New EV Policy: दिल्ली में पुरानी कार को ईवी में बदलने पर मिलेगी भारी सब्सिडी, जानें कब से लागू होंगे नए नियम
Electric Vehicles Delhi: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और खराब एक्यूआई को देखते हुए सरकार ईवी को बढ़ावा देने की तैयारी में है। जिसके लिए सरकार ईवी पॉलिसी 2.0 को लाने वाली है। जो आम लोगों के लिए आसान और किफायती साबित हो सकती है। जानिए कैसे?
विस्तार
दिल्ली सरकार अप्रैल 2026 से ईवी पॉलिसी 2.0 लागू करने की तैयारी में है। नई नीति में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े विस्तार, रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 100 करोड़ रुपये फंड और इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता बनाने के लिए सब्सिडी पर खास जोर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य निरंतर बढ़ते प्रदूषण को कम करना और दिल्ली को ईवी हब बनाना है।
नई ईवी पॉलिसी में सरकार को मुख्य लक्ष्य चार्जिंग नेटवर्क को मजबूत करना है। जिसके लिए करीब एक हजार पब्लिक चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे। सरकार की तरफ से इन पर प्रति स्टेशन 25 लाख रुपये तक की मदद की जाएगी। इसके अलावा 15 हजार एसी और दो हजार डीसी फास्ट चार्जिंग पॉइंट्स बाजारों और हाई-डिमांड एरिया में लगाए जाएंगे। ई-रिक्शा और दोपहिया के लिए 1,000 बैटरी स्वैपिंग स्टेशन भी प्रस्तावित हुआ है।
ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए कितना फंड बढ़ेगा?
दिल्ली सरकार ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट फंड को पांच करोड़ रुपये से बढ़ाकर करीब 100 करोड़ रुपये करने की तैयारी में है। इस फंड का इस्तेमाल बैटरी टेक्नोलॉजी, रीसाइक्लिंग और सस्टेनेबल ईवी सॉल्यूशंस पर किया जाएगा।
किसपर मिलेगी सब्सिडी?
इस नई परियोजना में पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच कीमत का अंतर कम करने के लिए सब्सिडी दी जाएगी। दोपहिया ईवी पर 35 हजार से 40 हजार तक की सब्सिडी दी जाएगी। पुरानी गाड़ी स्क्रैप पर ईवी खरीदने पर अतिरिक्त इंसेंटिव मिलेगा और रोड टैक्स व रजिस्ट्रेशन के फीस में भी छूट मिलेगी।
कब लागू होगी नई नीति?
मौजूदा ईवी पॉलिसी मार्च 2026 तक लागू रहेगी। नई नीति का ड्राफ्ट सरकार जनवरी 2026 में सार्वजनिक कर सकती है। कैबिनेट मंजूरी के बाद अप्रैल 2026 से ईवी पॉलिसी 2.0 पूरी तरह लागू करने के आसार हैं।
क्यों जरूरी है EV Policy 2.0?
दिल्ली में वाहन प्रदूषण PM2.5 और PM10 का बड़ा स्रोत है। EV अपनाने से प्रदूषण घटेगा, ईंधन पर निर्भरता कम होगी और 2030 के नेट-जीरो लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार की सब्सिडी खत्म होने के बाद राज्यों की भूमिका को यह नीति और मजबूत बनाती है।