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क्या दूसरे अहमदीनेजाद साबित होंगे जलीली?

बीबीसी Updated Thu, 13 Jun 2013 06:51 PM IST
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will saeed jalili become second mahmoud ahmadinejad
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ईरान में 14 जून यानी शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव में ईरान के शीर्ष परमाणु वार्ताकार सईद जलीली, मोहम्मद बाकर कालिबफ और सुधारवादी हसन रहानी के बीच कड़ी टक्कर है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन उम्मीदवारों में से सईद जलीली की उम्मीदवारी सबसे मज़बूत मानी जा रही है।

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राष्ट्रपति चुनाव में इस बार ये सवाल उभर रहा है कि यदि जलीली चुनाव जीत जाते हैं तो वो किन मायनों में वर्तमान राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद से अलग साबित होंगे?
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सईद जलीली कई मायनों में 2005 के अहमदीनेजाद के बेहद करीब नज़र आते हैं।

शुरुआती जीवन
अमदीनेजाद की ही तरह जलीली भी ईरान की 1979 क्रांति की दूसरी पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं। पूर्व राष्ट्रपति की ही तरह जलीली 1979 क्रांति के बाद अर्द्धसैनिक बल ‘बसीज’ में शामिल हो गए थे। उन्होंने ईरान-इराक युद्ध में भी हिस्सा लिया था।

दोनों राजनेता धार्मिक मामलों पर काफी हद तक एक जैसी सोच रखते हैं।

‘शर्क’ अखबार के अनुसार तेहरान यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर सादिक जिबकलम का मानना है कि, “जलीली का धर्म से गहरा जुड़ाव है। ईमाम सादेग विश्वविद्यालय में हासिल की गई शिक्षा उन्हें ठोस इस्लामी सोच से जोड़ती है। यही सोच उन्हें धीरे-धीरे ईरान के ऊंचे पदों तक ले आई है।”

समर्थक
जलीली के समर्थक भी कमोबेश वे लोग ही हैं जिन्होंने अहमदीनेजाद का 2005 चुनाव में साथ दिया था और उन्हें जीत दिलाई थी।

2005 में दक्षिणपंथी परंपरावादी धड़े ने अमहदीनेजाद को भरपूर समर्थन दिया था।

सुधारवादी माने जाने वाले अखबार ‘शर्क’ की 27 मई की रिपोर्ट के अनुसार प्रोफेसर जिबाकलम कहते हैं, “ सिद्धांतवादियों का धड़ा पूरी तरह से अहमदीनेजाद के समर्थन में था।”

घोर परंपरावादी माने जाने वाले अयातुल्लाह मोहम्मद तकी मिस्वाह ने 2005 के राष्ट्रपति चुनाव में अमहदीनेजाद को उम्मीदवार के रूप में पूरा समर्थन दिया था। मिस्वाह एक बड़े धार्मिक नेता हैं।

मई 2013 में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किए जाने के तुरंत बाद जलीली मिस्बाह से मिलने धार्मिक स्थल ‘कुम’ की यात्रा पर निकल गए थे।

जलीली से मुलाकात के बाद वरिष्ठ धार्मिक नेता ने ऐसे सक्षम उम्मीदवार के लिए ‘अल्लाह का शुक्रिया’ किया और साथ ही उनको अपने समर्थन की घोषणा की।

आईएसएनए के मुताबिक मिस्बाह ने कहा, “जलीली राष्ट्रपति पद के लिए सबसे काबिल उम्मीदवार हैं।“

जीवनशैली
जलीली के उनके चुनावी अभियान से जुड़े वृत्तचित्र में आर्थिक स्थिति और बेरोजगारी जैसे विभिन्न मुद्दों पर कम मजदूरी और श्रमिकों के प्रति उनकी चिंताओं को दिखाया गया है। इसके साथ ही उन्हें बेहद साधारण रहन-सहन में पेश किया गया है।

जलीली की यह जीवनशैली अमहदीनेजाद की शैली की याद दिलाती है। उनके चुनावी मुद्दों में भी साधारण मजदूर के प्रति संवेदना जताई गई थी।

सुधारवादी राजनीतिक विश्लेषक अली अफशरी मानते हैं, “जलीली अहमदीनेजाद की तरह ही लोकप्रियता और भ्रान्तियों के शिकार हैं।”

विदेश नीति
वर्तमान राष्ट्रपति की ही तरह जलीली भी पश्चिम देशों के प्रति पूरी तरह से असहिष्णुतावादी सोच रखते हैं।

टीवी में चल रही एक बहस के दौरान उम्मीदवार हसन रहानी के राजनीतिक प्रतिनिधि महमूद वैजी ने कहा, “ इस बात की पूरी संभावना है कि जलीली भी अहमदीनेजाद की विदेश नीति का अनुसरण करेंगें।”

7 जून को आईआरटीवी वन द्वारा चलाए जा रहे एक और बहस में जलीली ने वर्तमान नीतियों का समर्थन किया।

जलीली ने उस बहस में यह भी कहा कि ईरान के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा अहमदीनेजाद ने बेहतर तरीके से की है।
परमाणु नीति और अर्थव्यवस्था

यदि ईरान की परमाणु नीति के संदर्भ में देखा जाए तो जलीली वर्तमान राष्ट्रपति के नजरिए के बेहद करीब दिखते हैं।

उनके आर्थिक सलाहकार होज्जत अडोलमेकी ने सुधार समर्थक आफताब-ए यजद अखबार को 11 जून को बताया, “हमारी लगभग सारी आर्थिक योजनाएं वर्तमान सरकार से मिलती जुलती हैं।”

अखबार के इस बयान से पता चलता है कि जलीली के राष्ट्रपति बन जाने से अहमदीनेजाद की नीतियों में कोई भारी बदलाव नहीं आने वाला है।

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