सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Automobiles News ›   Only 13% of India electric cars qualify PLI scheme rest depend these countries find out why

EV Market India: पीएलआई स्कीम में सिर्फ 13% इलेक्ट्रिक कारें ही पास, बाकी इन देशों पर निर्भर, जानें ऐसा क्यों

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जागृति Updated Sat, 22 Nov 2025 05:58 PM IST
सार

 EV Manufacturing India: भारत ईवी क्रांति में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन अहम पुर्जो पर चीन की पकड़ मजबूत है। जिसके कारण ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम अभी भी दूसरों पर निर्भर है।

विज्ञापन
Only 13% of India electric cars qualify   PLI scheme  rest depend  these countries find out why
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : Freepic
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के भविष्य की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन इस भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती चीन की टेक्नोलॉजी पर निर्भर कर रही है। टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस समय जितने भी इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल (ईवी मॉडल्स) बिक रहे हैं, उनमें से सिर्फ छह मॉडल यानी की महज 13 प्रतिशत ही सरकारी की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत लाभ पाने के योग्य हैं।

Trending Videos


रिपाेर्ट के अनुसार बाकी 87 प्रतिशत मॉडल्स को अयोग्य करार दिया गया है, क्योंकि इनमें इस्तेमाल होने वाला बड़ा हिस्सा चीन से आयात किया गया था। सरकार ने सिर्फ टाटा मोटर्स पंच ईवी, टाटा मोटर्स नेक्सन ईवी, टाटा मोटर्स हैरियर ईवी, टाटा मोटर्स टियागो ईवी, टाटा मोटर्स टिगोर ईवी, महिंद्रा एक्सईवी9ई कंपनियों के मॉडल को ही मंजूरी मिली है। इनके अलावा बीएमडब्ल्यू,  मर्सिडीज-बेंज, जेएसडब्ल्यू-एमजी, ह्यूंदै, किआ, विनफास्ट, टेस्ला, वॉल्वो, ऑडी, सिट्रोएन जैसी कंपनियों के मॉडल 60 प्रतिशत से ज्यादा इंपोर्टेड कॉम्पोनेंट होने की वजह से पीएलआई में फेल हो गए।
विज्ञापन
विज्ञापन


ये भी पढ़े: Auto Industry: JSW-MG और Skoda-VW भारत में साझेदारी तलाशने के लिए कर रहे शुरुआती बातचीत, जानें डिटेल्स

देश में ईवी के महंगे पार्ट्स अब भी नहीं बनते

ईवी बनाने में सबसे महंगे और टेक-हैवी पार्ट्स अब भी भारत में नहीं बनाए जा रहे हैं। राज्य में बिकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के महत्वपूर्ण हिस्से इस समय चीन और ताइवान से आयात होते हैं। इसमें लिथियम-आयन बैटरी सेल, रेयर अर्थ मैग्नेट, सेमीकंडक्टर चिप्स, डीसी मोटर्स, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, रिले, कन्वर्टर और कनेक्टर शामिल हैं। एक यूरोपियन ऑटो कंपनी के अधिकारी ने कहा कि ईवी कैटेगरी अभी नई है और सप्लाई चेन तैयार नहीं है। इसके साथ ही बिना वॉल्यूम के सप्लायर्स भारत आने में हिचकिचाते हैं।


ये भी पढ़े: Global Climate Agreement: COP30 के मसौदे से हटाए गए फॉसिल फ्यूल ट्रांजिशन के वादे, क्लाइमेट डील पर फिर टकराव

क्या है पीएलआई स्कीम का मकसद?

पीएलआई स्कीम का मकसद अगले पांच वर्षों के दौरान देश में ईवी उत्पादन क्षमता 60 प्रतिशत तक बढ़ाकर 50 GWh करना है। हालांकि, सेल मैन्युफैक्चरिंग में इंवेस्टमेंट व दूसरी मुश्किलों के कारण यह लक्ष्य हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। एक स्टडी के अनुसार भारते के ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए लोकलाइजेशन हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। वहीं, कोविड के बाद वैश्विक सप्लाई चेन में तनाव बढ़ने से ऑटो सेक्टर में आई रुकावटों को दूर कर स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाना पहले से और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें ऑटोमोबाइल समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। ऑटोमोबाइल जगत की अन्य खबरें जैसे लेटेस्ट कार न्यूज़, लेटेस्ट बाइक न्यूज़, सभी कार रिव्यू और बाइक रिव्यू आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed