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Road Safety: सड़क निर्माण में नवाचार की जरूरत पर जोर, विशेषज्ञों ने इनोवेटिव मटीरियल के इस्तेमाल की वकालत की
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 17 Dec 2025 02:53 PM IST
सार
रोड सेफ्टी एक्सपर्ट्स ने टिकाऊ, सुरक्षित सड़क निर्माण के लिए नए समाधान, बेहतरीन तरीके और नीतियां विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया है।
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National Highway 301 in Ladakh
- फोटो : X/@Nitin_Gadkari
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विस्तार
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों ने टिकाऊ और सुरक्षित सड़क निर्माण के लिए नवोन्मेषी समाधान, बेहतर प्रथाओं और प्रभावी नीतियों को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक निर्माण सामग्री अब पर्यावरणीय प्रभाव और स्थिरता से जुड़ी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं। ऐसे में नई तकनीकों और वैकल्पिक संसाधनों की ओर बढ़ना समय की मांग बन चुका है।
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बुनियादी ढांचे के विस्तार से बढ़ा संसाधनों पर दबाव
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (IRF) के इंडिया चैप्टर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) के निदेशक मनोरंजन परिदा ने कहा कि भारत में बुनियादी ढांचे का विकास अभूतपूर्व गति से हो रहा है। इसके चलते निर्माण सामग्री की मांग तेजी से बढ़ी है, जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इन संसाधनों के अत्यधिक दोहन से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।
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इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (IRF) के इंडिया चैप्टर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) के निदेशक मनोरंजन परिदा ने कहा कि भारत में बुनियादी ढांचे का विकास अभूतपूर्व गति से हो रहा है। इसके चलते निर्माण सामग्री की मांग तेजी से बढ़ी है, जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इन संसाधनों के अत्यधिक दोहन से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।
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National Highway 301 in Ladakh
- फोटो : X/@Nitin_Gadkari
कचरा प्रबंधन भी बनती जा रही है बड़ी चुनौती
मनोरंजन परिदा ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि देश एक समानांतर संकट से गुजर रहा है, जो है कचरे का बढ़ता अंबार। प्लास्टिक, स्टील स्लैग, रेड मड, निर्माण और विध्वंस से निकलने वाला मलबा और नगर निगम का ठोस कचरा, ये सभी गंभीर निपटान समस्याएं पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए सीआरआरआई ने सड़क निर्माण में इस्तेमाल के लिए नई सामग्री और तकनीकें विकसित की हैं।
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मनोरंजन परिदा ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि देश एक समानांतर संकट से गुजर रहा है, जो है कचरे का बढ़ता अंबार। प्लास्टिक, स्टील स्लैग, रेड मड, निर्माण और विध्वंस से निकलने वाला मलबा और नगर निगम का ठोस कचरा, ये सभी गंभीर निपटान समस्याएं पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए सीआरआरआई ने सड़क निर्माण में इस्तेमाल के लिए नई सामग्री और तकनीकें विकसित की हैं।
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सड़क निर्माण में कचरे से बने समाधान
सीआरआरआई द्वारा विकसित तकनीकों में स्टील स्लैग तकनीक प्रमुख है, जिसमें स्टील उद्योग से निकलने वाले प्रोसेस्ड स्टील स्लैग का उपयोग प्राकृतिक एग्रीगेट के विकल्प के रूप में किया जाता है। यह न केवल कचरे के निपटान में मदद करता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता भी कम करता है। इस तरह की पहल सड़क निर्माण को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
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सीआरआरआई द्वारा विकसित तकनीकों में स्टील स्लैग तकनीक प्रमुख है, जिसमें स्टील उद्योग से निकलने वाले प्रोसेस्ड स्टील स्लैग का उपयोग प्राकृतिक एग्रीगेट के विकल्प के रूप में किया जाता है। यह न केवल कचरे के निपटान में मदद करता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता भी कम करता है। इस तरह की पहल सड़क निर्माण को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
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National Highway
- फोटो : PTI
सुरक्षा, स्थिरता और नवाचार के बीच संतुलन जरूरी
कार्यक्रम में IRF के प्रेसिडेंट एमेरिटस केके कपिला ने कहा कि सड़क अवसंरचना क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद देश अब भी सुरक्षा, स्थिरता और नवाचार के मोड़ पर खड़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षित, कुशल और टिकाऊ सड़कों के निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता को दोबारा मजबूत करने की जरूरत है। उनके अनुसार 'विजन जीरो' का लक्ष्य केवल दुर्घटनाओं को शून्य तक लाना ही नहीं, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी शून्य करना है।
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ग्रीन हाईवे और कम-कार्बन तकनीक की जरूरत
कपिला ने कहा कि स्मार्ट और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ग्रीन हाईवे और मजबूत सड़क डिजाइन जरूरी हैं। जिन्हें जलवायु के अनुकूल सामग्री और कम-कार्बन तकनीकों का समर्थन मिले। उन्होंने आगाह किया कि मौजूदा समय में सड़क निर्माण देश में पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जो कुल उत्सर्जन का लगभग 37 प्रतिशत हिस्सा है।
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कपिला ने कहा कि स्मार्ट और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ग्रीन हाईवे और मजबूत सड़क डिजाइन जरूरी हैं। जिन्हें जलवायु के अनुकूल सामग्री और कम-कार्बन तकनीकों का समर्थन मिले। उन्होंने आगाह किया कि मौजूदा समय में सड़क निर्माण देश में पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जो कुल उत्सर्जन का लगभग 37 प्रतिशत हिस्सा है।
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National Highway in Karnataka
- फोटो : X@nitin_gadkari
भविष्य की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सड़क निर्माण में नवाचार, कचरा प्रबंधन और पर्यावरणीय संतुलन को एक साथ साधा जाए, तो न केवल सड़क सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि भारत का बुनियादी ढांचा विकास भी अधिक टिकाऊ और जिम्मेदार दिशा में आगे बढ़ सकेगा।
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