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FASTag: गडकरी ने कहा- 2026 तक देशभर में बैरियर-फ्री टोल सिस्टम, अगस्त से अब तक 40 लाख फास्टैग वार्षिक पास जारी
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Fri, 19 Dec 2025 01:54 PM IST
सार
सरकार द्वारा 15 अगस्त को शुरू किए गए वार्षिक फास्टैग पास का मकसद नियमित हाईवे यात्रियों को राहत देना है। बड़ी संख्या में वाहन मालिकों ने इस विकल्प को अपनाया है।
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- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
देशभर में हाईवे पर सफर करने वालों के लिए टोल प्लाजा पर रुकने की झंझट जल्द ही बीते दिनों की बात हो सकती है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि 2026 के अंत तक भारत में मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोल सिस्टम लागू कर दिया जाएगा, जिसके बाद वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस दिशा में एक बड़ा कदम बताते हुए उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अगस्त से अब तक करीब 40 लाख वार्षिक फास्टैग पास जारी किए जा चुके हैं।
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वार्षिक फास्टैग पास से बार-बार टोल भुगतान में राहत
सरकार द्वारा 15 अगस्त को शुरू किए गए वार्षिक फास्टैग पास का मकसद नियमित हाईवे यात्रियों को राहत देना है। यह पास निजी कारों को सालाना 3,000 रुपये के शुल्क पर देशभर के 200 चयनित टोल प्लाजा से गुजरने की सुविधा देता है। हालांकि, इसके लिए वाहन में सक्रिय फास्टैग होना अनिवार्य है और यह सुविधा सभी टोल प्लाजा पर लागू नहीं होती। इसके बावजूद, बड़ी संख्या में वाहन मालिकों ने इस विकल्प को अपनाया है। जो सरकार की नीति पर बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
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सरकार द्वारा 15 अगस्त को शुरू किए गए वार्षिक फास्टैग पास का मकसद नियमित हाईवे यात्रियों को राहत देना है। यह पास निजी कारों को सालाना 3,000 रुपये के शुल्क पर देशभर के 200 चयनित टोल प्लाजा से गुजरने की सुविधा देता है। हालांकि, इसके लिए वाहन में सक्रिय फास्टैग होना अनिवार्य है और यह सुविधा सभी टोल प्लाजा पर लागू नहीं होती। इसके बावजूद, बड़ी संख्या में वाहन मालिकों ने इस विकल्प को अपनाया है। जो सरकार की नीति पर बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
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2026 तक लागू होगा एआई आधारित मल्टी-लेन फ्री फ्लो सिस्टम
नितिन गडकरी ने बताया कि मौजूदा टोल प्रणाली, जिसमें वाहनों को फास्टैग कटौती के लिए रुकना पड़ता है, को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। इसकी जगह एक अत्याधुनिक एआई आधारित, बैरियर-फ्री टोल कलेक्शन सिस्टम लाया जाएगा। यह सिस्टम देश के सभी 1,050 टोल प्लाजा पर लागू किया जाएगा, जिनमें 350 निजी और 700 सरकारी टोल बूथ शामिल हैं। नई व्यवस्था के तहत वाहन बिना रुके 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टोल प्लाजा पार कर सकेंगे।
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नितिन गडकरी ने बताया कि मौजूदा टोल प्रणाली, जिसमें वाहनों को फास्टैग कटौती के लिए रुकना पड़ता है, को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। इसकी जगह एक अत्याधुनिक एआई आधारित, बैरियर-फ्री टोल कलेक्शन सिस्टम लाया जाएगा। यह सिस्टम देश के सभी 1,050 टोल प्लाजा पर लागू किया जाएगा, जिनमें 350 निजी और 700 सरकारी टोल बूथ शामिल हैं। नई व्यवस्था के तहत वाहन बिना रुके 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टोल प्लाजा पार कर सकेंगे।
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ईंधन बचत और राजस्व बढ़ाने की बड़ी योजना
सरकार का अनुमान है कि इस नई टोल प्रणाली से हर साल लगभग 1,500 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी। क्योंकि वाहनों को रुकना और दोबारा गति पकड़नी नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही टोल राजस्व में करीब 6,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी होगा और इससे टोल वसूली में भ्रष्टाचार की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी।
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सरकार का अनुमान है कि इस नई टोल प्रणाली से हर साल लगभग 1,500 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी। क्योंकि वाहनों को रुकना और दोबारा गति पकड़नी नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही टोल राजस्व में करीब 6,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी होगा और इससे टोल वसूली में भ्रष्टाचार की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी।
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी।
- फोटो : X/@nitin_gadkari
हाईवे निर्माण की रफ्तार और ऑटो सेक्टर का दीर्घकालिक लक्ष्य
इसी अवसर पर गडकरी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य हाईवे निर्माण की गति को बढ़ाकर 60 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंचाने का है। उन्होंने बताया कि यह तत्काल लक्ष्य है, जबकि दीर्घकालिक दृष्टि से भारत को अगले आठ से दस वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बनाने की योजना है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस समय अमेरिका का ऑटो सेक्टर लगभग 78 लाख करोड़ रुपये का है, चीन 47 लाख करोड़ रुपये पर है। जबकि भारत करीब 22 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर है।
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इसी अवसर पर गडकरी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य हाईवे निर्माण की गति को बढ़ाकर 60 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंचाने का है। उन्होंने बताया कि यह तत्काल लक्ष्य है, जबकि दीर्घकालिक दृष्टि से भारत को अगले आठ से दस वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बनाने की योजना है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस समय अमेरिका का ऑटो सेक्टर लगभग 78 लाख करोड़ रुपये का है, चीन 47 लाख करोड़ रुपये पर है। जबकि भारत करीब 22 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर है।
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आर्थिक मजबूती के लिए कृषि क्षेत्र पर भी जोर
मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि ऑटोमोबाइल और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ-साथ कृषि क्षेत्र की वृद्धि भी देश की जीडीपी को मजबूत करने के लिए बेहद जरूरी है। उनके अनुसार, जब सड़क, वाहन और कृषि तीनों क्षेत्रों में संतुलित विकास होगा, तभी भारत वैश्विक स्तर पर आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से उभरेगा।
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