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US: सूडान भेजे गए प्रवासियों को हिरासत में ही रखने का आदेश, अमेरिकी अदालत ने ट्रंप प्रशासन के फैसले को रोका

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन Published by: शुभम कुमार Updated Wed, 21 May 2025 10:13 AM IST
सार

अमेरिका की एक अदालत ने दक्षिण सूडान भेजे गए प्रवासियों को हिरासत में ही रखने का आदेश दिया। क्योंकि प्रवासियों के वकील ने आरोप लगाया कि ट्रंप प्रशासन ने बिना सुनवाई के म्यांमार-वियतनाम के लोगों को जबरन सूडान भेजा, जो कि अदालत के आदेश का उल्लंघन है।

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US officials must keep control of migrants sent to South Sudan in case removals were unlawful News In Hindi
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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अमेरिका की एक संधीय अदालत ने ट्रंप प्रशासन को बड़ा झटका दिया है। इसके तहत कोर्ट ने मंगलवार देर रात आदेश दिया कि साउथ सूडान भेजे गए प्रवासियों को हिरासत में ही रखा जाए, क्योंकि यह साफ नहीं है कि उन्हें वहां भेजना कानूनी रूप से सही था या नहीं। यह आदेश मैसाचुसेट्स के यूएस डिस्ट्रिक्ट जज ब्रायन ई मर्फी ने दिया, जिन्होंने बुधवार को इस मामले की आपात सुनवाई भी तय की है। जज ने यह फैसला तब सुनाया जब प्रवासियों के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि म्यांमार, वियतनाम और कुछ अन्य देशों से आए करीब 12 लोगों को मंगलवार सुबह साउथ सूडान भेज दिया गया।

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कोर्ट आदेश के खिलाफ की गई कार्रवाई?
मामले में प्रवासियों के वकीलों का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन ने एक मौजूदा अदालत आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया था कि किसी व्यक्ति को उसके देश से अलग किसी अन्य देश भेजने से पहले उसे अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए।

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वहीं एक मामले में म्यांमार से आए एक व्यक्ति को टेक्सास में अधिकारियों ने केवल अंग्रेजी में बताया कि उसे भेजा जा रहा है, जबकि वह ठीक से अंग्रेजी नहीं समझता। उसके वकीलों को उसकी फ्लाइट से कुछ घंटे पहले ही इसकी सूचना मिली। हालांकि एक महिला ने बताया कि उसका पति वियतनाम से और लगभग 10 अन्य लोग अफ्रीका भेज दिए गए हैं।

साउथ सूडान को लेकर चिंता
बता दें कि साउथ सूडान 2011 में बना नया देश है, लेकिन तब से लगातार गृहयुद्ध, हिंसा और मानवाधिकार हनन का शिकार रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि वहां फिर से पूर्ण युद्ध की स्थिति बन रही है। मामले में अमेरिका के विदेश मंत्रालय की 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां मनमानी हत्याएं, लापता करना, यौन हिंसा और सुरक्षा बलों द्वारा अमानवीय व्यवहार आम हैं।

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अमेरिका पहले से दे रहा है संरक्षण
गौरतलब है कि अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने पहले से ही साउथ सूडान से आए कुछ लोगों को टेंपरेरी प्रोटेक्टेड स्टेटस (टीपीएस) दे रखा है, जिससे उन्हें वापस नहीं भेजा जा सकता। हाल ही में इस सुरक्षा को नवंबर तक बढ़ा दिया गया है ताकि स्थिति की और समीक्षा की जा सके। अब अदालत तय करेगी कि इन प्रवासियों को जबरन भेजा जाना कानून के खिलाफ था या नहीं। इस मामले की सुनवाई बुधवार को होगी।

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