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US Visa: भारतीय छात्रों के पलायन ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों की हिलाई नींव, 70 फीसदी तक घटा नामांकन

अमर उजाला नेटवर्क Published by: हिमांशु चंदेल Updated Mon, 17 Nov 2025 05:22 AM IST
सार

Indian Students Crisis in US Campus: अमेरिका में भारतीय छात्रों का नामांकन 70 फीसदी घटने से अमेरिकी कैंपस आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। वीजा प्रक्रिया की जटिलता, लंबी जांच और एच-1बी की अनिश्चितता ने भारतीय परिवारों का भरोसा तोड़ दिया है। छात्र अब कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप की ओर जा रहे हैं।

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US Visa exodu Indian students shaken foundations of American universities enrollment down by 70 percent
भारतीय छात्र। - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या में आई ऐतिहासिक गिरावट ने साफ कर दिया है कि दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा अर्थव्यवस्था अब अपने पुराने भरोसे को खो रही है। वीजा प्रक्रिया की बढ़ती जटिलताओं, सख्त सुरक्षा जांच और एच-1बी वर्क परमिट की अनिश्चितता ने भारतीय परिवारों को गहरी चिंता में डाल दिया है। इसका सीधा असर यह हुआ है कि भारतीय छात्र अब बड़ी संख्या में अमेरिका से मुंह मोड़कर कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप का रुख कर रहे हैं।
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इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन (आईआईई) की प्रारम्भिक ओपन डोर्स रिपोर्ट 2025 और अमेरिकी विश्वविद्यालयों के आंतरिक सर्वेक्षण बताते हैं कि 2024-25 सेशन तक भारतीय छात्रों का नामांकन अमेरिका में लगभग 70 फीसदी गिर गया है। बीते वर्ष जहां करीब 3,75,800 भारतीय छात्र वहां पढ़ रहे थे, वहीं इस वर्ष यह संख्या घटकर करीब 1,12,000 पर आ गई है। पिछले 15 वर्षों में यह सबसे तेज गिरावट है, जिसने अमेरिकी कैंपस की आर्थिक नींव तक हिला दी है।
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वीजा नीतियों ने बढ़ाई मुश्किलें
आईआईई के अनुसार वीजा स्लॉट की कमी, इंटरव्यू की लंबी प्रतीक्षा और छोटी दस्तावेजी त्रुटि पर भी तुरंत रिजेक्शन भारतीय छात्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं। सुरक्षा जांच इतनी कड़ी हो चुकी है कि कई छात्रों को दो-दो बार इंटरव्यू देना पड़ रहा है। एच-1बी वर्क परमिट की लॉटरी प्रणाली ने भी परिवारों का भरोसा कमजोर किया है। एमआईटी और कार्नेगी मेलॉन जैसे शीर्ष संस्थानों में भारतीय छात्रों की उपस्थिति में 60-70% तक गिरावट दर्ज की गई है।

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अन्य देशों की ओर तेजी से झुकाव
स्टूडेंट वीजा मॉनिटरिंग नेटवर्क (एसवीएमएन) के मुताबिक अब भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका पहला विकल्प नहीं रहा। कनाडा में भारतीय आवेदन 38%, ब्रिटेन में 24%, ऑस्ट्रेलिया में 19% और यूरोपीय संघ में 17% तक बढ़ गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आकर्षण के बजाय सुरक्षा और स्थिरता की तलाश है। अन्य देश पढ़ाई के बाद काम और पीआर का स्पष्ट मार्ग देते हैं, जबकि अमेरिका इसे लेकर अनिश्चित बना हुआ है।

भारतीय परिवारों की मानसिकता में भारी बदलाव
भारत में लंबे समय तक अमेरिका शिक्षा और करियर का सर्वोच्च गंतव्य माना जाता था, लेकिन मौजूदा माहौल ने यह तस्वीर बदल दी है। विदेश अध्ययन से जुड़े संस्थानों के सर्वे बताते हैं कि एक साल पहले तक 61% भारतीय छात्र अमेरिका को प्राथमिकता देते थे, जबकि अब ये आंकड़ा गिरकर 22% पर आ गया है। महंगी पढ़ाई, असुरक्षा, और भविष्य की अनिश्चितता ने परिवारों को कम जोखिम वाले विकल्पों की ओर धकेल दिया है।

भारतीय छात्रों की इतनी तेजी से कमी अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए केवल राजस्व का नहीं, बल्कि वैश्विक प्रतिभा के नुकसान का भी बड़ा झटका है। भारतीय छात्र हर साल अरबों डॉलर की फीस और शोध योगदान से अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था को मजबूती देते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका ने वीजा और वर्क परमिट नियमों में सुधार नहीं किया तो दुनिया की प्रतिभा अमेरिका से हटकर दूसरे देशों की ओर स्थायी रूप से शिफ्ट हो सकती है।


 
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