London: धीमी पड़ी यूक्रेन शांति वार्ता, बैठक में नहीं पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री; क्रीमिया पर अड़ा रूस
लंदन में हुई यूक्रेन शांति वार्ता में प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के कारण बैठक विशेषज्ञ स्तर तक सीमित रही। रिपोर्टों के अनुसार, रूस फिलहाल यूक्रेन मसले को दरकिनार कर क्रीमिया समझौते के साथ-साथ अन्य मुद्दों को प्राथमिकता दे सकता है।
विस्तार
बता दें कि यूक्रेन संकट को लेकर लंदन में आयोजित इस बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ के अचानक यात्रा रद्द करने के बाद, फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्री भी बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके चलते बैठक को केवल विशेषज्ञ स्तर पर सीमित कर दिया गया।
क्रीमिया पर अड़ा रूस
रूसी समाचार वेबसाइट लेंता.रू ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जब तक यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और पश्चिमी यूरोपीय देश क्रीमिया को लेकर समझौते पर नहीं पहुंचते, तब तक शांति वार्ता में कोई बड़ी प्रगति की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि रूस फिलहाल यूक्रेन मसले को पीछे छोड़कर ईरान परमाणु समझौते और पश्चिम एशिया के मुद्दों पर बातचीत को प्राथमिकता दे सकता है वहीं क्रेमलिन रिपोर्टर अलेक्जेंडर युमाशेव ने कहा कि अब आगे की बातचीत या तो धीमी होगी या स्थगित।
ये भी पढ़ें:- Ukraine: रूस-यूक्रेन युद्ध विराम के प्रयास तेज, लंदन में बैठक करेंगे अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों के राजनयिक
रातों-रात नहीं सुलझ सकता यूक्रेन संकट- क्रेमलिन
इसी बीच रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन संकट बहुत जटिल है और इसे किसी भी हाल में रातों-रात सुलझाया नहीं जा सकता। पेसकोव ने कहा कि हाल ही में ट्रंप की कथित शांति योजना के कुछ हिस्से मीडिया में लीक हुए हैं, जिनसे भ्रम की स्थिति बन रही है। उन्होंने पश्चिमी मीडिया से अपील की कि वह इन अटकलों में न उलझे। साथ ही पेसकोव ने यह भी कहा कि रूस जल्द ही यह जानकारी देगा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पश्चिम एशिया मामलों के दूत स्टीव विटकॉफ रूस कब यात्रा पर आएंगे।
ये भी पढ़ें:- Crimea: क्रीमिया पर रूसी नियंत्रण को मान्यता दे सकता है अमेरिका; यूक्रेन शांति समझौते के तहत सहमति के संकेत
अमेरिका की शांति सेना योजना पर जोर
वहीं मामले में रूस के अखबार ने दावा किया है कि वॉशिंगटन एक नई पहल पर काम कर रहा है, जिसके तहत एक शांति सेना की तैनाती की योजना है। यह सेना रूस, यूक्रेन और किसी तीसरे देश के सैनिकों से मिलकर बनेगी। खास बात ये है कि यह तीसरा देश नाटो का सदस्य नहीं होगा, क्योंकि रूस यूक्रेन में किसी भी नाटो सैनिक की मौजूदगी के सख्त खिलाफ है। इस नई योजना के तहत एक संयुक्त आयोग भी बनाया जा सकता है, जो युद्धविराम पर नजर रखेगा और विवाद सुलझाने में मदद करेगा।