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देख लो सरकार: लखीसराय का ये विद्यालय बना तबेला, चारदीवारी के अभाव में मवेशियों का डेरा; बच्चों की पढ़ाई भी ठप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखीसराय Published by: शबाहत हुसैन Updated Sat, 23 Aug 2025 01:21 PM IST
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सार

Bihar; ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय भवन ही नहीं, बल्कि विद्यालय जाने वाली सड़क भी अतिक्रमण की चपेट में है। बरसात के दिनों में यही रास्ता कीचड़ और जलजमाव से तालाब जैसा हो जाता है, जिससे बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी आने-जाने में भारी परेशानी होती है।

This school in Bihar Lakhisarai has become a stable and the future of the innocents is at stake
स्कूल बना तबेला - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले विद्यालय की दुर्दशा देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा। कजरा प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय लोशघानी मुसहरी का भवन और प्रांगण मवेशियों का तबेला बन चुका है। चारदीवारी नहीं होने के कारण विद्यालय परिसर में गाय-भैंस, बकरियां और घोड़े खुलेआम घूमते और बंधे रहते हैं। गोबर-मूत्र की दुर्गंध और गंदगी से विद्यालय का वातावरण असहनीय हो गया है। ऐसे माहौल में बच्चों का पढ़ाई-लिखाई में मन लगना तो दूर, वे स्कूल आना ही नहीं चाहते।

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ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय भवन ही नहीं, बल्कि विद्यालय जाने वाली सड़क भी अतिक्रमण की चपेट में है। बरसात के दिनों में यही रास्ता कीचड़ और जलजमाव से तालाब जैसा हो जाता है, जिससे बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी आने-जाने में भारी परेशानी होती है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सामूहिक रूप से बीईओ से लेकर जिलाधिकारी तक शिकायत की, लेकिन वर्षों से स्थिति जस की तस बनी हुई है। अधिकारी बदले, मगर विद्यालय की तस्वीर नहीं बदली।

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गांववासियों का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका शिरोमणि कुमारी ने बताया कि इस गंभीर समस्या को कई बार लिखित रूप से उच्चाधिकारियों बीईओ, डीपीओ, डीईई, बीडीओ और अंचलाधिकारी को अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि विद्यालय से अतिक्रमण नहीं हटाया गया और परिसर को सुरक्षित नहीं बनाया गया, तो बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने मांग की है कि तत्काल चारदीवारी का निर्माण कराया जाए, परिसर को मवेशियों से मुक्त किया जाए और सड़क की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।

शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण आज स्थिति यह है कि जिस विद्यालय में बच्चों की किलकारियां गूंजनी चाहिए थीं, वहां मवेशियों की रंभाहट और गोबर-मूत्र की दुर्गंध ने कब्जा जमा लिया है। अब ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन शीघ्र कदम उठाए और विद्यालय को बच्चों की पढ़ाई के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करे।

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