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Bihar: फर्जीवाड़ा कर बेटा बना करोड़पति; बेटे के लिए पिता ने बेच दी पुश्तैनी जमीन, अब मजदूरी करने पर हैं मजबूर

न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, पटना / औरंगाबाद Published by: कृष्ण बल्लभ नारायण Updated Fri, 28 Nov 2025 05:00 AM IST
सार

Bihar : कैरियर काउंसिलिंग सेंटर से खुद का कैरियर बनाते हुए गांव का रॉबिनहुड आज मेडिकल कॉलेजों में दाखिला कराने के फर्जीवाड़ा धंधे में करोड़पति बन गया। पिता ने बेटे के बेल के लिए सबकुछ बेच दिया, अब 8 साल से बेटे को देखने के लिए आंखें तरस रही हैं।

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Bihar : kingpin of medical admission racket Abhinav Sharma or Prem Prakash Vidyarthi story aurangabad bihar
अभिनव उर्फ़ प्रेम प्रकाश - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जिस बेटे ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के धंधे और फर्जीवाड़ा से 100 करोड़ का एंपायर खड़ा किया, उसके माता-पिता तंगहाली में जीवन यापन कर रहे है। यहां तक कि बेटे को जेल से बेल कराने और तीन बेटियों की शादी में मां-बाप को पुरखो से मिली 10 बीघा जमीन भी बेचनि पड़ी। लिहाजा अब बाप मजदूरी करता है और बदहाली में गांव वाले भी उन्हे सहयोग करते है लेकिन उसी बेटे ने मां-बाप से मुंह मोड़ रखा है। इस बेरहम बेटे का चेहरा देखने के लिए मां-बाप की आंखें तरस गई है। पिछले 8 साल से उन्होने बेटे का चेहरा नही देखा है। इसके बावजूद बेटे के जेल जाने पर मां ने उसके अपराध कर्मों के प्रति अपना मुंह सिल रखा है। पूछने पर भी वह यही कहती है कि मैं पढ़ी लिखी नही हूं। वह नही जानती कि बेटा कहां रहता है और क्या करता है? उसके पास न बेटे का मोबाइल नंबर है और न ही आठ साल से उसे देखा है। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के लखनऊ से गिरफ्तार हुए मेडिकल दाखिला गिरोह के सरगना अभिनव शर्मा उर्फ प्रेम प्रकाश विद्यार्थी उर्फ राजीव रंजन सिंह उर्फ सर्वेश शुक्ला की, जो बिहार के औरंगाबाद के बारूण प्रखंड के बड्डी खुर्द पंचायत के फतेहपुर गांव का निवासी है और उसकी छवि अपने गांव में रॉबिनहुड की है।  

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 अमर उजाला की टीम के गांव पहुंचने पर ग्रामीणों को हुई जानकारी
मामले की ग्राउंड रिपोर्ट के लिए औरंगाबाद से 'अमर उजाला' की टीम जब फतेहपुर गांव पहुंची तो, गांव वालों को अभिनव उर्फ प्रेम प्रकाश के मेडिकल दाखिला फर्जीबाड़े में गिरफ्तार हाेने की जानकारी हुई। गांव वालों ने गिरफ्तारी पर आश्चर्य भी जताया। कहा कि उसका असली नाम प्रेम प्रकाश है और गांव में उसे ज्यादातर लोग कन्हाई के नाम से ही जानते है। आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई उसने गांव में रहकर ही पूरी की है।
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अभिनव उर्फ़ प्रेम प्रकाश का घर - फोटो : अमर उजाला

चलती ट्रेन से फरार होने के बाद गांव वालों को हुई थी अभिनव के अपराध में लिप्त होने की जानकारी
ग्रामीणों ने कहा कि आठवीं के बाद प्रेम प्रकाश ने गांव से बाहर जाकर कहां-कहां पढ़ाई की और कैसे मेडिकल दाखिला गिरोह का सरगना बन बैठा, इसके बारे में उन्हे जानकारी नही है लेकिन पहली बार उसकी काली करतूतों के बारे में तब पता चला था, जब वह किसी मामले में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से पेशी के लिए मेरठ ले जाए जाने के दौरान चलती ट्रेन से पुलिस की हिरासत से फरार हो गया था और उस घटना के बाद आज उन्हे पता चला कि वह मेडिकल दाखिला गिरोह का सरगना है।
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 तीन बेटियों की शादी और बेटे का बेल कराने में बिक गई मां-बाप की 10 बीघा पुश्तैनी खेत
वही फतेहपुर के एक ग्रामीण भीम सिंह ने बताया कि मां-बाप की नजर में उनका बेटा भले ही अपने पैरों पर खड़ा हो गया हो लेकिन उसने कभी मां-बाप और अपनी तीन सगी बहनों की शादी तक की चिंता नही की। लिहाजा प्रेम प्रकाश के माता-पिता ने तीन बेटियों के हाथ पीले करने के लिए पुश्तैनी खेती का जमीन का एक बड़ा हिस्सा बेंच दिया। बाद में जब प्रेम प्रकाश अपराधकर्म में जेल जाने लगा तो, माता-पिता ने उसका बेल कराने में बची खुची खेत भी बेंच डाली। इस तरह पुरखों से मिली 10 बीघा खेत बिक जाने के बाद मां-बाप के पास एक धुर भी खेती की जमीन नही रह गई। रहने के लिए उनके पास एकमात्र घर ही बच गया। यही वजह है कि प्रेम प्रकाश के पिता सरदार सिंह अब कृषि मजदूरी और ईंट भट्ठे पर काम कर बेटियों की शादी के बाद परिवार के नाम पर बची पत्नी और अपना जीवन यापन करते है। वही फाकांकशी की नौबत आने पर गामीण उनकी मदद करते है।  

