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Protests in New York: न्यूयॉर्क की सड़कों पर उतरे हजारों यहूदी, इस्राइल की सेना भर्ती नीति का जमकर किया विरोध

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क Published by: शुभम कुमार Updated Mon, 20 Oct 2025 09:54 AM IST
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सार

इस्राइल में धार्मिक छात्रों की सैन्य छूट खत्म करने की योजना के विरोध में न्यूयॉर्क में हजारों यहूदियों ने इस्राइली दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया। सतमार समुदाय के दोनों प्रमुख रब्बियों की अपील पर जुटे लोग बोले कि यह फैसला हमारी आस्था पर हमला है।

Thousands of Orthodox Jews rally in New York to protest change in Israel's military draft rules News In Hindi
सांकेतिक तस्वीर (एआई द्वारा बनाई गई) - फोटो : Google Gemini
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विस्तार
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इस्राइल की नेतन्याहू सरकार द्वारा धार्मिक छात्रों की सैन्य छूट खत्म करने की योजना के विरोध में रविवार को न्यूयॉर्क में हजारों यहूदियों ने प्रदर्शन किया। यह विरोध इस्राइली वाणिज्य दूतावास के बाहर हुआ, जो संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के पास स्थित है। इसमें बड़ी संख्या में यहूदी समुदाय के लोग शामिल हुए, खासकर न्यूयॉर्क और उसके उपनगरीय इलाकों से। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि इस्राइली सरकार यह फैसला उनकी आस्था और धार्मिक शिक्षा पर सीधा हमला है।

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इस प्रदर्शन की अपील सतमार समुदाय के दो प्रभावशाली लेकिन प्रतिद्वंद्वी धार्मिक गुरुओं (ग्रैंड रब्बी) ने की थी। इसके अलावा सेंट्रल रब्बिनिकल कांग्रेस ऑफ यूएसए एंड कनाडा नामक यहूदी संगठनों के समूह ने भी इसका आयोजन किया। 
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क्या कहना है धार्मिक यहूदियों का?
मामले में धार्मिक यहूदियों का कहना है कि सेना में जबरन भर्ती होने से उनकी धार्मिक शिक्षा और परंपराएं बाधित होंगी। वहीं, इस्राइल में कई लोगों का मानना है कि यह छूट असमानता पैदा करती है। यह विवाद खासकर गाजा युद्ध शुरू होने के बाद और बढ़ गया है। बता दें कि यह विरोध ऐसे समय में हुआ है जब इस्राइल की सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सरकार को आदेश दिया था कि वह धार्मिक यहूदी पुरुषों की भी सेना में भर्ती शुरू करे। यह छूट 1948 में इजराइल के निर्माण से ही दी जा रही थी।

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सतमार समुदाय के नेता ने क्या कहा?
वहीं सतमार समुदाय के नेता रब्बी मोइशो ने मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी कि उन्हें इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी, लेकिन लोगों की चिंता और असंतोष अब खुलकर सामने आ रहा है। इस दौरान उन्होंने अमेरिका और न्यूयॉर्क सरकार का आभार भी जताया कि यहां धर्म के अनुसार जीने और बच्चों को टोरा (यहूदी धर्मग्रंथ) पढ़ाने की आजादी है।

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