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Vehicle Number Plate: बड़े काम की होती है नंबर प्लेट, आसानी से मिल जाती हैं मालिक सहित कई अहम जानकारियां
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: समीर गोयल
Updated Mon, 02 Jan 2023 03:34 PM IST
सार
देश में हर साल करा़ेड़ों वाहन रजिस्टर्ड होते हैं। इनके लिए सरकार रजिस्ट्रेशन फीस लेकर एक खास नंबर देती है। जिससे इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर से क्या जानकारियां मिलती हैं। आइए जानते हैं।
सड़क पर किसी भी वाहन को चलाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसकी नंबर प्लेट होती है। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई शहरों में नए वाहन की डिलीवरी के साथ ही नंबर प्लेट को लगाया जाता है। नंबर प्लेट में जो नंबर होते हैं उनसे क्या जानकारी मिलती है। यह हम इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं।
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सभी वाहनों पर होती है नंबर प्लेट
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सफेद रंग की नंबर प्लेट
- फोटो : सोशल मीडिया
देश में चलने वाले सभी वाहनों पर एक खास नंबर अंकित होता है। वाहन भले ही एक जैसे दिखाई दें लेकिन इन्हें नंबर प्लेट से ही पहचाना जाता है। इन पर अंग्रेजी और अंकों में नंबर लिखे होते हैं। इन्हें खास आधार पर दिया जाता है जिससे इन्हें पहचानने में भी आसानी हो जाती है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 के मुताबिक देश में वाहन को तब तक सार्वजनिक स्थान पर नहीं चलाया जा सकता जब तक उसका रजिस्ट्रेशन ना करवाया गया हो।
नंबर प्लेट में हर अंक का खास मतलब होता है। मुख्य तौर पर किसी भी नंबर प्लेट में पहले दो अंक अंग्रेजी के होते हैं। इसके बाद के दो अंक गणित के होते हैं और फिर दोबारा से दो अंक अंग्रेजी में होते हैं जिसके बाद चार अंक होते हैं। उदाहरण के तौर पर हर वाहन पर कुछ इस तरह से नंबर दर्ज होता है DL 03 CC 0011।
इसमें पहले दो अंग्रेजी के अक्षर देश के राज्यों की जानकारी देते हैं। जैसे कि अगर किसी वाहन का नंबर DL से शुरू होता है तो यह दिल्ली का वाहन है। अगर इसका नंबर HR से शुरू होता है तो वाहन हरियाणा का है। RJ से नंबर शुरू होता है तो वाहन राजस्थान का है और अगर GJ नंबर है तो वाहन गुजरात में रजिस्टर्ड है। इसी तरह से अगले दो नंबर राज्य की अथारिटी की जानकारी देते हैं। DL या HR के बाद 01, 02, 51, 47 जैसे नंबर आते हैं। यह नंबर राज्य की अथारिटी के होते हैं। जैसे अगर नंबर HR 51 है तो वाहन हरियाणा की फरीदाबाद अथारिटी का है। अगर 51 की जगह 26 है तो वाहन गुरूग्राम में रजिस्टर्ड है। UP 16 है तो वाहन नोएडा का है और अगर 13 नंबर है तो वाहन बुलंदशहर जिले की अथारिटी का है। इसके बाद अंग्रेजी के दो शब्द फिर से आते हैं जैसे कि DL 03 CE। अब सीई का मतलब सीरीज से होता है। यानि कि वाहन दिल्ली की तीन नंबर अथारिटी का है और इसकी सीरीज CE है। CE की जगह ये कुछ और नंबर भी हो सकते हैं जैसे कि BC, CD, EF आदि। इनके बाद आखिरी में चार नंबर अंकित होते हैं। यही चार नंबर वाहन की जानकारी देते हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी वाहन का नंबर UP 13 BG 0011 है तो वह वाहन उत्तर प्रदेश की 13 नंबर अथारिटी का है और वह BG सीरीज का 0011 नंबर वाहन है। ऐसे ही अगर वाहन का नंबर DL 03 BG 0011 है तो वाहन दिल्ली की तीन नंबर अथॉरिटी की BG सीरीज का 0011 वाहन है।
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