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फतेहपुर का सूर्य मंदिर। - फोटो : अमर उजाला

गांव का रॉबिनहुड हैं प्रेम प्रकाश ने सूर्य मंदिर का कराया था रंग रोगन व छ्ठ घाट का निर्माण
इस संबंध में पूछे जाने पर गांव के कुछ युवकों ने नाम नही छापने की  शर्त पर बताया कि प्रेम प्रकाश ने जालसाजी और ठगी करने के लिए भले ही कई नाम रख लिए हों, लेकिन वह उसे प्रेम प्रकाश और कन्हाई के रूप में ही जानते है। गांव ले लड़कों ने कहा कि कन्हाई शुरूआती दिनों में गलत धंधे में नही रहा होगा, क्योकि उसने युवाओं को कैरियर बनाने के लिए आठ साल पहले औरंगाबाद में नगर थाना के ठीक सामने 'कैरियर काउंसिलिंग सेंटर' खोला था, जिसके उद्घाटन में वे लोग भी गए थे। इसी दौरान कन्हाई ने अपने खर्च पर न केवल फतेहपुर के सूर्य मंदिर का रंग रोगन कराया था बल्कि मंदिर के पास ही पुनपुन नदी में छ्ठ घाट का निर्माण कराया था। लड़कों ने कहा कि वह जब तक गांव में रहा तब तक वह गांव के युवकों को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करता रहा। बाद में उसका औरंगाबाद का 'कैरियर काउंसिलिंग सेंटर बंद हो गया, जिसके बाद वह गांव से बाहर गया, फिर आजतक घर नही लौटा।



 

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नदी - फोटो : अमर उजाला

घर पर अकेली है मां, पिता ईंट भट्ठे पर अब करते हैं मजदूरी 
'अमर उजाला' की टीम जब प्रेम प्रकाश के घर पर पहुंची तो उसके पिता सरदार सिंह घर पर नही मिले। घर पर उसकी मां पानपति देवी मिली। मां ने ही बताया कि मालिक मजदूरी करने ईंट भट्ठे पर गए है। अमर उजाला से पूरी बातचीत के दौरान मां ने अपना चेहरा शॉल से छुपाए रखा। बातचीत में मां ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे को पिछले आठ साल से देखा नही है। न उसका मोबाइल नंबर उनके पास है और न ही वह उसका पता ठिकाना जानती है। वह क्या करता है क्या नही करता, इसके बारे में भी वह कुछ नही जानती। कुरेदे जाने पर मां ने कहा कि हां मेरे बेटे ने अपनी मर्जी से वाराणसी में किसी लड़की से शादी की है। पोते-पोतियां भी है लेकिन उनका उन्होने मुंह नही देखा है। बेटे को देखने के लिए आठ साल से उसकी आंखें तरस रही हैं। बेटा न घर आता है और न ही रुपया पैसा भेजता है। कन्हाई के पिता अब मजदूरी कर घर का खर्च चलाने पर मजबूर हैं। खेती की जमीन बिकने के बारे में मां ने कहा कि जवान और कमाने वाला बेटा मदद नही कर रहा था तो तीनों बेटियों की शादी के लिए खेत बेचा। बेटे ने जब एक बार जानकारी भेजवाई कि वह किसी झूठे मामले में फंसकर जेल चला गया है, तब बचा खुचा रुपया बेटे का बेल कराने पर खर्च कर दिया। अब उनके पास घर के सिवा कुछ भी नही बचा है। वही पड़ोसियों ने बताया कि कन्हाई अच्छा लड़का रहा है। उन्हे लगता है कि वह गलत संगत में फंस गया है।

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