ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
वैदिक ज्योतिषशास्त्र की गणना और चंद्र राशि के आधार पर प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी बता रहे हैं सिंह राशि वालों के लिए नया वर्ष 2025 कैसा रहने वाला होगा?
राशि स्वामी- सूर्य
राशि नामाक्षर - मा,मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे
आराध्य - श्री विष्णु नारायण
राशि अनुकूल रंग - सुनहरा,लाल
राशि अनुकूल वार- रविवार, मंगलवार, बृहस्पतिवार
नौकरी और व्यवसाय
कार्य व्यवसाय की दृष्टि से या वर्ष मिला-जुला परिणाम देने वाला रहेगा। वर्ष आरंभ में सप्तम शनि के प्रभाव से आप अपने कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करेंगे। किसी अनुभवी व्यक्ति से मिलकर व्यापार में उन्नति के लिए नई योजना भी बनाएंगे जिससे व्यवसाय को एक नया मोड़ मिलेगा। दशमस्थ गुरु के प्रभाव से नौकरी करने वाले व्यक्तियों की पदोन्नति होगी तथा इच्छित स्थान पर स्थानांतरण भी हो सकता है। वर्ष के मध्य के पश्चात शनि का गोचर आपकी राशि से अष्टम भाव पर होगा और देवगुरु बृहस्पति का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव पर होगा यह दोनों संभावनाएं लाभ और हानि दोनों का संकेत दे रही हैं शनि का गोचर अष्टम भाव पर यह संकेत करता है कि कोई भी निर्णय आपको बहुत सोच समझ कर लेना चाहिए और देवगुरु बृहस्पति आपकी राशि से 11वें भाव पर यह संकेत करते हैं कि अगर सोच समझकर निर्णय लेंगे तो निश्चित रूप से उसमें लाभ और यश की प्राप्ति भी आपको होगी। नौकरी पेशा व्यक्तियों के लिए यह शनि कुछ स्थानांतरण की और देवगुरु बृहस्पति प्रमोशन की संभावनाएं बनाएंगे।
आर्थिक
आर्थिक दृष्टिकोण से इस वर्ष द्वितीय एवं चतुर्थ स्थान पर गुरु के दृष्टि प्रभाव से भूमि भवन वाहन इत्यादि वस्तुओं की प्राप्ति होगी। धनागम होता रहेगा परंतु अपने भौतिक सुख सुविधाओं पर आप अधिक खर्च करेंगे। वर्ष के मध्य के पश्चात देवगुरु बृहस्पति का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव पर होगा वहां पर यह संकेत मिलता है की आमदनी के कुछ नए स्रोत वर्ष के मध्य के पश्चात आपको मिलेंगे। शनि का गोचर राशि से अष्टम भाव में होने से कुछ आकस्मिक धन लाभ की संभावनाएं बनेंगी किंतु शनि की ढैया होने के कारण कोई भी निवेश वर्ष के मध्य के पश्चात बहुत सोच समझकर करें अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि का सामना आपको करना पड़ेगा।
घर-परिवार और रिश्ते
पारिवारिक दृष्टि से वर्ष का प्रारंभ अनुकूल रहेगा। चतुर्थ स्थान पर गुरु और शनि ग्रह के संयुक्त दृष्टि प्रभाव से परिवार में सुख शांति का वातावरण बना रहेगा। आपके माता-पिता सहित पूरे परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। वर्ष के मध्य के पश्चात राहु का गोचर आपकी राशि से सप्तम भाव पर होगा और केतु का गोचर आपकी राशि पर होगा सातवें भाव पर राहु का गोचर पत्नी के स्वास्थ्य और उनसे संबंधों में कुछ परेशानियों का संकेत देता है। आपको आपसी सद्भाव और विश्वास भी कायम रखना होगा अन्यथा कोई भी छोटी बात बड़ा रूप ले सकती है और आपके और आपके जीवनसाथी के मध्य अशांति का कारण बन सकती है। पत्नी के स्वास्थ्य का भी आपको वर्ष के मध्य के पश्चात विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। वर्ष के मध्य के बाद देवगुरु बृहस्पति का गोचर आपकी राशि से 11वीं भाव में होने की वजह से नवम दृष्टि सप्तम भाव पर होने से आपके संबंधों की रक्षा पूरे वर्ष होती रहेगी।