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R.I.C: रूस-भारत-चीन की नजदीकी से खफा ट्रंप के जख्मों पर लावरोव ने लगाया नमक, बोले- साझा हितों से गठजोड़ मजबूत
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 07 Sep 2025 10:21 PM IST
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सार
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस, भारत और चीन साझा हितों को पहचानकर साझेदारी बढ़ा रहे हैं। तियानजिन में हुए एससीओ सम्मेलन में मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की नजदीकी वैश्विक सुर्खियों में रही। ट्रंप ने भारत और रूस की चीन से निकटता पर नाराजगी जताई।

सर्गेई लावरोव, रूसी विदेश मंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
रूस, भारत और चीन की बढ़ती नजदीकी अब सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं रही, बल्कि वैश्विक राजनीति में नए समीकरण गढ़ने लगी है। हाल ही में तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एक साथ दिखा दोस्ताना अंदाज पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना।
इस तिकड़ी की एक झलक ने न सिर्फ एशियाई साझेदारी की तस्वीर बदली बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी बेचैन कर दिया। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भारत और रूस के चीन की ओर झुकाव पर नाराजगी जताई, तो वहीं रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस समीकरण को साझा हितों का परिणाम बताते हुए इसे भविष्य की साझेदारी की नई दिशा करार दिया। यह संकेत है कि आने वाले समय में RIC गठजोड़ वैश्विक शक्ति संतुलन को नई दिशा दे सकता है।
रूस के विदेश मंत्री का बयान
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस, भारत और चीन कई क्षेत्रों में साझा हितों से जुड़े हुए हैं और अब तीनों देशों में साझेदारी बढ़ाने की प्रवृत्ति साफ नजर आ रही है। यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में चीन के तियानजिन शहर में हुए शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में तीनों देशों के नेताओं ने आपसी नजदीकी का सार्वजनिक प्रदर्शन किया।
ट्रंप की नाराजगी सोशल मीडिया पर झलकी
इस मुलाकात ने मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी तंज कसने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत और रूस “सबसे अंधेरे चीन” की ओर झुक गए हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास आई है। ट्रंप ने हाल ही में भारतीय सामान पर सीमा शुल्क को दोगुना कर दिया था और रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी लगाया था।
ये भी पढ़ें- 'राष्ट्र को कमजोर किया जाना, बर्दाश्त नहीं'; सोशल मीडिया मंचो पर बैन पर विरोध के बीच ओली की दो टूक
लावरोव ने दी स्पष्टता
लावरोव ने रूसी राज्य टीवी से बातचीत में कहा, “यह तीन महान शक्तियों और सभ्यताओं का संकेत है कि वे अपने साझा हितों को पहचान रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं कि सबकुछ एक जैसा है, लेकिन साझेदारी बढ़ाने की प्रवृत्ति साफ है और जहां समान हित हैं, वहां परस्पर लाभ मिलेगा।”
साझा हित: अर्थव्यवस्था और विकास
रूसी विदेश मंत्री के अनुसार, रूस, भारत और चीन के साझा हितों में अर्थव्यवस्था का विकास, सामाजिक समस्याओं का समाधान और जनता के जीवन स्तर में सुधार शामिल है। उन्होंने कहा कि यही क्षेत्र तीनों देशों के बीच आपसी सहयोग की नई दिशा तय करेंगे।
वायरल हुआ मोदी-पुतिन-शी का वीडियो
सम्मेलन से सामने आया मोदी और पुतिन का हाथ पकड़कर शी जिनपिंग की ओर बढ़ना और फिर तीनों का दोस्ताना बातचीत में शामिल होना सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यह वीडियो इस बात का प्रतीक बना कि तीनों बड़े देश भविष्य में एक नए समीकरण की ओर बढ़ सकते हैं।
ये भी पढ़ें- भारत और इस्राइल अगले हफ्ते कर सकते हैं द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर, मुक्त व्यापार समझौते की रखेंगे नींव
विशेषज्ञों की राय
मॉस्को यूनिवर्सिटी के अफ्रीका-एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. अलेक्सी मस्लोव का मानना है कि रूस-भारत-चीन संवाद को निकट समूह के तौर पर देखना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है जिसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया यूरोप से अलग है। मस्लोव के मुताबिक, तीनों देशों के बीच सहयोग तो गहराई से बढ़ेगा, लेकिन यह ज्यादा द्विपक्षीय स्तर पर ही आगे बढ़ेगा।

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रूस के विदेश मंत्री का बयान
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस, भारत और चीन कई क्षेत्रों में साझा हितों से जुड़े हुए हैं और अब तीनों देशों में साझेदारी बढ़ाने की प्रवृत्ति साफ नजर आ रही है। यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में चीन के तियानजिन शहर में हुए शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में तीनों देशों के नेताओं ने आपसी नजदीकी का सार्वजनिक प्रदर्शन किया।
ट्रंप की नाराजगी सोशल मीडिया पर झलकी
इस मुलाकात ने मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी तंज कसने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत और रूस “सबसे अंधेरे चीन” की ओर झुक गए हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास आई है। ट्रंप ने हाल ही में भारतीय सामान पर सीमा शुल्क को दोगुना कर दिया था और रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी लगाया था।
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लावरोव ने दी स्पष्टता
लावरोव ने रूसी राज्य टीवी से बातचीत में कहा, “यह तीन महान शक्तियों और सभ्यताओं का संकेत है कि वे अपने साझा हितों को पहचान रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं कि सबकुछ एक जैसा है, लेकिन साझेदारी बढ़ाने की प्रवृत्ति साफ है और जहां समान हित हैं, वहां परस्पर लाभ मिलेगा।”
साझा हित: अर्थव्यवस्था और विकास
रूसी विदेश मंत्री के अनुसार, रूस, भारत और चीन के साझा हितों में अर्थव्यवस्था का विकास, सामाजिक समस्याओं का समाधान और जनता के जीवन स्तर में सुधार शामिल है। उन्होंने कहा कि यही क्षेत्र तीनों देशों के बीच आपसी सहयोग की नई दिशा तय करेंगे।
वायरल हुआ मोदी-पुतिन-शी का वीडियो
सम्मेलन से सामने आया मोदी और पुतिन का हाथ पकड़कर शी जिनपिंग की ओर बढ़ना और फिर तीनों का दोस्ताना बातचीत में शामिल होना सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यह वीडियो इस बात का प्रतीक बना कि तीनों बड़े देश भविष्य में एक नए समीकरण की ओर बढ़ सकते हैं।
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विशेषज्ञों की राय
मॉस्को यूनिवर्सिटी के अफ्रीका-एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. अलेक्सी मस्लोव का मानना है कि रूस-भारत-चीन संवाद को निकट समूह के तौर पर देखना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है जिसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया यूरोप से अलग है। मस्लोव के मुताबिक, तीनों देशों के बीच सहयोग तो गहराई से बढ़ेगा, लेकिन यह ज्यादा द्विपक्षीय स्तर पर ही आगे बढ़ेगा।