MoU: अब गांवों में भी आसान होगा कार खरीदना, मारुति सुजुकी ने यूपी ग्रामीण बैंक से की साझेदारी
Partnership: मारुति सुजुकी ने उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के साथ वाहन फाइनेंसिंग के लिए साझेदारी की है। इस समझौते के तहत नए, पुराने और कमर्शियल वाहनों पर आसान लोन मिलेगा। जानिए इससे और क्या-क्या बदलेगा?
विस्तार
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड और उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के बीच साझेदारी के बाद अब ग्राहकों को कई फायदें होने की उम्मीद है। जैसे उन्हें नए वाहन, सेकंड हैंड कार और कमर्शियल वाहनों के लिए आसान और किफायती लोन में समस्या नहीं होगी।
एमओयू के तहत इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और सेमी-अर्बन इलाकों में कार खरीद को आसान बनाना है। यूपी ग्रामीण बैंक की पूरे राज्य में हजारों शाखाएं हैं, जिससे मारुति को गांवों तक सीधे पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। ग्राहकों को उनकी जरूरत के हिसाब से टेलर्ड फाइनेंसिंग मिलेगी। इसमें आसान ईएमआई विकल्प, तेज लोन अप्रूवल, बेहर अफोर्डेबिलिटी और नए, पुराने व कमर्शियल वाहनों पर लोन की भी सुविधा मिलेगी।
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मारुति सुजुकी को क्या फायदा हुआ?
ग्रामीण बैंक के जुड़ने के बाद मारुति सुजुकी के रिटेल फाइनेंस पार्टनर्स की संख्या बढ़कर 50 हो गई है। ये कंपनी के फाइनेंसिंग नेटवर्क को और मजबूत करता है और भारत के हर कोने तक पहुंच बनाने में मदद करता है। मारुति सुजुकी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (मार्केटिंग एंड सेल्स) पार्थो बनर्जी का कहना है कि यूपी ग्रामीण बैंक के साथ ये साझेदारी हमारे लिए इस भी खास है, क्योंकि ये हमारा 50 वां रिटेल फाइनेंस पार्टनर है। हमारा लक्ष्य कार ओनरशिप को प्रत्येक भारतीय के लिए सरल और किफायती बनाना है। यूपी ग्रामीण बैंक के चेयरमैन यादव एस ठाकुर के अनुसार, मारुति सुजुकी के साथ ये सहयोग हमारे कस्टमर-फर्स्ट विजन को मजबूत करता है। इससे ग्राहकों को सुलभ और किफायती वाहन फाइनेंसिंग मिलेगी।
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ग्रामीण बाजार में मारुति को मिलेगा बूस्ट
मई 2025 में यूपी ग्रामीण बैंक में तीन आरआरबी के विलय के बाद ये देश का बड़ा ग्रामीण बैंक बना है। इस साझेदारी से अल्टो, वैगनआर, ब्रीजा जैसी मारुति कारों की गांव के क्षेत्र में मांग और बढ़ने की उम्मीद है। इससे साझेदारी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं, क्योंकि इससे उनकी अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। पहली कार खरीदने वाले ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में ये कदम भारत में वाहन खरीद को ज्यादा समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।