आयरलैंड प्रोटोकॉल पर ब्रिटेन के रुख से अब चूक रहा है यूरोपियन यूनियन का सब्र
ब्रिटेन के ब्रेग्जिट मामलों के मंत्री डेविड फ्रॉस्ट ने पिछले सोमवार को कहा कि ईयू को इस मामले में आम समझदारी का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयरिश सागर के मुद्दे पर ब्रिटेन ने ईयू के सामने कई विकल्प रखे हैं...

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उत्तरी आयरलैंड से संबंधित प्रोटोकॉल के मामले में ब्रिटेन के साथ जारी यूरोपियन यूनियन (ईयू) की वार्ता अब तक नाकाम रही है। इससे अब ईयू का सब्र टूटता नजर आ रहा है। यूरोपियन आयोग के उपाध्यक्ष मारोस सेफकोविच ने दो रोज पहले ही ये बात दो टूक लहजे में साफ कर दी थी। लेकिन उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। बुधवार को भी बातचीत में कोई प्रगति नहीं हो सकी। सेफकोविच ने बुधवार को कहा कि ब्रिटेन और ईयू एक दूसरे के विपरीत दिशा में जाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ब्रिटेन समझौते के लिए तैयार नहीं हुआ, तो ईयू तेजी से और दृढ़ संकल्प के साथ मजबूत कदम उठाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि उस हालत में ईयू ब्रिटेन से होने वाले आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है।

प्रस्तावित प्रोटोकॉल पिछले दिसंबर में ब्रेग्जिट (ईयू से ब्रिटेन के अलगाव) के लिए हुए समझौते का हिस्सा है। इसका मकसद आयरलैंड गणराज्य और उत्तरी आयरलैंड के बीच सीमा खींचने से बचना है। अंदेशा है कि अगर ऐसी सीमा खींची गई, तो उससे आयरलैंड में धार्मिक हिंसा भड़क सकती है। गौरतलब है कि ब्रिटेन के ईयू से अलग होने जाने के बावजूद उसका आयरलैंड प्रांत अभी भी ईयू के कस्टम यूनियन का हिस्सा है। इस कारण वहां से आयात-निर्यात पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। लेकिन इसकी अवधि अब खत्म होने वाली है।
ब्रिटिश आयरिश इलाके और उत्तरी आयरलैंड के बीच आयरिश सागर सीमा का काम करता है। ब्रेग्जिट के बाद हाल यह बना है कि अगर कोई वस्तु दूसरी तरफ ले जाई जा रही हो, तो सागर पार करते ही उसकी जांच की जाएगी। जब ब्रिटेन ईयू में था, तब इसकी नौबत नहीं आती थी। हाल में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सरकार ने एकतरफा ढंग से फिलहाल ऐसी जांच ना करने के प्रावधान को आगे बढ़ा दिया। ब्रेग्जिट समझौते में निहित ग्रेस पीरियड (अनुकंपा अवधि) के तहत ऐसा प्रावधान रहा है। ग्रेस की अवधि अगले 30 जून को खत्म हो जाएगी। ब्रिटेन चाहता है कि जांच ना करने की छूट 2023 तक जारी रहे। लेकिन ईयू इसके लिए तैयार नहीं है।
ब्रिटेन के ब्रेग्जिट मामलों के मंत्री डेविड फ्रॉस्ट ने पिछले सोमवार को कहा कि ईयू को इस मामले में आम समझदारी का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयरिश सागर के मुद्दे पर ब्रिटेन ने ईयू के सामने कई विकल्प रखे हैं। लेकिन ईयू उन पर विचार करने में अनिच्छा दिखा रहा है। इसके बाद आयरलैंड के विदेश मंत्री सिमोन कोवेनी ने फ्रॉस्ट की बातों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि ईयू ने इस मामले में लचीला रुख अपनाया है। इसलिए फ्रॉस्ट का बयान सच नहीं है।
सेफकोविच ने भी फ्रॉस्ट को जवाब देते हुए ये बात याद दिलाई कि ईयू ग्रेस पीरियड के लिए इसलिए राजी हुआ था, क्योंकि तब ब्रिटेन समझौते पर अमल के लिए तैयार नहीं था। उन्होंने कहा कि 27 सदस्यीय ईयू ने इस मामले में सब्र और रचनात्मक रुख का परिचय दिया है। लेकिन अब सब्र चूक रहा है। गौरतलब है कि एकतरफा ढंग से ग्रेस पीरियड को बढ़ाने के ब्रिटेन के एलान के खिलाफ ईयू कानूनी कार्रवाई की शुरुआत कर चुका है। सेफकोविच ने कहा है कि अगर समझौता नहीं हुआ, तो ये मामला यूरोपिन कोर्ट ऑफ जस्टिस के सामने इस साल सर्दियों में जाएगा।