SUV: क्या भारत बनने जा रहा है दुनिया का नया 'एसयूवी हब'? नवंबर के आंकड़े क्या कहते हैं?
नवंबर 2025 भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए एक ऐतिहासिक महीना साबित हुआ, जब पहली बार भारत से यूटिलिटी वाहनों का निर्यात पैसेंजर कारों से ज्यादा रहा। SIAM के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2025 में यूटिलिटी वाहन निर्यात 42,993 यूनिट्स रहा।
विस्तार
भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए नवंबर 2025 एक ऐतिहासिक महीना साबित हुआ है। देश से होने वाले वाहनों के निर्यात में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पहली बार भारत से यूटिलिटी वाहन (यूवी) का निर्यात पैसेंजर कारों से ज्यादा हुआ है। यह बदलाव दुनिया भर में एसयूवी (स्पोर्ट यूटिलिटी वाहन) और एमपीवी (मल्टी पर्पज वाहन) की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
SIAM के आंकड़े
SIAM की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2025 में यूटिलिटी वाहन निर्यात 42,993 यूनिट और पैसेंजर कार निर्यात 40,519 यूनिट थे।
क्यों हो रहा है यह बदलाव?
जिस तरह भारत के घरेलू बाजार में एसयूवी, एमपीवी और एमयूवी की मांग तेजी से बढ़ी है। ठीक वैसा ही रुझान अब निर्यात के आंकड़ों में भी दिखाई दे रहा है। अभी तक भारत के एक्सपोर्ट बास्केट में पैसेंजर कारों का दबदबा था। वित्त वर्ष 2024 में 4.3 लाख कारों का निर्यात हुआ था, जबकि यूटिलिटी वाहन का आंकड़ा 2.3 लाख यूनिट था। लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह अंतर तेजी से कम हुआ है। अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच कार निर्यात पिछले साल 2.71 लाख से बढ़कर 3.04 लाख यूनिट हो गया। वहीं यूटिलिटी वाहन निर्यात पिछले साल 2.22 लाख से बढ़कर 2.88 लाख यूनिट हो गया।
मारुति सुजुकी का दबदबा
निर्यात के मामले में मारुति सुजुकी सबसे बड़ी खिलाड़ी बनकर उभरी है। भारत से बाहर भेजे जाने वाले कुल पैसेंजर वाहन (कारें, यूवी और वैन) में मारुति की हिस्सेदारी 47% से ज्यादा है। इस वित्त वर्ष में मारुति सुजुकी और ह्यूंदै मिलकर कुल कार निर्यात का लगभग 81% हिस्सा कवर करते हैं। यहां भी मारुति सुजुकी सबसे आगे है। इसके बाद निसान, टोयोटा और ह्यूंदै प्रमुख निर्यातक हैं। मारुति का अकेले का यूवी निर्यात बाकी सभी निर्माताओं के संयुक्त निर्यात के लगभग बराबर है।
कॉम्पैक्ट एसयूवी की मांग सबसे ज्यादा
आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी बाजारों में छोटी गाड़ियों की मांग अब भी बनी हुई है। कुल यूटिलिटी वाहन निर्यात में लगभग 62% हिस्सेदारी सब 4-मीटर (4 मीटर से छोटी) एसयूवी की है। भारत से सबसे ज्यादा निर्यात होने वाले 10 पैसेंजर वाहन में से 8 गाड़ियां 4 मीटर से छोटी लंबाई की हैं। हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का निर्यात बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी कॉम्पैक्ट फॉर्मेट का ही बोलबाला है।