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Traffic Rules: ड्राइविंग लाइसेंस रद्द नहीं कर सकती पुलिस, कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Wed, 30 Jul 2025 01:05 PM IST
सार

कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में साफ किया है कि ट्रैफिक पुलिस अगर किसी वैध कारण से ड्राइविंग लाइसेंस जब्त करती है, तो वह कर सकती है। लेकिन उसे रद्द या निलंबित करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ लाइसेंस जारी करने वाली अथॉरिटी के पास है।

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Calcutta High Court observed Police Cannot Revoke or Cancel Driving License
कोलकाता ट्रैफिक पुलिस (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : ANI
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विस्तार
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में साफ किया है कि ट्रैफिक पुलिस अगर किसी वैध कारण से ड्राइविंग लाइसेंस जब्त करती है, तो वह कर सकती है। लेकिन उसे रद्द या निलंबित करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ लाइसेंस जारी करने वाली अथॉरिटी के पास है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपने ऊपर लगे आरोपों को अदालत में चुनौती देना चाहता है, तो पुलिस जबरदस्ती मौके पर जुर्माना नहीं वसूल सकती या उससे कबूलनामा नहीं ले सकती।
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गंभीर अपराध की आशंका पर ही जब्त हो सकता है लाइसेंस
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस को तभी किसी व्यक्ति का लाइसेंस जब्त करने का अधिकार है, जब उसे यकीन हो कि ड्राइवर ने कोई गंभीर ट्रैफिक उल्लंघन किया है, जैसे नशे में गाड़ी चलाना या बहुत तेज रफ्तार से वाहन चलाना। लेकिन इसके बाद भी मामला कोर्ट को भेजना जरूरी है। अगर कोर्ट उसे दोषी पाता है, तो फिर लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया लाइसेंसिंग अथॉरिटी द्वारा की जाती है।

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Calcutta High Court observed Police Cannot Revoke or Cancel Driving License
कलकत्ता हाई कोर्ट - फोटो : ANI
वकील की याचिका ने उठाया ट्रैफिक पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
यह मामला तब सामने आया जब कोलकाता के एक वकील सुभ्रांग्शु पांडा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रैफिक पुलिस ने उन्हें तेज रफ्तार से वाहन चलाने के आरोप में रोका, फिर उनका ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया और मौके पर ही 1,000 रुपये का नकद चालान भरने का दबाव डाला। वकील ने मौके पर ही पुलिसकर्मी को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार पुलिस का ऐसा कोई अधिकार नहीं है और केवल लाइसेंस अथॉरिटी ही लाइसेंस रद्द कर सकती है।

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कोर्ट ने दिए ट्रैफिक पुलिस को प्रशिक्षण देने के निर्देश
न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ट्रैफिक कानूनों को लागू करने के लिए पुलिस को फिर से प्रशिक्षण देने की जरूरत है। ताकि आम जनता को अनावश्यक परेशान न किया जाए।

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'इंपाउंड' शब्द पर कोर्ट ने दी कानूनी व्याख्या
न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 206 में 'इंपाउंड' शब्द का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इस शब्द की कोई परिभाषा अधिनियम में नहीं दी गई है। इसलिए इसका मतलब आम भाषा में समझा जाएगा। पुलिस अधिकारी इस धारा के तहत कुछ विशेष स्थितियों में लाइसेंस को जब्त कर सकते हैं, लेकिन उसे अदालत या फिर लाइसेंसिंग अथॉरिटी को ही भेजना होगा। लाइसेंस को अयोग्य घोषित करने या रद्द करने की पूरी प्रक्रिया अधिनियम की धारा 19 के तहत होती है।


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Calcutta High Court observed Police Cannot Revoke or Cancel Driving License
54 फीसदी लोग देतें हैं रिश्वत (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : AI
कोर्ट ने दो टूक कहा- यह पुलिस स्टेट नहीं, वेलफेयर स्टेट है
कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून साफ कहता है कि सिर्फ लाइसेंस जारी करने वाली अथॉरिटी ही उसे रद्द या निलंबित कर सकती है। इसलिए पुलिस अधिकारी का यह दावा कि उसके पास ऐसा अधिकार है, गलत है।

कोर्ट ने यह भी अफसोस जताया कि याचिकाकर्ता और हस्तक्षेपकर्ता के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार किया गया। और संबंधित पुलिस अधिकारी पर कोर्ट के वकीलों और यहां तक कि एक पूर्व जज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के आरोप लगे हैं। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, "यह कोई पुलिस स्टेट नहीं है। हमारा देश कानून के शासन से संचालित होने वाला वेलफेयर स्टेट है।" 

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