Zara Hatke: ट्रेन इंजन की खिड़की पर क्यों लगाई जाती है जाली? वजह सुनकर रह जाएंगे हैरान, जानें
Zara Hatke: ट्रेन के इंजन में लगे उपकरण इंजन को चलाने और ट्रेन को सुरक्षित नियंत्रित करने का काम करते हैं, जिसे लोको पायलट थ्रॉटल, ब्रेक लीवर और गेज से संभालता है।
विस्तार
ट्रेन से यात्रा करना हर शहरवासी के लिए आम बात है। कई लोग जीवन में सैकड़ों बार ट्रेन से सफर कर चुके होते हैं। ट्रेन की यात्रा के दौरान कई चीजें यात्रियों की नजरों में आती हैं। जैसे ट्रैक पर पड़े पत्थर, रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर लिखी ऊंचाई या फिर इंजन की खिड़की पर लगी जाली। अक्सर पैसेंजर्स इन चीजों को देखते हैं, लेकिन उनकी असली वजह समझ नहीं पाते। खासतौर पर ट्रेन के इंजन की खिड़की पर लगी जाली कई लोगों के लिए हमेशा सवाल रहती है। यह जाली क्यों लगाई जाती है और इसका उद्देश्य क्या है, इसके पीछे एक सुरक्षा कारण छिपा हुआ है। तो आइए विस्तार से जानते हैं।
ट्रेन के इंजन में है अहम हिस्से
ट्रेन के इंजन में कई अहम उपकरण लगे होते हैं। ये इंजन को शक्ति देने, पहियों को घुमाने और लोकोमोटिव को सुरक्षित चलाने का काम करते हैं। लोको पायलट थ्रॉटल, ब्रेक लीवर और गेज के जरिए ट्रेन को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, इंजन के कूलिंग पंखे, कंप्रेशर और अन्य सहायक उपकरण भी काम करते हैं। ट्रेन के ईंधन की खपत अलग-अलग होती है। आमतौर पर पैसेंजर ट्रेनों को चलाने में 4-6 लीटर प्रति किलोमीटर ईंधन लगता है। वहीं मालगाड़ियों की खपत उनकी भार और गति पर निर्भर करती है। भारी मालगाड़ियां खाली या हल्की ट्रेनों की तुलना में ज्यादा ईंधन खर्च करती हैं।
किसलिए लगाई जाती है ट्रेन की खिड़की में जाली?
अब बात करते हैं जाली की। ट्रेन के इंजन की खिड़की पर जाली मुख्य रूप से सुरक्षा के लिए लगाई जाती है। हाई-स्पीड ट्रेनों में पटरी से उड़े पत्थर, धूल और अन्य वस्तुएं शीशे से टकरा सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो लोको पायलट को चोट लग सकती है और शीशा टूट सकता है। जाली इन सभी जोखिमों को कम करती है और इंजन के सामने के हिस्से को सुरक्षित रखती है।
जाली करती है ये काम
जाली लोको पायलट को उन वस्तुओं से बचाती है, जो ट्रेन के सामने से टकरा सकती हैं। शताब्दी और राजधानी जैसी हाई-स्पीड ट्रेनों में जाली इसलिए जरूरी होती है क्योंकि इन ट्रेनों की गति बहुत अधिक होती है। खिड़की पर जाली होने से अचानक आने वाली वस्तुएं शीशे को तोड़ नहीं पातीं। इसके अलावा, यह जाली यात्रियों को खिड़की से बाहर सिर निकालने या बाहर झांकने से भी रोकती है। वंदे भारत जैसी सेमी हाई-स्पीड ट्रेनों में जाली नहीं लगी होती। इसका कारण है कि इन ट्रेनों में खास, मजबूत और महंगी आर्मर्ड ग्लास का इस्तेमाल होता है। आर्मर्ड ग्लास पत्थरों और तेज वस्तुओं से आसानी से नहीं टूटता और साथ ही विजिबिलिटी भी अच्छी रहती है।