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष नहीं रहेगा मानसिक रूप से आप संतुष्ट नहीं रहेंगे। वर्ष आरंभ में आपकी राशि स्थान पर शनि की दृष्टि प्रभाव से मौसम जनित बीमारियों से परेशानी हो सकती है मानसिक चिंता जैसी छोटी-मोटी परेशानियां होती रहेंगी।मार्च के पश्चात शनि के अष्टम ढैया का प्रभाव भी आपको देखना पड़ेगा इसलिए कुछ मानसिक तनाव की स्थितियां बनेगी। वर्ष के मध्य में राशि से सातवें में भाव में राहु का गोचर और राशि में केतु का गोचर भी आपको कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दे सकता है इसलिए पूरे वर्ष अपने खान-पान और अपने दिनचर्या को नियंत्रण रखने की आवश्यकता आपके लिए बनी रहेगी।
प्रेम संबंध
प्रेम संबंधों के मामले में वर्ष के मध्य के पक्ष का समय अनुकूल रहेगा। देवगुरु बृहस्पति अपनी सातवीं दृष्टि से अपने स्वराशि में स्थित धनु राशि को देखेंगे जिससे आपका प्रेम संबंधों में निश्चित रूप से सुधार आएगा। वर्ष की शुरुआत से लेकर वर्ष के मध्य तक का जो समय है उसमें प्रेम संबंधों को लेकर थोड़ी बहुत परेशानी बनी रहेगी किंतु वर्ष के मध्य के पश्चात आपके लिए प्रेम संबंधों में निश्चित रूप से अनुकूलता बनी रहेगी।
यात्राएं
यात्राओं की दृष्टि से यह वर्ष अच्छा रहेगा। नवम स्थान पर शनि ग्रह के दृष्टि प्रभाव से लंबी यात्राएं करेंगे। वर्ष आरंभ में आप जन्म स्थल की यात्रा भी करेंगे। मई के बाद आपकी छोटी-मोटी यात्राएं भी होती रहेंगी ।राशि से अष्टम भाव पर शनि के प्रभाव से इस वर्ष कुछ व्यवसायिक यात्राओं की भी संभावनाएं बनेगी लेकिन अष्टम ढैया होने की वजह से इन व्यावसायिक यात्राओं में लाभ की उम्मीद कम ही की जाए तो अच्छा रहेगा।
शनि की ढैया का प्रभाव
इस वर्ष मार्च के पश्चात शनि का गोचर आपकी राशि से अष्टम भाव पर होगा यानी आपकी राशि पर शनि का ढैया का प्रभाव का प्रारंभ हो जाएगा। शनि के इस ढैया के प्रभाव से कुछ मानसिक कष्ट और पीड़ाएं आपको आने वाले समय पर मिल सकती हैं। इसलिए अपने कार्यक्षेत्र अपने पारिवारिक जीवन में व्यवस्थित रूप से जीवन जीने की कला को बनाए रखें जिससे आने वाले समय पर शनि की ढैया आपके लिए एक अवसर के रूप में आपको प्राप्त हो।
उपाय
वर्ष की शुरुआत श्री हनुमान जी के दर्शन के साथ करें। वर्ष के किसी शनिवार और मंगलवार को हनुमान जी को चोला चढ़ाएं एवं शनिवार और मंगलवार को श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनिवार के दिन शनि मंदिर या पीपल के वृक्ष में सायं काल के समय सरसों के तेल का दीपक पूरे वर्ष जलाते रहें।
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