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Bangladesh: तारिक रहमान की देश वापसी पर बवाल, अवामी लीग के छात्र संगठन ने कहा- ये बैकडोर डील का हिस्सा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका Published by: हिमांशु चंदेल Updated Thu, 25 Dec 2025 03:45 PM IST
सार

Tarique Rahman Return: तारिक रहमान की 17 साल बाद बांग्लादेश वापसी पर विवाद खड़ा हो गया है। अवामी लीग के छात्र संगठन ने इसे एकतरफा चुनाव कराने की ‘बैकडोर डील’ बताया है। संगठन का आरोप है कि अवामी लीग पर प्रतिबंध और मौजूदा राजनीतिक हालात निष्पक्ष चुनाव की राह में बाधा हैं।
 

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Tarique Rahman return backdoor deal to facilitate one-sided election allegation of Awami League student leader
तारिक रहमान की ढाका रैली - फोटो : FacebookVideoGrab@BNPBD78
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बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल तेज हो गई है। लंबे निर्वासन के बाद बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान की देश वापसी को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। अवामी लीग के छात्र संगठन ने आरोप लगाया है कि यह वापसी लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि एकतरफा चुनाव कराने की 'बैकडोर डील' का हिस्सा है।
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बांग्लादेश छात्र लीग के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने कहा कि तारिक रहमान की घर वापसी से देश में स्थिरता नहीं आएगी, बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ेगा। उनका दावा है कि यह पूरा घटनाक्रम अवैध सरकार और बीएनपी-जमात गठबंधन के बीच एक समझौते का नतीजा है, जिसका मकसद चुनाव को पहले से तय नतीजों की ओर ले जाना है।
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बीते दौर पर उठे सवाल
छात्र संगठन का कहना है कि जब पहले तारिक रहमान देश में सक्रिय थे, तब कानून-व्यवस्था बिगड़ी, उग्रवाद बढ़ा और अल्पसंख्यकों पर हमले हुए। बांग्लादेश की छवि भ्रष्टाचार से जुड़ी और आम लोगों में असुरक्षा बढ़ी। ऐसे में उनकी वापसी से वही हालात दोहराने की आशंका जताई जा रही है।

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संवेदनशील समय में वापसी
तारिक रहमान की वापसी ऐसे समय में हुई है, जब छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हो चुके हैं। फरवरी 17 को प्रस्तावित आम चुनाव से पहले कानून-व्यवस्था, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच आवामी लीग को चुनाव से बाहर करने का फैसला भी विवादों में है।

छात्र नेता ने आरोप लगाया कि अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाकर जनता की आवाज दबा दी गई है। उनका कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में न तो सरकार निष्पक्ष है और न ही संवैधानिक रूप से भरोसेमंद। ऐसे में जो प्रक्रिया चल रही है, वह चुनाव नहीं बल्कि 'चयन' है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रक्रिया समावेशी और लोकतांत्रिक नहीं बनी, तो बांग्लादेश की राजनीतिक संकट और गहराएगा।


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