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Road Safety: कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश- दोपहिया वाहनों पर बच्चों की सुरक्षा के लिए छह महीने में लागू हो नियम

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Sat, 22 Nov 2025 04:34 PM IST
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Karnataka High Court Enforces Strict Safety Norms for Child Pillion Riders
Ather Rizta - फोटो : Ather Energy
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कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य में दोपहिया वाहनों पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। अदालत ने राज्य सरकार और परिवहन अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे छह महीनों के भीतर केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 2022 के सेक्शन 138(7) को पूरी तरह लागू करें। यह नियम दोपहिया वाहनों पर पीछे बैठने वाले बच्चों के लिए सेफ्टी हार्नेस और क्रैश हेलमेट अनिवार्य बनाता है।
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बच्चों की सुरक्षा को लेकर दायर हुई थी याचिका
यह आदेश 2023 में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) के बाद आया है। यह याचिका डॉ. अर्चना भट, मनोविज्ञान विभाग प्रमुख, कतील अशोल पाई मेमोरियल कॉलेज, शिवमोग्गा द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि राज्य सरकार बच्चों, खासकर 9 महीने या उससे अधिक उम्र वाले बच्चों के लिए उपयुक्त हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए और नियमों को प्रभावी रूप से लागू करे।

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Karnataka High Court Enforces Strict Safety Norms for Child Pillion Riders
कर्नाटक उच्च न्यायालय - फोटो : एएनआई
क्या कहता है नया बाल सुरक्षा नियम
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच मुख्य न्यायाधीश विभू बखरू और न्यायमूर्ति सीएम पूनाचा ने राज्य को स्पष्ट निर्देश दिए हैं:
  • हेलमेट और हार्नेस अनिवार्य
9 महीने से 4 वर्ष तक के बच्चों को दोपहिया वाहन पर पीछे बैठते समय सेफ्टी हार्नेस और क्रैश हेलमेट पहनना अनिवार्य होगा।
  • सही फिटिंग वाले हेलमेट जरूरी
गलत आकार या खराब गुणवत्ता के हेलमेट के कारण होने वाली मौतों में करीब 15 प्रतिशत बच्चे शामिल होते हैं।

इसलिए परिवहन विभाग, हेलमेट निर्माता कंपनियाँ और टू-व्हीलर शोरूम को मिलकर बच्चों के लिए उपयुक्त हेलमेट उपलब्ध कराना होगा।

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नियम के अनुसार, सेफ्टी हार्नेस:
  • हल्का, मजबूत और जलरोधक होना चाहिए
  • कम से कम 30 किलोग्राम भार सहन करने में सक्षम होना चाहिए
  • मल्टी-फिलामेंट या हेवी नायलॉन से बना होना चाहिए
साथ ही, जिस दोपहिया वाहन पर बच्चा बैठा हो, उसकी अधिकतम गति 40 किमी प्रति घंटा तक सीमित होगी।

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छह महीने की समयसीमा क्यों
राज्य अधिकारियों ने बताया कि बच्चों के लिए उपयुक्त सुरक्षा उपकरण अभी भी परीक्षण और अनुसंधान के चरण में हैं। इसलिए अदालत ने छह महीने की अवधि इसलिए निर्धारित की है ताकि:
  • प्रमाणित हार्नेस और हेलमेट देशभर में उपलब्ध हो सकें
  • निर्माता उत्पादन और गुणवत्ता में आवश्यक बदलाव कर सकें
  • और जनता को इन नए सुरक्षा नियमों के बारे में पर्याप्त जागरूकता दी जा सके
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