8 फरवरी के आम चुनाव में मतदान के बाद, उन्होंने 11 फरवरी को गुप्त रूप से लाहौर की यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्होंने अपने इस्तीफे में पूरी कहानी बयां करने की बात सोची, लेकिन पीटीआई इससे सहमत नहीं थी।
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उन्होंने कहा कि पीटीआई नेता को उनका आइडिया पसंद नहीं आया, क्योंकि लिखित इस्तीफे से कोई सनसनी पैदा नहीं होगी। विस्तृत चर्चा के बाद पीटीआई के सीनियर नेताओं से परामर्श और अनुमोदन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की सहमति बनी। प्रेस कॉन्फ्रेंस मकसद पीटीआई की तरफ से गढ़ी जा रही झूठी कहानियों को बढ़ावा देकर सनसनी पैदा करना था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा का नाम आम जनता में अविश्वास पैदा करने के लिए लिया गया। लियाकत अली चट्ठा ने साफ किया कि पूरी चुनाव प्रक्रिया में मुख्य न्यायाधीश की कोई भूमिका नहीं थी। इसी तरह, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा का नाम भी पाकिस्तान की पूरी चुनाव प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा करने के मकसद से लिया गया।
बकौल चट्ठा, पीटीआई की तरफ से उन्हें प्रस्ताव दिया कि अगर वे चुनावों में धांधली और देश के संस्थानों (सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग) को बदनाम करने में पीटीआई के अभियान का समर्थन करें तो भविष्य में उन्हें आकर्षक पद मिलेगा। पीटीआई नेता ने उन्हें बताया कि पूरी योजना पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के परामर्श और अनुमोदन के बाद तैयार की गई। चट्ठा के मुताबिक वे रिटायर होने वाले हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें लाभ पहुंचाने वाला ऑफर दिया गया। उन्होंने कहा कि 32 वर्षों तक सेवा देने के बाद, किसी भी सिविल सेवक के लिए सभी भत्तों, विशेषाधिकारों और प्राधिकारों को छोड़ना स्वाभाविक रूप से कठिन है।
चट्ठा ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी तरह झूठे, मनगढ़ंत, राज्य विरोधी और दुर्भावनापूर्ण बयान देने के लिए वे बेहद शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। उनकी इस हरकत के कारण पूरी नौकरशाही बिरादरी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। बता दें कि शनिवार को चट्ठा ने चुनाव परिणाम में हेरफेर की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया में हुए तमाम गलत काम की जिम्मेदारी लेते हुए वे पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने धांधली में मुख्य चुनाव आयुक्त और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश को भी संलिप्त बताया था।
चट्ठा के इस बयान के बाद पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पार्टी- पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- एक्स पर जारी एक पोस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पर चुनावों को विवादास्पद बनाने की साजिश रचने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा, पीटीआई को शर्म आनी चाहिए। हर दुष्प्रचार के पीछे पीटीआई ही है। उन्होंने चुनावों को विवादास्पद बनाने की कोशिश की! पाकिस्तान की छवि खराब की।