US-Taiwan: अमेरिका को ताइवान की नहीं, सिर्फ उसकी कंपनी टीएसएमसी की चिंता है?
US-Taiwan: ताइवान के राजनेताओं और कारोबारियों ने शक जताया है कि अमेरिका ने मान लिया है कि देर-सबेर चीन ताइवान पर कब्जा कर लेगा। उससे पहले वह आज के दौर में सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जा रही इंडस्ट्री को ताइवान से निकाल लेना चाहता है...
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सेमीकंडक्टर क्षेत्र की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी टीएसएमसी का प्लांट अमेरिका में लगवाने की जो बाइडन प्रशासन की नीति से ताइवान में नाराजगी फैल रही है। टीएसएमसी ने बीते हफ्ते अमेरिका के एरिजोना में 40 बिलियन डॉलर की लागत से बनने वाले अपने संयंत्र का शिलान्यास किया। इस मौके पर खुद अमेरिका राष्ट्रपति बाइडन उपस्थित हुए। एपल कंपनी के सीईओ टिम कुक भी वहां मौजूद थे।
इस घटनाक्रम से ताइवान में बेचैनी फैली है। यहां के राजनीतिक और कारोबारी हलकों में ये संदेह गहराया है कि अमेरिका ताइवान की सबसे मूल्यवान कंपनी को अपने यहां शिफ्ट कराने की कोशिश में है। इसके अलावा वह टीएसएमसी को जापान और यूरोप में भी संयंत्र लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। ताइवान के राजनेताओं और कारोबारियों ने शक जताया है कि अमेरिका ने मान लिया है कि देर-सबेर चीन ताइवान पर कब्जा कर लेगा। उससे पहले वह आज के दौर में सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जा रही इंडस्ट्री को ताइवान से निकाल लेना चाहता है।
चिप उद्योग पर अनुसंधान करने वाले संगठन टेकइनसाइट्स के उपाध्यक्ष डैन हचेसन ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘वे सेमीकंडक्टर के होप डायमंड को अपने यहां ले जाना चाह रहे हैं। हर कोई यही चाह रहा है। चीन की कंपनियां चाहती हैं कि टीएसएमसी उनके देश में चिप उत्पादन करे। अमेरिका और यूरोप की कंपनियां भी यही चाहती हैं।’ होप डायमंड दुनिया में सबसे बड़े आकार का नीला हीरा है, जो वॉशिंगटन स्थित स्मिथसॉनियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में मौजूद है।
टीएसएमसी सबसे उन्नत किस्म के चिप का उत्पादन करती है। उसके चिप का इस्तेमाल एपल से लेकर क्वैलकॉम जैसी बड़ी कंपनियां करती हैं। ताइवान में टीएसएमसी को राष्ट्रीय धरोहर माना जाता है। ताइवान में यह धारणा रही है कि टीएसएमसी का आज दुनिया की अर्थव्यवस्था में इतना महत्त्व है कि उसके रहते दुनिया ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं होने देगी। अमेरिका सहित तमाम देश इस कंपनी को बचाने के मकसद से भी ताइवान की रक्षा में खड़े होंगे। इसीलिए इसे ताइवान में ‘सिलिकॉन शील्ड’ (सिलिकॉन कवच) कहा जाता है।
हचेसन ने कहा- ‘सोच यह है कि अगर ताइवान सेमीकंडक्टर का पॉवरहाउस बना रहा, तो अमेरिका उसका साथ देगा और उसकी रक्षा करेगा। यह रणनीति अब तक बेहद कामयाब रही है।’ एरिजोना में टीएसएमसी के प्लांट के शिलान्यास से एक दिन पहले ताइवान की संसद में ये मामला उठा था। विपक्षी पीपुल्स पार्टी के सांसद चिउ चेनयुवान ने विदेश मंत्री जोसेफ वू से इस बारे में कठिन प्रश्न पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या इस मामले में ताइवान और अमेरिका सरकारों के बीच कोई गुप्त करार हुआ है।
चिउ ने दावा किया कि राजनीतिक दबाव के कारण ताइवान ने अपनी सबसे उन्नत तकनीक को अमेरिका ट्रांसफर किए जाने का विरोध नहीं किया है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि टीएसएमसी ने इंजीनियरों सहित अपने 300 कर्मचारियों को अमेरिका भेज दिया है।
विदेश मंत्री वू ने खंडन किया कि कोई गुप्त समझौता हुआ है। लेकिन ताइपे स्थित कंपनी सीएल सिक्योरिटीज के रिसर्च प्रमुख पैट्रिक चेन ने सीएनएन से कहा कि टीएसएमसी में बढ़ती अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी से ताइवान में चिंता का माहौल है। जबकि टीएसएमसी के सीईओ सीसी वेई ने इसी चैनल से कहा कि उनकी कंपनी के लिए हर क्षेत्र महत्त्वपूर्ण है। वह दुनिया भर के अपने ग्राहकों को सेवा देना जारी रखेगी।
चिप वॉरः द फाइट फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट क्रिटिकल टेक्नोलॉजी नाम की किताब के लेखक क्रिस मिलर ने कहा है- ‘टीएसएमसी का एरिजोना में संयंत्र लगाने का फैसला इस बात का सबूत है कि राजनीति और भू-राजनीतिक जोखिम सप्लाई चेन संबंधी निर्णयों में अब पहले की तुलना में अधिक बड़ी भूमिका निभाएंगे।’