{"_id":"67a214ef5ab53a110408b560","slug":"pappu-yadav-raised-questions-on-gst-demonetization-employment-crisis-kumbh-mela-irregularities-in-lok-sabha-2025-02-04","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bihar: पप्पू यादव ने लोकसभा में GST, नोटबंदी और रोजगार संकट पर उठाए सवाल; कुंभ मेला अनियमितता पर जताई चिंता","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Bihar: पप्पू यादव ने लोकसभा में GST, नोटबंदी और रोजगार संकट पर उठाए सवाल; कुंभ मेला अनियमितता पर जताई चिंता
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पूर्णिया
Published by: हिमांशु प्रियदर्शी
Updated Tue, 04 Feb 2025 06:54 PM IST
सार
Purnea News: पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में जीएसटी, नोटबंदी और रोजगार संकट और कुंभ मेला अनियमितता पर गहरी चिंता जताई और सवाल उठाए। उन्होंने पूर्णिया के विकास के लिए एम्स और हाईकोर्ट की जरूरत को सामने रखा। पढ़ें पूरी खबर...।
विज्ञापन
लोकसभा में अपने भाषण के दौरान पूर्णिया सांसद पप्पू यादव
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार से सवाल पूछे। उन्होंने जीएसटी, नोटबंदी, रोजगार संकट और महाकुंभ मेला अनियमितता जैसे मसलों को लेकर सरकार की नीतियों पर तीखा विरोध जताया। इसके साथ ही उन्होंने पूर्णिया में एम्स की स्थापना और उच्च न्यायालय के न्यायिक अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने की मांग भी की।
Trending Videos
‘विकास के लिए एम्स और उच्च न्यायालय की आवश्यकता’
पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने हमेशा से पूर्णिया के लिए एम्स की डिमांड की है और इसे सरकार के समक्ष भी उठाया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में दो-तीन जगह हाई कोर्ट के बेंच हैं। इसी प्रकार पूर्णिया में भी हाई कोर्ट का बेंच होना चाहिए। पप्पू यादव ने कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्र के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन इलाकों में मखाना जैसे उत्पाद का बड़ा योगदान है, लेकिन इसे एक बोर्ड के गठन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
विज्ञापन
विज्ञापन
फैक्ट्रियों की बंदी और पलायन पर जताई चिंता
पप्पू यादव ने लोकसभा में अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब फैक्ट्रीज बंद हो जाएंगी और फूड प्रोसेसिंग पर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा, तो इसका क्या असर होगा? उन्होंने अपनी बात में डालमिया नगर, चीनी मिल, पेपर मिल, दालचीनी मिल, सिल्क मिल, बंदूक फैक्ट्री और जूट मिल जैसी कई बंद फैक्ट्रियों का उदाहरण दिया। पप्पू यादव ने कहा कि बिहार के इन इलाकों से सबसे ज्यादा पलायन होता है और यहां के लोग दिल्ली में बड़ी परेशानियों का सामना करते हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि पूर्वांचल के लिए एक मंत्रालय का गठन किया जाए, जिससे इस क्षेत्र का नियमित और समग्र विकास हो सके।
जीएसटी और नोटबंदी के प्रभाव पर उठाए सवाल
सांसद पप्पू यादव ने जीएसटी को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना था कि जीएसटी की कर व्यवस्था आम नागरिक के लिए बोझ बन गई है। उन्होंने दावा किया कि चाय, दाल, नमक, साड़ी और चप्पल जैसी रोजमर्रा की चीजों पर तीन गुना जीएसटी लगाया गया, जो निम्न और मध्यम वर्ग के लिए बेहद कठिन हो गया है। इसके साथ ही पप्पू यादव ने नोटबंदी और जीएसटी के प्रभाव पर भी चर्चा करते हुए कहा कि इन कदमों के बाद मध्यम वर्ग के पास बचत करने तक के पैसे नहीं बच पाए हैं।
कुंभ मेले में अनियमितताओं का उठाया मुद्दा
सांसद पप्पू यादव ने कुंभ मेले के दौरान हुई अनियमितताओं पर भी गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना था कि कुंभ मेले के दौरान भगदड़ में मारे गए लोगों की सही संख्या तक नहीं बताई गई और न ही उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुंभ मेले में एक विशेष ठेकेदार को लगभग 2000 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया, जिसने पहले भी 2013 और 2019 में यही काम किया था। पप्पू यादव ने पूछा कि क्या इन ठेकेदारों की जांच होगी? उन्होंने नेहरू जी के समय देश के बजट का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय बजट 428 करोड़ रुपये था, जबकि अब सिर्फ कुंभ मेले का बजट 10,000 करोड़ रुपये है।
सरकारी नौकरियों में आरक्षण और शिक्षा बजट पर सवाल
पप्पू यादव ने प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी सरकार में रेलवे और बैंकों में भर्तियां नहीं हो रही हैं। इसके साथ ही सेना की भर्ती योजना ‘अग्निवीर’ को संविदा आधारित बनाने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी नौकरियों की बजाय अब निजी कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे समाज के वंचित वर्गों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं होता, जो वंचित वर्गों के लिए एक बड़ा नुकसान है।
महंगाई, रुपये की गिरावट और आर्थिक विकास दर पर सरकार से मांगा जवाब
सांसद ने शिक्षा बजट में आई भारी गिरावट का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2014 में शिक्षा पर खर्च जीडीपी का 7.4% था, जो अब घटकर 6.4% रह गया है। उन्होंने महंगाई और रुपये की गिरावट को लेकर भी सरकार से सवाल उठाए। इसके अलावा उन्होंने यह पूछा कि देश की 140 करोड़ की आबादी में 84 से 86 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की नौबत क्यों आई? उन्होंने यह भी बताया कि 2020-21 में आर्थिक विकास दर (GDP Growth) घटकर 6.6% रह गई थी।