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Russia-Ukraine War: रूस से समझौता हुआ तो यूक्रेन को क्या सुरक्षा देंगे यूरोपीय देश, अमेरिका की भूमिका कितनी?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Thu, 21 Aug 2025 07:21 AM IST
सार
अमेरिका और यूरोप रूस-यूक्रेन में किसी भी तरह के शांति समझौते को लेकर सहमत होते हैं तो इसके बदले कीव को किस तरह की सुरक्षा गारंटियां दी जा सकती हैं? यूक्रेन से सटे हुए यूरोपीय देश किस तरह रूस से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मदद करेंगे? इसके अलावा रूस-यूक्रेन में बातचीत के सूत्रधार बने डोनाल्ड ट्रंप किस तरह यूक्रेन की सुरक्षा में भूमिका निभा सकते हैं? अगर यूक्रेन को किसी तरह की सुरक्षा गारंटी पर यह देश सहमत होते हैं तो इसमें रूस का क्या पक्ष है? आइये जानते हैं...
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पुतिन, यूरोपीय संघ के राष्ट्रप्रमुखों और जेलेंस्की के साथ डोनाल्ड ट्रंप - फोटो : PTI

विस्तार
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन संघर्ष को रुकवाने की कोशिश में जुटे हैं। बीते हफ्ते अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद सोमवार को ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के साथ बैठक की। ट्रंप ने इस बैठक के दौरान साफ किया कि वे किसी तरह के संघर्ष विराम को लागू करने की जगह सीधा शांति समझौते की तरफ जाना चाहते हैं। हालांकि, इस दौरान उनकी और यूरोपीय नेताओं में इस बात पर सहमति रही कि यूक्रेन को शांति समझौते के एवज में भविष्य के खतरों से निपटने के लिए कुछ सुरक्षा गारंटी दी जा सकती हैं। 


यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बाद में कहा कि अगले 10 दिन में यूक्रेन की सुरक्षा गारंटियों को लेकर मंथन किया जाएगा और रूस के साथ वार्ता पर आगे चर्चा होगी। इस चर्चा में यूरोपीय देश के नेताओं के साथ-साथ अमेरिकी प्रशासन भी रहेगा। यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने का जिम्मा ट्रंप प्रशासन की तरफ से अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो को सौंपा गया है। 

 

ऐसे में यह जानना अहम है कि अगर अमेरिका और यूरोप रूस-यूक्रेन में किसी भी तरह के शांति समझौते को लेकर सहमत होते हैं तो इसके बदले कीव को किस तरह की सुरक्षा गारंटियां दी जा सकती हैं? यूक्रेन से सटे हुए यूरोपीय देश किस तरह रूस से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मदद करेंगे? इसके अलावा रूस-यूक्रेन में बातचीत के सूत्रधार बने डोनाल्ड ट्रंप किस तरह यूक्रेन की सुरक्षा में भूमिका निभा सकते हैं? अगर यूक्रेन को किसी तरह की सुरक्षा गारंटी पर यह देश सहमत होते हैं तो इसमें रूस का क्या पक्ष है? साथ ही ऐसे समझौतों का इतिहास क्या रहा है? आइये जानते हैं...

पहले जानें- रूस से शांति समझौते पर यूक्रेन को कैसी सुरक्षा गारंटी मिल सकती हैं?
बताया जा रहा है कि यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने के लिए 30 से ज्यादा देशों ने तैयारी कर ली है। यानी यह देश सीधे तौर पर यूक्रेन को सुरक्षा मुहैया कराएंगे। इसे इच्छुकों का गठबंधन (Coalition of the willing) कहा जा रहा है। वहीं, अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में मददगार की भूमिका में रहेगा। यानी उसके सीधे तौर पर यूक्रेन की सुरक्षा से प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ने की संभावना कम है, क्योंकि इस स्थिति में यह रूस से टकराव बन सकता है। ऐसे में अभी यह साफ नहीं है कि अमेरिका किस तरह यूक्रेन की सुरक्षा गारंटियों को सुनिश्चित कराने में मदद करेगा। 

1. यूक्रेन किस तरह की सुरक्षा गारंटी चाहता है?
जेलेंस्की का कहना है कि उसके सहयोगी देशों की तरफ से सुरक्षा में मदद कई तरह से हो सकती है। इनमें एक तरीका है सुरक्षा गारंटी देने वाले देशों की अपनी सैन्य टुकड़ियों की यूक्रेन में मौजूदगी, जो कि रूस से आने वाले किसी भी खतरे का सामना करने में यूक्रेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होंगी। इतना ही नहीं यह देश यूक्रेन को खुफिया जानकारी मुहैया कराने से लेकर जमीन, आसमान और समुद्र में कई अहम हथियार भी मुहैया करा सकते हैं। या इन्हें खरीदने के लिए जरूरी आर्थिक मदद दे सकते हैं। 

2. यूरोपीय देश किस तरह की सुरक्षा गारंटी दे सकते हैं?

