Semiconductor: भारत को चिप निर्माता महाशक्ति बनाने के अभियान में जुटे पीएम, जानिए इससे देश को क्या होगा फायदा
पीएम मोदी ने 28 जुलाई को गुजरात में सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन-2023 के उद्घाटन के दौरान दुनियाभर के चिप निर्माताओं को भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण से जुड़ने का आमंत्रण देते हुए कहा कि भारत किसी को निराश नहीं करता।
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पूरी दुनिया सिलिकॉन सेमीकंडक्टर (चिप) के मामले में चीन पर निर्भरता खत्म करना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की इस इच्छा को भारत के लिए एक संकल्प में बदलते हुए देश को चिप निर्माता महाशक्ति बनाने को महत्वाकांक्षी अभियान बना दिया है।
पीएम मोदी ने 28 जुलाई को गुजरात में सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन-2023 के उद्घाटन के दौरान दुनियाभर के चिप निर्माताओं को भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण से जुड़ने का आमंत्रण देते हुए कहा कि भारत किसी को निराश नहीं करता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि दुनियाभर की कंपनियां तो भारत में आकर चिप बनाएं ही, साथ ही भारत खुद अपनी चिप विकसित करे। भारत की चिप बनाने में सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्धा चीन से है, जो पिछले तीन दशकों से निवेश के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।
70% तक अनुदान दे रही सरकार
भारत को चिप निर्माण की महाशक्ति बनाने का सपना गुजरात के धोलेरा की बंजर जमीन पर आकार लेने लगा है। जहां चिप निर्माण से जुड़ी कंपनियों को निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए 70 फीसदी तक अनुदान का विकल्प दिया जा रहा है। भारतीय मूल के ब्रिटिश उद्यमी वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने एलान किया है कि 2025 तक पूरी रह से भारत में निर्मित चिप को दुनिया के सामने पेश किया जाएगा।
सिंगापुर जितनी जगह में आकार ले रहा सेमीकॉन स्वप्न
सिंगापुर के आकार जितनी जगह पर आकार ले रही भारत की पहली सेमीकॉन सिटी में गुजरात सरकार तेजी से बुनियादी ढांचागत सुविधाएं तैयार कर रही है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट, चौड़ी सड़कें, बिजली सहित हर वह सुविधा यहां विकसित की जा रही है, जो किसी आधुनिक शहर में होनी चाहिए। मंत्री वैष्णव कहते हैं कि भारत के सबसे बड़े रासायनिक संयंत्र धोलेरा के पास हैं और किसी भी चिप फैब को चलाने के लिए जरूरी विशेष गैसों और तरल पदार्थों को पंप कर सकते हैं।
मोबाइल असेंबलिंग जितना आसान नहीं
चिप डिजाइनिंग में तो भारतीय कंपनियां लंबे समय से लगी हैं लेकिन, चिप बनाना पूरी तरह से अलग काम है। हालांकि, पीएम मोदी 2020 से ही उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) के जरिये देश में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं और इसका नतीजा भी सामने है कि भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन गया है। हालांकि, चिप निर्माण मोबाइल की असेंबलिंग जितना आसान काम नहीं है।
अमेरिका के लिए भी मुश्किल
आज लगभग सभी अत्याधुनिक लॉजिक चिप ताइवान में बनाये जाते हैं। ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) की स्थापना 1987 में चिप लीजेंड मॉरिस चांग ने की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भी एरिजोना राज्य मे चिप निर्माण के लिए अनुदान की योजना तैयार की है, लेकिन वहां भी चिप निर्माण के फैब्रिकेशन प्लांट यानी फैब्स की योजना पूरी नहीं हो पा रही है। जबकि, अमेरिका पहले खुद सबसे बड़ा चिप निर्माता रहा है। दूसरी तरफ भारत में चिप फैबिंग का कोई इतिहास नहीं है। यहां तक कि इसे शुरू करने के लिए जरूरी अतिविशिष्ट इंजीनियरिंग या उपकरण भी मौजूद नहीं है। फिर भी कहा जा रहा है कि 2025 तक भारत में चिप निर्माण शुरू हो जाएगा।
तीन गुना तक दिया जा रहा वेतन
वेदांता ने देश की पहली सेमीकंडक्टर फैक्टरी बनाने के लिए डेविड रीड को नियुक्त किया है। रीड ने ताइवान और अमेरिका की तमाम चिप कंपनियों में काम किया है। वे अपने पुराने संपर्कों का इस्तेमाल कर दुनियाभर से चिप निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों की टीम बना रहे हैं। वेदांता की तरफ से इन विशेषज्ञों को तीन गुना तक वेतन दिया जा रहा है। अब तक 300 विदेशियों ने वेदांता के गुजरात स्थित कॉम्प्लेक्स में सेवाएं देना शुरू कर दिया है। इन विशेषज्ञों के साथ इतनी ही संख्या में स्थानीय इंजीनियरों को भी भर्ती किया जा रहा है, ताकि भविष्य में नेतृत्व भारतीय इंजीनियरों को सौंपा जा सके।