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Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध में दो साल में क्या-क्या हुआ, दोनों सेनाओं को कितना नुकसान हुआ, आगे क्या
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Sat, 24 Feb 2024 06:54 PM IST
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रूस-यूक्रेन युद्ध
- फोटो :
Amar Ujala
विस्तार
रूस-यूक्रेन युद्ध के दो साल पूरे हो गए हैं। 24 फरवरी 2022 को इन दो देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था जो अभी तक जारी है। दो साल की लड़ाई में दोनों देशों में बहुत कुछ बदल चुका है। इस युद्ध ने हजारों लोगों की जान ले ली, लाखों लोग विस्थापित हुए, परिवारों और समुदायों को तोड़ दिया और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। यह खूनी जंग रुकेगी, इसके भी कोई संकेत नहीं हैं। युद्ध की शुरुआत से रूस पर पाबंदियों का दौर जारी है। इसके बाद भी रूस अपने कदम पीछे करने को तैयार नहीं है।सवाल है कि रूस-यूक्रेन युद्ध कैसे शुरू हुआ था? अब तक इस युद्ध में क्या-क्या हुआ? लड़ाई का दुनिया पर क्या असर हुआ है? क्या आने वाले समय में जंग रुकेगी, आगे क्या होगा? आइये जानते हैं सभी सवालों के जवाब...
रूस-यूक्रेन युद्ध
- फोटो :
Amar Ujala
रूस-यूक्रेन युद्ध कैसे शुरू हुआ था?
23 फरवरी 2022 की रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन का एलान किया। चंद घंटे बाद यानी 24 फरवरी की तड़के सुबह अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव और आसपास के शहरों में हवाई हमले होने लगे। रूस के इस हमले से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। उधर यूक्रेन ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की।
युद्ध के शुरू होने के साथ शुरू हो गया दुनिया का दो धड़ों में बंटना। यूक्रेन का साथ देने के लिए नाटो सदस्य देश खड़े हो गए तो अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैंड, फ्रांस समेत कई देशों ने युद्ध से बाहर रहते हुए इसको मदद पहुंचानी शुरू कर दी। दूसरी ओर चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान जैसे देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूस के साथ खड़े हैं। भारत की बात करें तो इसने किसी का पक्ष नहीं लिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत सार्वजनिक रूप से इस युद्ध की समाप्ति के लिए प्रतिबद्ध है।
23 फरवरी 2022 की रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन का एलान किया। चंद घंटे बाद यानी 24 फरवरी की तड़के सुबह अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव और आसपास के शहरों में हवाई हमले होने लगे। रूस के इस हमले से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। उधर यूक्रेन ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की।
युद्ध के शुरू होने के साथ शुरू हो गया दुनिया का दो धड़ों में बंटना। यूक्रेन का साथ देने के लिए नाटो सदस्य देश खड़े हो गए तो अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैंड, फ्रांस समेत कई देशों ने युद्ध से बाहर रहते हुए इसको मदद पहुंचानी शुरू कर दी। दूसरी ओर चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान जैसे देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूस के साथ खड़े हैं। भारत की बात करें तो इसने किसी का पक्ष नहीं लिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत सार्वजनिक रूप से इस युद्ध की समाप्ति के लिए प्रतिबद्ध है।
रूस और यूक्रेन युद्ध
- फोटो :
Volodymyr Zelenskyy X Handle
इस युद्ध से कितना नुकसान हुआ?
रूस-यूक्रेन शुरू होने बाद के दो वर्षों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ है। पेंटागन का अनुमान है कि कम से कम 70,000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और इससे दोगुने घायल हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निगरानी मिशन (HRMMU) ने दावा किया है कि इस दो साल में संघर्ष और हिंसा में 10,000 से अधिक यूक्रेनी नागरिक मारे गए और लगभग 20,000 घायल हुए। हालांकि, वास्तविक संख्या काफी अधिक होने की आशंका है।
जहां हजारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है तो वहीं लाखों को अपने घर-बार भी छोड़ना पड़ा है। बमबारी वाले शहरों के निवासियों को पश्चिमी यूक्रेन या विदेश में अपना आश्रय तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ें कहते हैं कि लगभग 65 लाख लोग, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं, देश छोड़कर चले गए हैं। इसके अलावा लगभग 37 लाख लोग यूक्रेन के अंदर ही विस्थापित हुए हैं।
हाल ही में आई इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज रिपोर्ट में पाया गया कि देश और विदेश में रहने वाले लगभग 52% यूक्रेनी नागरिक चिकित्सा सहायता, आवास और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लड़ाई में घर तबाह हो गए हैं और ऊर्जा केंद्रों पर हमलों के चलते बिजली, पानी और स्वास्थ्य देखभाल बाधित है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2024 में 1.46 करोड़ यूक्रेनी लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता पड़ेगी।
युद्ध में रूस को भी चौतरफा नुकसान झेलना पड़ा है लेकिन इसके नुकसान की बेहद ही कम रिपोर्ट हैं। पेंटागन का अनुमान है कि लगभग तीन लाख रूसी सैनिक घायल हुए हैं, जिनमें से 60,000 सैनिक मारे गए हैं। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय का अनुमान है कि 2022 की तुलना में 2023 में रूस में मृतकों की संख्या बढ़ी है। इस अवधि में रूसी हताहतों की औसत दैनिक संख्या लगभग 300 प्रति दिन बढ़ी है। ऐसा ही हाल रहा तो 2025 के अंत तक रूस में पांच लाख लोग मारे जाएंगे और घायल होंगे।
