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Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक वंश के इतने प्रत्याशी! 67 प्रत्याशी किन परिवारों से उतरे?

न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: कृष्ण बल्लभ नारायण Updated Thu, 06 Nov 2025 06:00 AM IST
सार

Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में परिवारवाद कोई मुद्दा आपके लिए है? क्योंकि, बिहार चुनाव में राजनीतिक वंश के प्रत्याशियों की पूरी फौज उतरी हुई है। 

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family person in bihar election 2025 candidate list from rjd party bjp party jdu party chirag paswan
लालू प्रसाद और जीतन राम मांझी का परिवारवाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में है इस बार भी। - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
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बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 121 पर पहले चरण के तहत 6 नवंबर को मतदान हो रहा है। बाकी, 122 पर 11 नवंबर को मतदान होगा। बिहार चुनाव के अब तक के प्रचार में 'परिवारवाद' पर बहुत कम हमला हुआ है। आगे भी बहुत कुछ होने की उम्मीद नहीं है। लेकिन, आम मतदाता को जानना चाहिए कि वह किन परिवारों से किस प्रत्याशी को वोट देने जा रहे हैं? यह भी कि जिन्हें वोट हम-आप दे रहे- वह परिवारवाद के कितने बड़े और कैसे उदाहरण हैं?

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इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक लव कुमार मिश्रा कहते हैं कि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों में परिवारवाद कोई मुद्दा नहीं है, यह तो अब परंपरा के रूप में स्थापित है। जनता इसे स्वीकार भी कर रही है। अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह भी इसपर कुछ शायद ही बोल सकें क्योंकि भाजपा में भी यह खूब चल रहा है।

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परिवारवाद किसे कहेंगे, बिहार के उदाहरण से समझिए।

प्रकार 1 : जेल की नौबत आई तो पत्नी को सीएम की कुर्सी सौंपी

पहले लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने, लेकिन सत्ता में रहते जब चारा घोटाले में उनपर वारंट जारी हुआ तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जब बात इस्तीफे की आई तो उन्होंने अपनी गृहणी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की। राजद के नेता और कार्यकर्ताओं ने इसे मान भी लिया। समय बदला तो अब लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटे तेजस्वी यादव को अपना और पार्टी का उत्तराधिकारी बनाया। वहीँ उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती सांसद हैं।

प्रकार 2 : अपने सामने परिजनों को वोटरों के बीच भेजा, बढ़ाया

डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा की राजनीति में इंट्री 
डॉ. जगन्नाथ मिश्रा कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे और उनके भाई ललित नारायण मिश्रा देश के रेल मंत्री भी रहे थे। जगन्नाथ मिश्रा ने राजनीति से रिटायरमेंट के पहले बेटे नीतीश मिश्रा को विरासत सौंपी। नीतीश उनकी सीट से ही विधायक चुने गए। गंगा प्रसाद भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वह लंबे समय तक बिहार विधान परिषद के सदस्य और फिर गवर्नर भी बने। समय बदला तो उन्होंने अपने बेटे संजीव चौरसिया को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार किया और फिर वह विधायक बने। इस बार भी वह चुनावी मैदान में हैं।

चिराग ने भी संभाली पिता की विरासत 
दिवंगत राम विलास पासवान राजनीति में जमने के बाद उन्होंने अपने भाइयों रामचंद्र पासवान और पशुपति पारस को भी विधायक-सांसद के चुनाव में उतारा। राम विलास पासवान ने फिर अपने एकलौते बेटे चिराग पासवान को राजनीति में उतारा और उनको के नेता के रूप में तैयार किया। नतीजतन चिराग पासवान आज की तारीख में केंद्रीय मंत्री हैं।

जीतन राम मांझी ने पहले पुत्र और फिर पूरे परिवार को राजनीति में उतारा 
जीतन राम मांझी राजनीति में जमने के बाद अपने बेटे संतोष कुमार सुमन को राजनीति में उतारे। कोशिश सार्थक हुई और संतोष सुमन सदन तक पहुंचे। जीतन राम मांझी इतने पर ही नहीं रुके, बल्कि उन्होंने फिर, बहू-समधन को भी आगे बढ़ाया। जीतन राम मांझी अब खुद केंद्रीय मंत्री हैं, जबकि बेटे संतोष कुमार सुमन विधान परिषद् सदस्य और बिहार में मंत्री। अब बिहार विधान सभा चुनाव में वह अपने दामाद, अपनी बहू, और समधन को राजनीति में उतार कर चर्चा में हैं।

प्रकार 3 : परिवार के नेता के निधन के बाद चुनाव में उतरे
सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी पुतुल कुमारी सांसद बनीं। फिर शूटिंग में नाम कर रही उनकी बेटी श्रेयसी राजनीति में उतरी और आज की तारीख में वह जमुई विधायक हैं। बिहार विधान सभा चुनाव में वह फिर उतरी हैं।

नितिन नवीन को भी पिता की वजह से जनता की मिली सहानुभूति 
2005 में पटना पश्चिम से भाजपा विधायक चुने जाने के बाद नवीन किशोर सिन्हा का निधन हो गया था। उस समय उनके पुत्र नितिन नवीन पढ़ ही रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने नितिन नवीन को टिकट दिया। तब से वह लगातार विधायक हैं। अब एक बार फिर वह चुनावी मैदान में हैं।

 

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