Bihar News: तेजस्वी यादव के गांव वालों ने एग्जिट पोल को बताया गलत, बोले- महागठबंधन की बनेगी सरकार
Bihar News: ग्रामीणों का कहना है कि यदि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते हैं, तो बिहार के साथ-साथ उनका गांव भी फिर से विकास की राह पर लौटेगा। गांव के चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि 14 नवंबर को परिणाम घोषित होने के साथ ही पूरे गांव में जश्न मनाया जाएगा।
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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जारी एग्जिट पोल पर महागठबंधन के मुखिया तेजस्वी यादव के पैतृक गांव फुलवरिया के लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई है। ग्रामीणों का कहना है कि एग्जिट पोल पूरी तरह से भ्रामक और जमीनी हकीकत से परे है। उनका विश्वास है कि इस बार बिहार में महागठबंधन की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी और राज्य में बदलाव तय है।
फुलवरिया गांव में इन दिनों गजब का उत्साह है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते हैं, तो बिहार के साथ-साथ उनका गांव भी फिर से विकास की राह पर लौटेगा। गांव के चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि 14 नवंबर को परिणाम घोषित होने के साथ ही पूरे गांव में जश्न मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीत की खुशी में मिठाई बांटी जाएगी और तेजस्वी की ताजपोशी के दिन मंगल गीतों की गूंज सुनाई देगी।
ग्रामीणों ने बताया कि लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद फुलवरिया का चेहरा पूरी तरह बदल गया था। 1990 के दशक में यहां सड़क तक नहीं थी, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने गांव को प्रशासनिक और विकास के मानचित्र पर लाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने प्रखंड सह अंचल कार्यालय, थाना, बैंक, निबंधन कार्यालय, पावर सबस्टेशन, अस्पताल और हेलीपैड जैसी कई सुविधाएं दीं। यहां तक कि मीरगंज से फुलवरिया तक बनी सड़क उस दौर में पूरे बिहार में मिसाल बन गई थी। जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री बने, तब उन्होंने गांव को एक और बड़ी सौगात दी, यहां रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ और फुलवरिया रेल नक्शे पर दर्ज हो गया।
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हालांकि सत्ता से बेदखली के बाद गांव की रौनक धीरे-धीरे फीकी पड़ती चली गई। आज गांव की सड़कें जर्जर हैं, हेलीपैड खस्ताहाल है, स्टेशन पर गंदगी का अंबार है और बिजली की स्थिति भी बदहाल बनी हुई है। इसके बावजूद फुलवरिया के युवाओं में इस बार उम्मीद की नई किरण जगी है। युवाओं का कहना है कि बिहार में इस बार बदलाव की लहर चली है और जनता ने विकास के नाम पर वोट दिया है। उनका विश्वास है कि तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने के साथ फुलवरिया एक बार फिर ‘मिनी सचिवालय’ की अपनी पुरानी पहचान हासिल करेगा और गांव से लेकर सूबे तक विकास की नई कहानी लिखी जाएगी।