Bihar News: AIMIM की राजनीति पर शकील अहमद का निशाना, लोकतांत्रिक आचरण और चुनाव प्रक्रिया पर उठाए गंभीर सवाल
Araria News: डॉ. शकील अहमद खान ने AIMIM की राजनीतिक शैली, भाषा और सामाजिक प्रभाव पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने हिंदुत्व-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति को खतरनाक बताया और चुनाव प्रक्रिया, सरकार व निर्वाचन आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए।
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बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता डॉ. शकील अहमद खान ने AIMIM की राजनीति और उसकी भाषा-शैली पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने बिना असदुद्दीन ओवैसी का नाम लिए कहा कि जम्हूरी निजाम में बात करने का एक सलीका होना चाहिए और AIMIM के इस्तेमाल किए जाने वाले अल्फ़ाज की गंभीर स्कूटनी की जरूरत है। डॉ. खान के अनुसार, यह भाषा लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुरूप नहीं है और इससे समाज में अनावश्यक तनाव पैदा होता है।
हिंदुत्व बनाम मुस्लिम एकजुटता की राजनीति पर टिप्पणी
डॉ. खान ने आरोप लगाया कि जिस प्रकार 1925 से आरएसएस के माध्यम से भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करती रही है, उसी नक्शे-कदम पर AIMIM भी मुसलमानों को एकत्रित कर अप्रत्यक्ष रूप से हिंदुत्व की राजनीतिक ध्रुवीकरण को मजबूत करने का अवसर दे रही है। उनका कहना था कि पांच विधायकों के जीतकर विधानसभा पहुंच जाने भर से कोई ठोस राजनीतिक परिवर्तन नहीं आने वाला है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी अब भी विकास के एजेंडे के पक्ष में खड़ी है।
‘सियासत के जारखाना अंदाज’ का विरोध करने की अपील
उन्होंने AIMIM की राजनीति को ‘सियासत के जारखाना अंदाज’ का रूप बताते हुए इसका विरोध करने की जरूरत पर जोर दिया। पढ़े-लिखे होने के बावजूद ‘जहालत के डिजाइन’ पर काम करने का आरोप लगाते हुए डॉ. खान ने कहा कि हैदराबाद में वक्फ बोर्ड की जिन जमीनों पर कब्जा है, पहले उन्हें ही खाली करवाया जाना चाहिए। अपने बयान के माध्यम से उन्होंने AIMIM की राजनीतिक शैली और उसके सामाजिक प्रभाव पर सवाल उठाए।
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मुस्लिम समाज की सोच और संविधान पर विश्वास की बात
डॉ. खान ने कहा कि देश का मुस्लिम समाज शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, आपसी भाईचारे, लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान में दिए गए प्रोटेक्शन पर भरोसा करता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह समाज न तो कट्टर राजनीति चाहता है और न ही किसी ऐसी दिशा में जाना चाहता है जो सौहार्द को नुकसान पहुंचाए।
चुनाव प्रक्रिया और सरकारों पर भी सवाल
AIMIM पर अपनी तीखी आलोचना के साथ ही डॉ. शकील अहमद खान ने चुनाव परिणामों को लेकर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह चुनाव प्रक्रिया संचालित की गई, उसमें कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।
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