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UNSC: ईरान पर प्रतिबंधों का रास्ता साफ, रूस-चीन की आखिरी कोशिश हुई नाकाम; यूएनएससी ने खारिज किया प्रस्ताव
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Published by: शिव शुक्ला
Updated Sat, 27 Sep 2025 02:43 AM IST
सार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस और चीन के ईरान पर परमाणु कार्यक्रम को लेकर प्रतिबंध टालने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद ईरान पर शनिवार से प्रतिबंध लागू हो जाएंगे। इससे विदेशों में ईरानी संपत्तियां फ्रीज हो जाएंगी, हथियार सौदे रुक जाएंगे और मिसाइल कार्यक्रम पर भी पाबंदी लग जाएगी। इसके साथ ईरान की पहले से ही मुश्किल में पड़ी अर्थव्यवस्था और कमजोर होगी।
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ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई
- फोटो : X-@khamenei_ir
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विस्तार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर प्रतिबंधों को दोबारा लागू करने में देरी करने के रूस और चीन की आखिरी कोशिश को भी शुक्रवार को खारिज कर दिया। यूएनएससी के इस फैसले के बाद ईरान पर शनिवार यानी आज से ही प्रतिबंध लागू हो जाएंगे।
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रूस-चीन का प्रस्ताव असफल
दरअसल, चीन और रूस, जो ईरान के सबसे करीबी सहयोगी माने जाते हैं, वे चाहते थे कि प्रतिबंधों को लागू करने से पहले ईरान को और समय दिया जाए ताकि यूरोपीय देशों और अमेरिका से समझौता हो सके। लेकिन, पश्चिमी देशों ने कहा कि हाल में हुई बैठकों में ईरान से कोई सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में रूस और चीन के प्रस्ताव को नौ वोटों का समर्थन नहीं मिला। केवल चीन, रूस, पाकिस्तान और अल्जीरिया ने ही ईरान के पक्ष में मतदान किया।
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अब ईरान पर लागू होंगे ये प्रतिबंध
अब जबकि यूएन में रूस और चीन का प्रस्ताव खारिज हो गया है ऐसे में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी द्वारा शुरू किए गए 'स्नैपबैक' तंत्र के तहत ईरान पर कई प्रतिबंध लागू होंगे। ईरान की विदेशी संपत्तियां फ्रीज हो जाएंगी, हथियारों के सौदे रुक जाएंगे और उसके बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर भी रोक लग जाएगी। इससे पहले से संकट में घिरी ईरान की अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ेगा।
ईरान ने दी ये प्रतिक्रिया
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने भी यूएन के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे अनुचित और अवैध करार दिया। मसूद ने कहा कि ईरान अभी परमाणु अप्रसार संधि से बाहर निकलने का इरादा नहीं रखता है। वहीं, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने कूटनीति से धोखा किया और यूरोपीय देशों ने उसे दफना दिया।
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ईरान-पश्चिमी देशों के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका
इस कदम से ईरान और पश्चिमी देशों के बीच पहले से ही बढ़े तनाव के और बढ़ने की आशंका है। यह साफ नहीं है कि ईरान इस पर कैसे प्रतिक्रिया देगा, क्योंकि पहले ईरानी अधिकारियों ने परमाणु अप्रसार संधि से बाहर निकलने की धमकी दी थी। ठीक उसी तरह जैसे उत्तर कोरिया ने 2003 में किया था और परमाणु हथियार बना लिए थे।
चार देशों ने बातचीत के लिए समय देने का समर्थन किया
हालांकि, चीन, रूस, पाकिस्तान और अल्जीरिया ने फिर से ईरान को यूरोपीय देशों (E3) और अमेरिका के साथ बातचीत करने के लिए और समय देने का समर्थन किया। अमेरिका 2018 में समझौते से अलग हो गया था। संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप-राजदूत दिमित्री पोलियांस्की ने बैठक में कहा, 'हमने उम्मीद की थी कि यूरोपीय सहयोगी और अमेरिका दोबारा सोचेंगे और कूटनीति व संवाद के रास्ते पर चलेंगे, न कि ब्लैकमेल के रास्ते पर, जो केवल क्षेत्र में तनाव बढ़ाता है।'
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यूरोपीय नेताओं ने ईरान पर समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने का लगाया था आरोप
यूरोपीय नेताओं ने पिछले महीने तथाकथित 'स्नैपबैक' तंत्र की शुरुआत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि ईरान समझौते की शर्तों का पालन नहीं कर रहा। 30 दिन की समयसीमा शुरू होने के बाद, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से पहले फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के नेताओं से अंतिम क्षणों में समझौता करने की कोशिश की, लेकिन इन वार्ताओं का कोई खास परिणाम नहीं निकला। इसलिए, यूरोपीय सूत्रों को 'उम्मीद है कि स्नैपबैक प्रक्रिया योजना के अनुसार जारी रहेगी।'