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ब्रिटेन: खाली हुए सुपरमार्केट, काम करने के लिए नहीं मिल रहे लोग, जेलों में बंद कैदियों की हो रही भर्ती
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Sun, 22 Aug 2021 04:39 PM IST
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सार
ब्रिटेन में कोरोना वायरस और ब्रेग्जिट के चलते आई कर्मचारियों की भारी कमी को पूरा करने के लिए यहां के रेस्तरां और खाद्य निर्माता जेलों में बंद कैदियों को भर्ती कर रहे हैं।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : पिक्साबे
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विस्तार
कोरोना वायरस महामारी और ब्रेग्जिट के चलते ब्रिटेन में आपूर्ति श्रृंखला के कर्मचारियों की भारी कमी हुई है। इसे पूरा करने के लिए रेस्तरां और खाद्य उत्पाद निर्माता जेलों में बंद कैदियों को भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां बीते कुछ सप्ताहों से सुपरमार्केट खाली हैं, क्योंकि ब्रेग्जिट के चलते एचजीवी ड्राइवर, फ्रूट पिकर और फैक्टरी कर्मचारियों की संख्या में भारी गिरावट आई है।

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अब, इस संकट को दूर करने के लिए ऐसे कारोबारी संस्थान इन जगहों पर भर्ती के लिए एक योजना के जरिए काम करने का प्रयास कर रहे हैं। इस योजना के तहत कैदियों को काम पर रखने की योजना है और काम के लिए उन्हें एक दिन के लिए रिहा किया जाएगा। जानकारी के अनुसार कर्मचारियों की बड़ी कमी के चलते यहां का एक लॉकअप तो पूरी तरह कैदियों से खाली हो गया है।
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बता दें कि ब्रिटेन में अक्तूबर 2020 और मार्च 2021 के बीच कैदियों को कुल 58,752 दिनों की कार्य संबंधी रिहाई दी गई थी। अब यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। इसके अनुसार कैदियों को कार्य के समय से पहले जेल से छोड़ा जाता है और काम पूरा करने के बाद उन्हें जेल में वापस आना पड़ता है। इस काम के लिए उन्हें भुगतान भी किया जा रहा है जिससे उनकी भी आमदनी हो रही है।
ब्रिटेन के रिटोल कन्सोर्टियम का कहना है कि करीब 90 हजार एचजीवी ड्राइवरों की कमी है। इससे आपूर्ति श्रृंखला पर बहुत दबाव पड़ रहा है। इसके चलते कैदियों को काम करने के लिए दी जाने वाली रिहाई के दिनों की संख्या अभी और बढ़ सकती है। इसके साथ ही सितंबर में स्कूलों के दोबारा खुलने और कर्मचारियों के फिर से कार्यालय पहुंचने के बाद स्थिति और गंभीर हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि यहां के एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट मीट सप्लायर्स देश की जेल सेवाओं से यह अनुरोध करने की तैयारी में है कि फूड सप्लायर्स को अस्थायी लाइसेंस कार्यक्रम के तहत इस रिहाई में प्राथमिकता दी जाए। यह बैठक इसी सप्ताह आयोजित होनी है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि कर्माचरियों की मांग इतनी ज्यादा है कि केवल कैदियों से इसे पूरा नहीं किया जा सकता।