रूस-यूक्रेन शुरू होने बाद के दो वर्षों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ है। पेंटागन का अनुमान है कि कम से कम 70,000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और इससे दोगुने घायल हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निगरानी मिशन (HRMMU) ने दावा किया है कि इस दो साल में संघर्ष और हिंसा में 10,000 से अधिक यूक्रेनी नागरिक मारे गए और लगभग 20,000 घायल हुए। हालांकि, वास्तविक संख्या काफी अधिक होने की आशंका है।
जहां हजारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है तो वहीं लाखों को अपने घर-बार भी छोड़ना पड़ा है। बमबारी वाले शहरों के निवासियों को पश्चिमी यूक्रेन या विदेश में अपना आश्रय तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ें कहते हैं कि लगभग 65 लाख लोग, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं, देश छोड़कर चले गए हैं। इसके अलावा लगभग 37 लाख लोग यूक्रेन के अंदर ही विस्थापित हुए हैं।
हाल ही में आई इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज रिपोर्ट में पाया गया कि देश और विदेश में रहने वाले लगभग 52% यूक्रेनी नागरिक चिकित्सा सहायता, आवास और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लड़ाई में घर तबाह हो गए हैं और ऊर्जा केंद्रों पर हमलों के चलते बिजली, पानी और स्वास्थ्य देखभाल बाधित है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2024 में 1.46 करोड़ यूक्रेनी लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता पड़ेगी।
युद्ध में रूस को भी चौतरफा नुकसान झेलना पड़ा है लेकिन इसके नुकसान की बेहद ही कम रिपोर्ट हैं। पेंटागन का अनुमान है कि लगभग तीन लाख रूसी सैनिक घायल हुए हैं, जिनमें से 60,000 सैनिक मारे गए हैं। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय का अनुमान है कि 2022 की तुलना में 2023 में रूस में मृतकों की संख्या बढ़ी है। इस अवधि में रूसी हताहतों की औसत दैनिक संख्या लगभग 300 प्रति दिन बढ़ी है। ऐसा ही हाल रहा तो 2025 के अंत तक रूस में पांच लाख लोग मारे जाएंगे और घायल होंगे।
रूस और यूक्रेन युद्ध
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Volodymyr Zelenskyy X Handle
यूक्रेन पर कितना कब्जा कर पाया रूस?
अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर (आईएसडब्ल्यू) की रिपोर्ट है कि वर्तमान में यूक्रेन के 18 फीसदी क्षेत्र पर रूस का कब्जा है। रूसी सेना का वर्तमान में दोनेत्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, खेरसॉन और कुछ हद तक खार्किव के कुछ हिस्सों पर कब्जा है। सेना ने 2014 में क्रीमिया के यूक्रेनी प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था।
अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर (आईएसडब्ल्यू) की रिपोर्ट है कि वर्तमान में यूक्रेन के 18 फीसदी क्षेत्र पर रूस का कब्जा है। रूसी सेना का वर्तमान में दोनेत्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, खेरसॉन और कुछ हद तक खार्किव के कुछ हिस्सों पर कब्जा है। सेना ने 2014 में क्रीमिया के यूक्रेनी प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था।
युद्ध का दूसरे देशों पर क्या असर पड़ा?
युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी की कीमतों में उछाल आई। कच्चा तेल 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंचा जो 2008 के बाद कच्चे तेल के दामों का सबसे ऊंचा स्तर था। गैस के दामों से लेकर स्टील, एल्युमिनियम, निकेल से लेकर सभी कमोडिटी के दाम भी बढ़े। इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दिखा। युद्ध के चलते सप्लाई चेन बाधित हुई। हालांकि, युद्ध के लंबा खिंचने से स्थिति में सुधार हुआ है। फिलहाल, कच्चे तेल की कीमत 83.38 डॉलर प्रति बैरल है।
युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। 23 फरवरी को अमेरिका ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए, जिसमें 500 से अधिक लोगों और संस्थाओं को निशाना बनाया गया। यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा ने भी 23 फरवरी को रूस के खिलाफ कार्रवाई की। यह कार्रवाई तब हुई है जब यूक्रेन से रूस की लड़ाई के दो साल पूरे हुए और रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की मौत हुई है।
युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी की कीमतों में उछाल आई। कच्चा तेल 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंचा जो 2008 के बाद कच्चे तेल के दामों का सबसे ऊंचा स्तर था। गैस के दामों से लेकर स्टील, एल्युमिनियम, निकेल से लेकर सभी कमोडिटी के दाम भी बढ़े। इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दिखा। युद्ध के चलते सप्लाई चेन बाधित हुई। हालांकि, युद्ध के लंबा खिंचने से स्थिति में सुधार हुआ है। फिलहाल, कच्चे तेल की कीमत 83.38 डॉलर प्रति बैरल है।
युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। 23 फरवरी को अमेरिका ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए, जिसमें 500 से अधिक लोगों और संस्थाओं को निशाना बनाया गया। यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा ने भी 23 फरवरी को रूस के खिलाफ कार्रवाई की। यह कार्रवाई तब हुई है जब यूक्रेन से रूस की लड़ाई के दो साल पूरे हुए और रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की मौत हुई है।
रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन (फाइल)
- फोटो :
ANI
रूस-यूक्रेन युद्ध में अब आगे क्या?
