Red Highway: मध्य प्रदेश में शुरू हुआ देश का पहला रेड हाईवे, अब स्पीड कंट्रोल और वाइल्डलाइफ सेफ्टी एक साथ
NH-45 Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में भारत का पहला ‘रेड हाईवे’ बनाया गया है, जहां लाल टेबलटॉप मार्किंग ड्राइवर को खुद-ब-खुद स्पीड कम करने पर मजबूर करती है। इससे वन्यजीव समेत कई घटना कम होने की उम्मीद है।
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मध्य प्रदेश के भोपाल-जबलपुर रूट पर एनएच-45 का दो किमी हिस्सा अब रेड हाइवे कहलाता है। क्योंकि यहां सड़क पर लाल रंग की थर्मोप्लास्टिक टेबलटॉप मार्किंग की गई है, जो देखने में अलग है और ड्राइवर को सतर्क करती है। मनोविज्ञान कहता है कि लाल रंग खतरे और सावधानी का संकेत देता है। इसकी वेवलेंथ ज्यादा होती है और ये दूर से ही नजर आ जाता है। जैसे ही ड्राइवर इस लाल हिस्से में प्रवेश करता है, वो खुद से ही स्पीड कम कर देता है। ये मार्किंग पारंपरिक स्पीड ब्रेकर जैसी नहीं हैं। इसकी ऊंचाई हल्की होती है और इसमें झटका भी नहीं लगता। बस हल्का वाइब्रेशन महसूस होता है। इससे बिना ब्रेक के ही गाड़ी की स्पीड ऑटोमैटिक कम हो जाती है।
क्यों पड़ी इसकी जरूरत?
दरअसल, ये इलाका टाइगर रिजर्व और जंगल से गुजरता है। यहां दो साल में 237 जानवरों की वाहनों से टक्कर हो चुकी है और इसमें करीब 94 जानवरों की मौत हो चुकी है। इसलिए रेड हाइवे पर स्पीड कम होने से टाइगर, हिरण, सांभर जैसे जानवरों के एक्सीडेंट कम होने की उम्मीद है। इसके साथ ही रात में भी अधिक सुरक्षा होगी, क्योंकि लाल मार्किंग में ग्लास बीड्स लगे होते हैं, जो हेडलाइट पड़ते ही चमकने लगती है। मौजूद सोलर लाइट और सफेद शोल्डर लाइट से रात में विजिबिलिटी काफी बेहतर होती है।
भविष्य की स्मार्ट कारों के लिए तैयार हाईवे
यह हाईवे एडीएएस (ADAS) एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम) तकनीक को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कारों के कैमरा और सेंसर इन लाल मार्किंग को आसानी से पहचान सकते हैं, जिससे ऑटोमैटिक ब्रेक और स्पीड कंट्रोल जैसे फीचर्स बेहतर काम करेंगे।
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इस प्रोजेक्ट को सड़क परिवहन मंत्रालय और एनएसएआई ने मिलकर लागू किया है। देश-विदेश के ऑटो और टेक एक्सपर्ट्स ने इसे भविष्य की सड़कों के लिए जरूरी कदम भी बताया है। इनके अनुसार, ये सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि ऐसा मॉडल है जो इंसानों, जानवरों और नई टेक्नोलॉजी तीनों की जरूरतों को साथ लेकर चलता है। अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो देशभर में ऐसे रेड हाईवे बनाए जा सकते हैं।