सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   World ›   The ongoing European Union talks with Britain on the protocol related to Northern Ireland have so far failed

आयरलैंड प्रोटोकॉल पर ब्रिटेन के रुख से अब चूक रहा है यूरोपियन यूनियन का सब्र

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ब्रसेल्स Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 10 Jun 2021 06:23 PM IST
विज्ञापन
सार

ब्रिटेन के ब्रेग्जिट मामलों के मंत्री डेविड फ्रॉस्ट ने पिछले सोमवार को कहा कि ईयू को इस मामले में आम समझदारी का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयरिश सागर के मुद्दे पर ब्रिटेन ने ईयू के सामने कई विकल्प रखे हैं...

The ongoing European Union talks with Britain on the protocol related to Northern Ireland have so far failed
यूरोपीय संघ - फोटो : pixabay
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

उत्तरी आयरलैंड से संबंधित प्रोटोकॉल के मामले में ब्रिटेन के साथ जारी यूरोपियन यूनियन (ईयू) की वार्ता अब तक नाकाम रही है। इससे अब ईयू का सब्र टूटता नजर आ रहा है। यूरोपियन आयोग के उपाध्यक्ष मारोस सेफकोविच ने दो रोज पहले ही ये बात दो टूक लहजे में साफ कर दी थी। लेकिन उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। बुधवार को भी बातचीत में कोई प्रगति नहीं हो सकी। सेफकोविच ने बुधवार को कहा कि ब्रिटेन और ईयू एक दूसरे के विपरीत दिशा में जाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ब्रिटेन समझौते के लिए तैयार नहीं हुआ, तो ईयू तेजी से और दृढ़ संकल्प के साथ मजबूत कदम उठाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि उस हालत में ईयू ब्रिटेन से होने वाले आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है।

loader
Trending Videos


प्रस्तावित प्रोटोकॉल पिछले दिसंबर में ब्रेग्जिट (ईयू से ब्रिटेन के अलगाव) के लिए हुए समझौते का हिस्सा है। इसका मकसद आयरलैंड गणराज्य और उत्तरी आयरलैंड के बीच सीमा खींचने से बचना है। अंदेशा है कि अगर ऐसी सीमा खींची गई, तो उससे आयरलैंड में धार्मिक हिंसा भड़क सकती है। गौरतलब है कि ब्रिटेन के ईयू से अलग होने जाने के बावजूद उसका आयरलैंड प्रांत अभी भी ईयू के कस्टम यूनियन का हिस्सा है। इस कारण वहां से आयात-निर्यात पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। लेकिन इसकी अवधि अब खत्म होने वाली है।
विज्ञापन
विज्ञापन


ब्रिटिश आयरिश इलाके और उत्तरी आयरलैंड के बीच आयरिश सागर सीमा का काम करता है। ब्रेग्जिट के बाद हाल यह बना है कि अगर कोई वस्तु दूसरी तरफ ले जाई जा रही हो, तो सागर पार करते ही उसकी जांच की जाएगी। जब ब्रिटेन ईयू में था, तब इसकी नौबत नहीं आती थी। हाल में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सरकार ने एकतरफा ढंग से फिलहाल ऐसी जांच ना करने के प्रावधान को आगे बढ़ा दिया। ब्रेग्जिट समझौते में निहित ग्रेस पीरियड (अनुकंपा अवधि) के तहत ऐसा प्रावधान रहा है। ग्रेस की अवधि अगले 30 जून को खत्म हो जाएगी। ब्रिटेन चाहता है कि जांच ना करने की छूट 2023 तक जारी रहे। लेकिन ईयू इसके लिए तैयार नहीं है।

ब्रिटेन के ब्रेग्जिट मामलों के मंत्री डेविड फ्रॉस्ट ने पिछले सोमवार को कहा कि ईयू को इस मामले में आम समझदारी का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयरिश सागर के मुद्दे पर ब्रिटेन ने ईयू के सामने कई विकल्प रखे हैं। लेकिन ईयू उन पर विचार करने में अनिच्छा दिखा रहा है। इसके बाद आयरलैंड के विदेश मंत्री सिमोन कोवेनी ने फ्रॉस्ट की बातों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि ईयू ने इस मामले में लचीला रुख अपनाया है। इसलिए फ्रॉस्ट का बयान सच नहीं है।

सेफकोविच ने भी फ्रॉस्ट को जवाब देते हुए ये बात याद दिलाई कि ईयू ग्रेस पीरियड के लिए इसलिए राजी हुआ था, क्योंकि तब ब्रिटेन समझौते पर अमल के लिए तैयार नहीं था। उन्होंने कहा कि 27 सदस्यीय ईयू ने इस मामले में सब्र और रचनात्मक रुख का परिचय दिया है। लेकिन अब सब्र चूक रहा है। गौरतलब है कि एकतरफा ढंग से ग्रेस पीरियड को बढ़ाने के ब्रिटेन के एलान के खिलाफ ईयू कानूनी कार्रवाई की शुरुआत कर चुका है। सेफकोविच ने कहा है कि अगर समझौता नहीं हुआ, तो ये मामला यूरोपिन कोर्ट ऑफ जस्टिस के सामने इस साल सर्दियों में जाएगा।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed