Bihar News : डेढ़ सौ बीघा फसल बर्बाद, NTPC प्लांट से निकले रासायनिक पानी का बुरा असर
NTPC : NTPC से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी से न सिर्फ फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि जमीनें भी बंजर हो रही हैं। यह समस्या बिहार के उन सभी क्षेत्रों में हैं, जहां-जहां NTPC हैं। लेकिन इसके बाद भी हर्जाना के तौर पर NTPC किसानों को एक चवन्नी देने को तैयार नहीं है।
विस्तार
पटना जिले के बाढ़ के एनटीपीसी प्लांट से निकलने वाले पानी के कारण सैकड़ो बीघा तैयार घान की फसल बर्बाद हो गई है। इस वजह से किसान धान की फसल को काटकर खाट पर रखते हैं और फिर घर ले जाते है। कई बीघा में तैयार धान की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं पच्चास एकड़ दलहन की फसल भी डूब गई है। किसानों को भीषण ठंढ़ में भी घुटने भर पानी में घुसकर फसल काटना पड़ता है, जिसके कारण कई किसान बीमार भी हो चुके हैं। एनटीपीसी प्लांट की लापरवाही का खामियाजा किसानों को लगातार भुगतना पड़ रहा है, लेकिन इसके बाद भी एनटीपीसी उन पीड़ित किसानों को मुआवजा के नाम पर एक चवन्नी भी देना मुनासिब नहीं समझती है। यह मामला न सिर्फ बाढ़ के एनटीपीसी का है, बल्कि यह कहानी उन सभी जगहों पर हैं जहाँ-जहां बिहार में एनटीपीसी हैं। भागलपुर के एनटीपीसी की भी यही कहानी है।
खाट पर फसल ले जाने को मजबूर हैं किसान
इस संबंध में पीड़ित किसानों का कहना है कि लगभग सात वर्षों से यह समस्या अनवरत जारी है। फसल तैयार करने या काटने के दौरान केमिकल युक्त पानी के कारण बीमारी और पैर में समस्या होती है। दो किसान खाट के सहारे दो कट्ठा फसल काटने के बाद बीमार हो गए जिसके बाद से अन्य किसान भी डरे हुए है। उनका कहना है कि 15-20 मिनट पानी में घान काटने के बाद ठंड असर कर जाता है जिससे कई किसान बीमार हो चुके है।
यह खबर भी पढ़ें-Bihar News : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना से दिल्ली के लिए हुए रवाना, कराएंगे इलाज; जानिए और क्या है बात
केमिकल युक्त रिसाइकल पानी से बंजर हो रही जमीन
इस केमिकल युक्त रिसाइकल पानी से जमीन भी धीरे-धीरे बंजर हो रही है। कुछ सक्षम किसान ही घान की फसल काट कर ले जा रहे है, बाकी अस्सी फीसदी फसल बर्बाद हो रहे हैं। वहीं लगभग अस्सी फीसदी से ज्यादा किसानो की फसल बर्बाद हुई है।
यह खबर भी पढ़ें-Bihar News: पटना के 10 प्रखंडों को छोड़ सभी PHC के चिकित्सा पदाधिकारियों के वेतन पर रोक, जानिए पूरा मामला
थक गए एनटीपीसी को आवेदन देते-देते किसान
इस मामले को लेकर एनटीपीसी के पीआरओ विकाश धर द्विवेदी का कहना है कि किसानों की समस्या के बाद जांच टीम बनाई गई, लेकिन अभी तक पानी निकलने वाले स्थल का पता नही चल सका है। वहीं कई सवालों के जवाब देने में टाल-मटोल करते रहे।
बर्बाद हो गई फसलें
ढीबर, सहनौरा, रैली ईंग्लिश, लक्ष्मीपुर, बरियारपुर मौजा में परसावां और मंगरचक के किसान खेती करते है। उन किसानों का कहना है कि पानी की निकासी के लिए रेल की पटरी के किनारे पईन बना हुआ था लेकिन एनटीपीसी के द्वारा डंप में पाईप ले जाने के लिए उसे बाधित कर दिया गया। किसानों ने पिछले सोमवार को इसकी लिखित शिकायत एनटीपीसी के अधिकारी और पंडारक सीओ से की है। किसानों की मांग है कि एनटीपीसी से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी को कहीं और गिराया जाए और उनके नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
इनपुट : गोविंद कुमार, बाढ़ पटना