Opposition Meeting : कर्नाटक में कांग्रेस; फिर नीतीश के खिलाफ बेंगलुरु में पोस्टर के मायने क्या निकाले बिहार
Rahul Gandhi : बिहार में 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई तो यहां राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री बनाने तक के पोस्टर दिखे। लेकिन, कांग्रेस शासित राज्य की राजधानी बेंगलुरु में तो नीतीश को 'अस्थिर पीएम प्रत्याशी’ बता दिया गया है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार के खिलाफ अलग-अलग मोर्चे पर खड़े देशभर के विपक्षी दलों को जुटाने वाले अगुवा नीतीश कुमार के खिलाफ कांग्रेस शासित कर्नाटक में लगा पोस्टर चर्चा में आ गया है। इसमें नीतीश को 'अस्थिर पीएम प्रत्याशी’ करार दिया गया है और इसके साथ ही बिहार के एक पुल को मिसाल के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। कर्नाटक हिंदीभाषी राज्य नहीं है, इसलिए वहां अंग्रेजी में पोस्टर लगा है। यह पोस्टर संदेश दे रहा है कि बेंगलुरु में बिहार के लिए रेड कारपेट बिछाया जा रहा है।
सुल्तानगंज पुल से नीतीश की तुलना क्यों?
जो होर्डिंग-पोस्टर बेंगलुरु में विपक्षी दलों की 17-18 जुलाई को हो रही बैठक के दौरान शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगे हैं, उनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना भागलपुर के सुल्तानगंज पुल से की गई है। निर्माणाधीन पुल दो बार गिर चुका है। दोनों बार गिरे इस पुल के हिस्सों की तस्वीर दिखाते हुए होर्डिंग-पोस्टर में नीतीश कुमार की अस्थिरता की चर्चा की गई है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, महागठबंधन के साथ जनादेश लेने के बाद एनडीए का मुख्यमंत्री बनने और एनडीए के लिए जनादेश लेकर महागठबंधन का सीएम बनने के कारण नीतीश पर अविश्वास जताया जाता रहा है। चाणक्या इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं- “विपक्षी एकता के लिए 12 जून को पहली बार पटना में बैठक बुलाई गई थी, लेकिन वह तारीख फेल हो गई। बाकी वजहों में एक यह अविश्वास ही था। नीतीश से ज्यादा विश्वास कई नेताओं ने लालू प्रसाद पर किया, क्योंकि वह तमाम झंझावातों के बावजूद भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिके हुए हैं। ऐसे पोस्टरों का एक लक्ष्य नए गठबंधन के संयोजक पद से नीतीश को दूर रखने की मंशा भी हो सकती है।”
भाजपा ने लगवाया या नीतीश विरोधी कोई और
बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को जब विपक्षी एकता की पहली बैठक हुई थी तो आम आदमी पार्टी (AAP) के नाम के साथ एक नेता ने नीतीश को लेकर इसी तरह का अविश्वास जताया था। वह पोस्टर भी चर्चा में रहा था, हालांकि बाद में आप ने इस पोस्टर और उस नेता को अपना मानने से इनकार कर दिया था। लेकिन, बेंगलुरु में लगे पोस्टर साफ संदेश दे रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी कहते हैं- “भाजपा वालों ने यह पोस्टर लगवाया होगा, क्योंकि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में विपक्षी दलों की एकता के अगुआ हैं। जहां तक संदेश की बात है तो अस्थिर चित्त का प्रमाण उन्होंने खुद दिया है। दो बार वह जनादेश से ठीक उलट राह पकड़ चुके हैं। अब विपक्षी एकता के लिए बन रहे नए गठबंधन के संयोजक की जिम्मेदारी उन्हें मिले और वह अस्थिर न हो जाएं- यही दिखाकर विपक्षी एकता के प्रयास को तोड़ने की यह काेशिश हो सकती है।" अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है कि यह पोस्टर भाजपा ने लगवाए हैं या नीतीश विरोधी कोई और है। लेकिन, यह भी देखने लायक बात है कि विपक्षी एकता की शुरुआत करने वाले नीतीश बेंगलुरु की बैठक के आधिकारिक पोस्टरों में किनारे नजर आ रहे हैं। सभी पोस्टरों में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे प्रमुखता से नजर आ रहे हैं।
बिहार के भागलपुर में सुलतानगंज-अगुवानी गंगा नदी पर बन रहे निर्माणाधीन फोरलेन पुल 4 जून की शाम को फिर जमींदोज हो गया था। निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर नदी में गिर गया। वहीं पुल पर ड्यूटी कर रहे दो गार्ड भी हादसे के बाद से लापता हो गए थे। SDRF की टीम इनकी तलाश कर रही है। अगुवानी के तरफ से पुल के पाया नंबर 10,11,12 के ऊपर का पूरा सुपर स्ट्रक्चर गिर गया है जो लगभग 200 मीटर का हिस्सा होगा। इस महासेतु का निर्माण एसपी सिंगला कंपनी द्वारा किया जा रहा था। यह भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में बन रहा यह पुल खगड़िया और भागलपुर जिलों को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट धाराशायी होने के कारण बिहार में विपक्ष हावी हो गया था। पुल पर राजनीति गरम करने के लिए सरकार ने ही विपक्ष को मसाला दे दिया है। सबसे बड़ा मसाला यही है कि आठवीं और अंतिम डेडलाइन 31 दिसंबर 2023 के हिसाब से काम हो रहा था और पुल गिरने पर मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए, जबकि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि सरकार को पता था कि यह तो गिरेगा ही।