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अमेरिकी सेना बोली: आईएस के आतंकियों ने लाइन में लगकर किया सरेंडर 

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला Published by: Shilpa Thakur Updated Sun, 24 Feb 2019 04:01 PM IST
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Syria is free from IS, terrorists surrendered in row
प्रतीकात्मक तस्वीर

20 सालों से आईएस के आतंक से परेशान सीरिया अब आतंक मुक्त हो गया है। यहां अमेरिकी गठबंधन की सेना ने आईएस का बागूज स्थित अंतिम ठिकाना भी धवस्त कर दिया है। करीब 2500 आईएस के आतंकियों ने सरेंडर किया है। इन आतंकियों को सैनिकों ने 36 ट्रकों में भरकर अज्ञात स्थान के लिए रवाना किया है।


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सैनिकों से आतंकी इतना डरे हुए थे कि उन्होंने हमला करने की बजाय लाइन में खड़े होकर सरेंडर कर दिया। वहीं मामले पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि सीरिया में अमेरिका के 200 सैनिक हैं। इनके अलावा फ्रांस और ब्रिटेन की भी सेनाएं स्थानीय लोगों की मदद के लिए मौजूद हैं।

बता दें आएस 1999 में बना था। इसका पहला नाम इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवैंट था। इसका दूसरा नाम इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया और तीसरा एवं अंतिम नाम इस्लामिक स्टेट (आईएस) रहा है। इस संगठन का प्रमुख अबु बकर अल-बगदादी है। इसके करीब 10 हजार सदस्य थे। इसकी दो राजधानियां रक्का और मोसूल थीं और इसके 9 मुख्यालय थे।

इसने दुनियाभर में काफी तबाही मचाई है। आईएस ने 20 देशों में 70 बड़े हमले किए हैं। जिनमें करीब 4.7 लाख लोगों की मौत हुई है। आईएस की वजह से करीब 5 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। जबकि एक लाख लोग लापता हुए हैं। इनकी वजह से करीब 5 करोड़ रुपये का भी नुकसान हुआ है। यह 17 देशों में सक्रिय रहा है। इनमें इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया, फिलीपींस, नाइजीरिया और सोमालिया शामिल हैं।

अमेरिकी गठबंधन सेना ने इराक, सीरिया में आईएस ठिकानों पर 30 हजार हवाई हमले किए। इस काम में अमेरिका का साथ 73 देशों ने दिया है। इनमें ब्रिटेन, सऊदी अरब, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, डेनमार्क और नीदरलैंड शामिल हैं। रूस इस गठबंधन में नहीं था, लेकिन उसने भी सीरिया की मदद के लिए आईएस ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। 

आईएस के इराक और सीरिया में सफाए के लिए अमेरिका ने 5 साल में 1.77 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। आईएस का सालाना खर्च 14,200 करोड़ रुपये था। इस संगठन ने इराक और सीरिया के तेल कुओं पर कब्जे किया था। इसी से उसकी आय होती थी। इसके अलावा इस संगठन के आतंकी अमीरों से भी लूटपाट करते थे। 

आईएस आतंकी संगठन में 20 साल में 41,990 विदेशी शामिल हुए थे। जिनमें 13 फीसदी महिलाएं और 12 फीसदी बच्चे थे। इनमें पुरुष 32,089 (75 फीसदी), महिला 4761 (13 फीसदी) और बच्चे 4640 (12 फीसदी) हैं। आईएस से 7366 लोगों की वापसी हुई है। इनमें पुरुष 5930 (79 फीसदी), महिला 256 (4 फीसदी) और बच्चे 1180 (17 फीसदी) हैं। 

इनमें ब्रिटेन, जर्मनी, उज्बेकिस्तान, तुर्की, मोरक्को, फ्रांस, ट्यूनीशिया, जॉर्डन, सऊदी अरब और रूस ऐसे देश थे, जिनके 500 से अधिक नागरिक आईएस में शामिल हुए थे।

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