3. यूक्रेन की सुरक्षा में अमेरिका कैसे सहयोग कर सकता है?
ट्रंप ने वादा किया है कि अमेरिका, यूक्रेन में यूरोप के नेतृत्व वाले शांति अभियान में समन्वयक का काम करेगा। ट्रंप का कहना है कि जब सुरक्षा की बात आती है तो अमेरिका की तरफ से काफी मदद होगी। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि यूक्रेन की सुरक्षा का अधिकतम भार यूरोप को उठाना होगा। ट्रंप ने कहा, "वे (यूरोपीय देश) पहली सुरक्षा रेखा हैं, क्योंकि वे वहां हैं (यूक्रेन के करीब)। लेकिन हम उनकी मदद करेंगे।"

दूसरी तरफ यूक्रेन ने अमेरिका को प्रस्ताव दिया है कि वह 90 अरब डॉलर खर्च कर उसके हथियार खरीदना चाहता है, जो कि सुरक्षा गारंटी का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि, इसके बावजूद ट्रंप यूक्रेन की सुरक्षा में अमेरिकी योगदान को लेकर तैयार नहीं दिखे हैं। उन्होंने न सिर्फ यूक्रेन को पश्चिमी देशों के सुरक्षा गठबंधन- नाटो (NATO) में शामिल करने से इनकार कर दिया है, बल्कि अपनी सेना को भी यूक्रेनी धरती पर उतारने से साफ इनकार कर दिया है। यूक्रेन अब तक मानता आया था कि अमेरिका उसकी नाटो सदस्यता या अपने सैनिकों को भेजकर कुछ सुरक्षा के मानक तय कर सकता है। 

हालांकि, ट्रंप ने यूक्रेन को कुछ हद तक हवाई सुरक्षा मुहैया कराने के संकेत दिए हैं। यह सुरक्षा घेरा यूक्रेन को पश्चिमी क्षेत्र (यूरोपीय देशों की सीमा के करीब) और केंद्रीय यूक्रेन, जिसमें कीव भी शामिल है, को मिल सकता है। लेकिन इस पूरी सुरक्षा में लड़ाकू विमान यूरोपीय देशों के ही हो सकते हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यूक्रेन को लॉजिस्टिक्स में भी मदद दे सकता है, जिसके जरिए वह अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है।

क्या अमेरिका-यूरोप की तरफ से यूक्रेन को सुरक्षा के प्रस्ताव पर तैयार है रूस?
ट्रंप के मुताबिक, व्लादिमीर पुतिन ने अलास्का में बैठक के दौरान इस बात पर सहमति जताई थी कि अगर शांति समझौता होता है तो यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी की जरूरत होगी। ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा है कि यूक्रेन को नाटो के तहत सुरक्षा नहीं दी सकती, लेकिन नाटो चार्टर के ही आर्टिकल 5 के तहत सुरक्षा मिल सकती है। इसके तहत नाटो के किसी देश पर हमला, पूरे नाटो पर हमला माना जाता है और सभी इसका मिलकर जवाब देते हैं। 

हालांकि, विटकॉफ जिस तरह की सुरक्षा की बात कह चुके हैं, रूस उससे वास्ता नहीं रखता। क्रेमलिन लगातार कहता रहा है कि वह यूक्रेन में पश्चिमी सेना की मौजूदगी के विरोध में है। ऐसे में रूस-यूक्रेन के शांति समझौते में यूक्रेन में किसी शांति सेना की स्थापना की मंजूरी मिलना काफी मुश्किल है। 

दरअसल, रूस ने शुरुआत से ही कहा है कि उसने यूक्रेन पर हमला इसलिए किया, क्योंकि क्षेत्र में पश्चिमी दखल लगातार बढ़ रहा था, जो कि रूस के लिए अस्तित्व का खतरा बन सकता था। रूस इस शांति समझौते के तहत डोनबास क्षेत्र को पूरी तरह कब्जे में चाहता है और यूक्रेन के असैन्यीकरण पर अड़ा है। यानी यूक्रेन की सेना के आकार को ही कम से कम करना पुतिन के लिए समझौते की अहम शर्त है। रूस ने युद्ध शुरू होने के बाद से ही यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के शासन को अवैध ठहराया है और चुनाव की मांग की है। ऐसे में अमेरिका और यूरोप के यूक्रेन में सुरक्षा गारंटी की शर्तों को मानने से पहले इन देशों को रूस की शर्तें पूरी करनी होंगी।
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