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Maharashtra: 10 दिन बाद ओबीसी कार्यकर्ताओं ने अनशन रोका, कहा- मांग पूरी नहीं तो फिर शुरू करेंगे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: मेघा झा
Updated Sat, 22 Jun 2024 06:30 PM IST
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सार
महाराष्ट्र के जालना में अनशन पर बैठे दो ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेके और नवनाथ वाघमारे ने शनिवार को दस दिन बाद अनशन खत्म किया। सरकारी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि हम विरोध अस्थायी रूप से स्थगित कर रहे हैं। हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तो इसे फिर से शुरू करेंगे।

लक्ष्मण हेक और नवनाथ वामघारे
- फोटो : pti

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विस्तार
महाराष्ट्र में दस दिनों से अनशन पर बैठे दो ओबीसी कार्यकर्ताओं का अनशन सरकारी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद समाप्त किया गया। लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि अनशन फिर से शुरू किया जा सकता है, अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया।
दरअसल 13 जून से दो अन्य पिछड़ा वर्ग कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे। इनसे पहले मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे जालना में मराठा आरक्षण को लेकर अनशन कर रहे थे। अनशन पर ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेके और नवनाथ वाघमारे बैठे थे। शनिवार को महाराष्ट्र सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने अनशन समाप्त करने के बाद कहा कि हम अनशन अस्थायी रूप से स्थगित कर रहे हैं, अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती तो हम इसे फिर से शुरू करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार की मसौदा अधिसूचना पर आपत्तियों के बारे में एक "श्वेत पत्र" जारी किया जाना चाहिए। जिसमें 'ऋषि-सोयारे' या मराठों के रिश्तेदारों को कुनबी प्रमाण पत्र देने की बात कही गई है, जिन्होंने पहले ही अपनी कुनबी स्थिति स्थापित कर ली है। बता दें कि कुनबी एक कृषि प्रधान ओबीसी समुदाय है। 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में मंत्री छगन भुजबल, अतुल सावे, गिरीश महाजन, धनंजय मुंडे, उदय सामंत और विधान परिषद सदस्य गोपीचंद पडलकर शामिल थे। खुद एक प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल ने बताया कि 29 जून को कोटा मुद्दे पर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हेक और वाघमारे को आमंत्रित किया गया था।
मुंबई में शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ओबीसी कोटा को कुछ नहीं किया जाएगा। कुछ मराठों को जारी किए गए फर्जी कुनबी प्रमाण पत्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि मनोज जारंगे और उनके सहयोगी मराठों के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं, इस मांग का ओबीसी नेता विरोध कर रहे हैं। भुजबल ने मराठा समुदाय से ओबीसी दर्जे का दावा करने के बजाय सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अलग से आरक्षण की मांग करने का आग्रह किया। वरिष्ठ एनसीपी नेता का कहना है कि "हमारा हिस्सा मत छीनिए।" उन्होंने कहा कि आरक्षण सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए है, गरीबी उन्मूलन के लिए नहीं।
उन्होंने अपने कैबिनेट सहयोगी गिरीश महाजन की भी प्रशंसा की। गिरीश महाजन ने कहा कि 'ऋषि-सोयारे' पर मसौदा अधिसूचना कानूनी जांच में टिक नहीं पाएगी। ओबीसी समुदायों को एकजुट रहने के लिए कहते हुए भुजबल ने कहा कि "हम अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे।" उन्होंने आरोप लगाया कि 'कुछ व्यक्तियों' ने बीड लोकसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार और ओबीसी नेता पंकजा मुंडे को हराने की साजिश रची। मुंडे अपने निकटतम एनसीपी (एसपी) प्रतिद्वंद्वी से हार गईं। भुजबल ने जाति जनगणना की मांग भी दोहराई और दावा किया कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसका समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, "हम अपनी आबादी के हिसाब से राज्य विधानसभाओं और संसद में जाति जनगणना और आरक्षण की मांग करते हैं, जो कि 54 प्रतिशत है।" वरिष्ठ नेता ने कहा कि जरांगे "नहीं जानते कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं।"
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दरअसल 13 जून से दो अन्य पिछड़ा वर्ग कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे। इनसे पहले मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे जालना में मराठा आरक्षण को लेकर अनशन कर रहे थे। अनशन पर ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेके और नवनाथ वाघमारे बैठे थे। शनिवार को महाराष्ट्र सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने अनशन समाप्त करने के बाद कहा कि हम अनशन अस्थायी रूप से स्थगित कर रहे हैं, अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती तो हम इसे फिर से शुरू करेंगे।
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उन्होंने कहा कि सरकार की मसौदा अधिसूचना पर आपत्तियों के बारे में एक "श्वेत पत्र" जारी किया जाना चाहिए। जिसमें 'ऋषि-सोयारे' या मराठों के रिश्तेदारों को कुनबी प्रमाण पत्र देने की बात कही गई है, जिन्होंने पहले ही अपनी कुनबी स्थिति स्थापित कर ली है। बता दें कि कुनबी एक कृषि प्रधान ओबीसी समुदाय है। 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में मंत्री छगन भुजबल, अतुल सावे, गिरीश महाजन, धनंजय मुंडे, उदय सामंत और विधान परिषद सदस्य गोपीचंद पडलकर शामिल थे। खुद एक प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल ने बताया कि 29 जून को कोटा मुद्दे पर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हेक और वाघमारे को आमंत्रित किया गया था।
मुंबई में शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ओबीसी कोटा को कुछ नहीं किया जाएगा। कुछ मराठों को जारी किए गए फर्जी कुनबी प्रमाण पत्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि मनोज जारंगे और उनके सहयोगी मराठों के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं, इस मांग का ओबीसी नेता विरोध कर रहे हैं। भुजबल ने मराठा समुदाय से ओबीसी दर्जे का दावा करने के बजाय सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अलग से आरक्षण की मांग करने का आग्रह किया। वरिष्ठ एनसीपी नेता का कहना है कि "हमारा हिस्सा मत छीनिए।" उन्होंने कहा कि आरक्षण सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए है, गरीबी उन्मूलन के लिए नहीं।
उन्होंने अपने कैबिनेट सहयोगी गिरीश महाजन की भी प्रशंसा की। गिरीश महाजन ने कहा कि 'ऋषि-सोयारे' पर मसौदा अधिसूचना कानूनी जांच में टिक नहीं पाएगी। ओबीसी समुदायों को एकजुट रहने के लिए कहते हुए भुजबल ने कहा कि "हम अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे।" उन्होंने आरोप लगाया कि 'कुछ व्यक्तियों' ने बीड लोकसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार और ओबीसी नेता पंकजा मुंडे को हराने की साजिश रची। मुंडे अपने निकटतम एनसीपी (एसपी) प्रतिद्वंद्वी से हार गईं। भुजबल ने जाति जनगणना की मांग भी दोहराई और दावा किया कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसका समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, "हम अपनी आबादी के हिसाब से राज्य विधानसभाओं और संसद में जाति जनगणना और आरक्षण की मांग करते हैं, जो कि 54 प्रतिशत है।" वरिष्ठ नेता ने कहा कि जरांगे "नहीं जानते कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं।"