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Bihar News: संस्कृत विद्यालयों का नया स्वरूप, मॉडल स्कूल, नया सिलेबस और बेहतर सुविधाओं के साथ विकास की योजना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,समस्तीपुर
Published by: दरभंगा ब्यूरो
Updated Sat, 20 Dec 2025 09:21 PM IST
सार
बिहार राज्य संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय झा समस्तीपुर पहुंचे और संस्कृत विद्यालयों के विकास पर हेड मास्टरों के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि 47 विद्यालयों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा और 50 हाई स्कूलों को 10+2 स्तर तक अपग्रेड किया जाएगा।
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संस्कृत विद्यालयों के विकास पर हुई विस्तृत बैठक
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार राज्य संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय झा शनिवार को समस्तीपुर पहुंचे और यहां के संस्कृत विद्यालयों के विकास को लेकर हेड मास्टरों के साथ व्यापक चर्चा की। उन्होंने संस्कृत विद्यालयों को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित करने की योजना पर विस्तार से बात की। बाद में पत्रकारों से बातचीत में अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के सभी संस्कृत विद्यालयों को सर्व शिक्षा अभियान से जोड़ा जाएगा, जहां एमडीएम (मिड-डे मील) का संचालन किया जाएगा। इसके अलावा, छात्रों के लिए पोशाक योजना और साइकिल योजना भी चालू की जाएगी। छात्रों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए सभी हेड मास्टर और शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
उन्होंने बताया कि बिहार के 47 विद्यालयों को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित करने का चयन किया गया है, जबकि 50 संस्कृत हाई स्कूलों को 10+2 संस्कृत विद्यालय में अपग्रेड किया जाएगा, जहां छात्रों को उपशास्त्री की पढ़ाई भी कराई जाएगी। संस्कृत विद्यालयों के विकास के लिए अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिलकर विकास के लिए रूपरेखा तैयार की है और इसके लिए सरकार द्वारा फंड उपलब्ध कराया जा रहा है। स्कूलों में नए भवन निर्माण का भी प्रावधान किया जाएगा।
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अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों में 27 साल पुराने सिलेबस को बदलकर नया रूप दिया जा रहा है। नए सिलेबस में रामचरित्र मानस से लेकर भगवत गीता तक शामिल किया गया है। सिलेबस की योजना सरकार को भेज दी गई है और नए सत्र से इसे लागू किया जाएगा, जिससे छात्र अपनी धरती, संस्कार और धर्म की शिक्षा ले सकेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि 1996 के बाद परीक्षा नियमावली में कोई बदलाव नहीं हुआ था, जिसे अब बदला जा रहा है। नए सत्र में नई नियमावली के अनुसार परीक्षा ली जाएगी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि पहले फर्स्ट डिवीजन से पास हुए सामान्य जाति और एसटी/एससी के छात्रों को जो सकंड क्लास से भी पास हुए थे, प्रोत्साहन राशि के रूप में 10,000 रुपये दिए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सूची सरकार को भेज दी गई है और जल्द ही यह राशि छात्रों के खाते में उपलब्ध कराई जाएगी। संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि संस्कृत विद्यालयों के जर्जर भवनों की सूची तैयार कर केंद्रीय शिक्षा मंत्री को 1296 करोड़ रुपए का डीपीआर भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद इन भवनों का निर्माण कार्य शुरू होगा, जिससे छात्रों को बेहतर वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
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उन्होंने बताया कि बिहार के 47 विद्यालयों को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित करने का चयन किया गया है, जबकि 50 संस्कृत हाई स्कूलों को 10+2 संस्कृत विद्यालय में अपग्रेड किया जाएगा, जहां छात्रों को उपशास्त्री की पढ़ाई भी कराई जाएगी। संस्कृत विद्यालयों के विकास के लिए अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिलकर विकास के लिए रूपरेखा तैयार की है और इसके लिए सरकार द्वारा फंड उपलब्ध कराया जा रहा है। स्कूलों में नए भवन निर्माण का भी प्रावधान किया जाएगा।
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अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों में 27 साल पुराने सिलेबस को बदलकर नया रूप दिया जा रहा है। नए सिलेबस में रामचरित्र मानस से लेकर भगवत गीता तक शामिल किया गया है। सिलेबस की योजना सरकार को भेज दी गई है और नए सत्र से इसे लागू किया जाएगा, जिससे छात्र अपनी धरती, संस्कार और धर्म की शिक्षा ले सकेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि 1996 के बाद परीक्षा नियमावली में कोई बदलाव नहीं हुआ था, जिसे अब बदला जा रहा है। नए सत्र में नई नियमावली के अनुसार परीक्षा ली जाएगी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि पहले फर्स्ट डिवीजन से पास हुए सामान्य जाति और एसटी/एससी के छात्रों को जो सकंड क्लास से भी पास हुए थे, प्रोत्साहन राशि के रूप में 10,000 रुपये दिए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सूची सरकार को भेज दी गई है और जल्द ही यह राशि छात्रों के खाते में उपलब्ध कराई जाएगी। संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि संस्कृत विद्यालयों के जर्जर भवनों की सूची तैयार कर केंद्रीय शिक्षा मंत्री को 1296 करोड़ रुपए का डीपीआर भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद इन भवनों का निर्माण कार्य शुरू होगा, जिससे छात्रों को बेहतर वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।