फिलहाल दोनों देशों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं दिख रही है। रूस और यूक्रेन दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं है। यूक्रेन को अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों का साथ मिल रहा है। इसी बीच यूक्रेन की सरकार सेना में भर्ती के लिए न्यूनतम आयु 27 से घटाकर 25 करने पर भी विचार कर रही है। इसके अलावा यूक्रेन अपने सैन्य वाहन और ड्रोन बनाकर अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की भी कोशिश कर रहा है। फिलहाल यूक्रेन हथियारों की आपूर्ति और यूरोप और अमेरिका से वित्तीय सहायता पर निर्भर है। यूरोपीय संघ द्वारा हाल ही में $54 बिलियन की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। इसके अलावा नाटो सदस्य कुछ अतिरिक्त हथियारों की आपूर्ति करेंगे।
उधर रूस भी युद्ध से अपने कदम पीछे नहीं हटाना चाहता है। यह लगातार ईरान से ड्रोन खरीद रहा है और उत्तर कोरिया से तोपखाने गोला बारूद और कुछ मिसाइलों की मात्रा बढ़ा रहा है। ऐसे में युद्ध रुकने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
सेवानिवृत्त अमेरिकी सेना जनरल डेविड पेट्रियस कहते हैं, 'युद्ध की दिशा काफी हद तक यूक्रेनी और रूसी संकल्प पर निर्भर करेगी। इसके अलावा अतिरिक्त बलों और क्षमताओं को भर्ती करने, प्रशिक्षित करने, लैस करने और तैनाती की उनकी क्षमता पर भी निर्भर करेगी।'
एस्टोनिया स्थित अंतर्राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा केंद्र की उप निदेशक क्रिस्टी रायक का तर्क है, 'यदि पश्चिम समर्थन बढ़ाता है और रूस के लिए युद्ध की लागत भारी पड़ी तो यूक्रेन युद्ध जीत सकता है। यदि पश्चिमी देश आवश्यक संसाधन जुटाने में विफल रहते हैं तो रूस जीत सकता है।'
फिलहाल दोनों देशों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं दिख रही है। रूस और यूक्रेन दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं है। यूक्रेन को अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों का साथ मिल रहा है। इसी बीच यूक्रेन की सरकार सेना में भर्ती के लिए न्यूनतम आयु 27 से घटाकर 25 करने पर भी विचार कर रही है। इसके अलावा यूक्रेन अपने सैन्य वाहन और ड्रोन बनाकर अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की भी कोशिश कर रहा है। फिलहाल यूक्रेन हथियारों की आपूर्ति और यूरोप और अमेरिका से वित्तीय सहायता पर निर्भर है। यूरोपीय संघ द्वारा हाल ही में $54 बिलियन की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। इसके अलावा नाटो सदस्य कुछ अतिरिक्त हथियारों की आपूर्ति करेंगे।
उधर रूस भी युद्ध से अपने कदम पीछे नहीं हटाना चाहता है। यह लगातार ईरान से ड्रोन खरीद रहा है और उत्तर कोरिया से तोपखाने गोला बारूद और कुछ मिसाइलों की मात्रा बढ़ा रहा है। ऐसे में युद्ध रुकने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
सेवानिवृत्त अमेरिकी सेना जनरल डेविड पेट्रियस कहते हैं, 'युद्ध की दिशा काफी हद तक यूक्रेनी और रूसी संकल्प पर निर्भर करेगी। इसके अलावा अतिरिक्त बलों और क्षमताओं को भर्ती करने, प्रशिक्षित करने, लैस करने और तैनाती की उनकी क्षमता पर भी निर्भर करेगी।'
एस्टोनिया स्थित अंतर्राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा केंद्र की उप निदेशक क्रिस्टी रायक का तर्क है, 'यदि पश्चिम समर्थन बढ़ाता है और रूस के लिए युद्ध की लागत भारी पड़ी तो यूक्रेन युद्ध जीत सकता है। यदि पश्चिमी देश आवश्यक संसाधन जुटाने में विफल रहते हैं तो रूस जीत सकता है।'